भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू

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द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय राजनीतिज्ञ है, वह 25 जुलाई 2022 को भारत की 15 वी राष्ट्रपति बनी है. वे इस पद पर चुनी जाने वाली पहली वनवासी महिला नेता है. उन्हें 2022 राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा के खिलाफ भाजपा ने अपना उम्मीदवार गोषित किया था. वह इससे पूर्व झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में पदस्थ थी. मुर्मू को भारत सरकार के द्वारा Z+ सुरक्षा प्राप्त है.

द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा में रहते हुए कई प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं है, उन्होंने एसटी मोर्चा पर राज्य अध्यक्ष और मयूरभान के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. साल 2007 में मुर्मू को ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष का सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए “नीलकंठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था. मई 2015 में, भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में चुना एवं वे झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी. वह ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता भी हैं, जिन्हें ओडिशा राज्य में राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था.

वह काफी बड़े-बड़े पद पर रह चुकी है, लेकिन उनके अंदर किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं है. एक समय जब वह शिव मंदिर गई थी, तब मंदिर में अच्छी तरह से साफ-सफाई नहीं होने पर उन्होंने खुद ही मंदिर में झाड़ू लगाई और उसके बाद उन्होंने दर्शन किये. उनकी वह झाड़ू लगती हुई विडियो आप यहाँ पर देख सकते है.

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयुरभंज जिले के बैदोपोसी गाँव में एक आदिवासी समुदाय में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है. द्रौपदी की शादी श्याम चरण मुर्मू के साथ हुई है, जिनका स्वर्गवास हो चूका है. उनके दो बेटे भी थे, जो कि अब इस दुनिया में नहीं है. उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित किया है और वह अपनी बेटी इतिश्री मुर्मू के सहारे अपना जीवन जीती है. उनकी बेटी इतिश्री ने गणेश हेम्ब्रम के साथ विवाह किया है. उन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा निजी स्कूल से प्राप्त की एवं राम देवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर,ओडिशा से कला स्नातक में ग्रेजुशन की डिग्री प्राप्त की है.

उनका जीवन साल 2009 से काफी दुखदायक रहा है. द्रौपदी मुर्मू के एक बेटे की साल 2009 में असमय मौत हो गई थी, जिसका उनको काफी बड़ा सदमा लगा था एवं उन्होंने तब भी हार नहीं मानी और खुद को इस सदमे से बाहर निकलने के लिए वे ब्र्हमाकुमारी संस्था के साथ जुड़ गई . वर्ष 2013 में उन्होंने अपने दूसरे बेटो को एक सड़क हादसे में खो दिया. उनके बेटे की मौत के कुछ दिन बाद ही उनके भाई और माँ का भी स्वर्ग वास हो गया. वे जीवन में आगे ही बढ़ रही थी कि साल 2014 में उन्होंने उनके पति को भी खो दिया. उनके जीवन में काफी दु:ख था मगर उन्होंने हार नहीं मानी और 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी.

द्रौपदी मुर्मू ने रायरंगपुर में श्री इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में एक सहायक शिक्षक के रूप में अपनी शुरूआत की थी, इसके बाद उन्होंने सिंचाई और बिजली विभाग में ओडिशा सरकार के साथ काम किया. वह आदिवासी समाज की एक पढ़ी लिखी महिला है, जिसके कारण उनके ऊपर अपने समाज के प्रति कई जिम्मेदारियाँ थी. द्रौपदी मुर्मू ने अपना जीवन समाज की सेवा, गरीबों, दलितों तथा हाशिए पर खड़े लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित किया है.

द्रौपदी मुर्मू ने राजनीति में कदम 1997 में रखा, उन्होंने पार्षद के रूप में स्थानीय चुनाव जीते और उसी वर्ष भाजपा के एसटी मोर्चा की राज्य उपाध्यक्ष बनीं. उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर दो बार रायरंगपुर सीट हासिल की, और 2000 में ओडिशा सरकार में राज्य मंत्री बन कर अपनी सेवा दी. ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार मंत्री रही थी. उनको साल 2013 में मयूरभंज जिले के लिए पार्टी का जिला अध्यक्ष पद के लिए पदोन्नत किया गया था. उन्होंने अब तक के जीवन में कई श्रेष्ठ काम किये है, जिसके चलते उनको साल 2022 में भारत का एक सम्मानित पद राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के लिए चुना गया है.

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