बाबूजी स्वर्गीय रामाधार प्रसाद ‘शंकर’ (आज़ाद दस्ता) द्वारा रचित इस कविता को बाबूजी के पुण्यतिथि पर प्रस्तुत कर पूरे परिवार की तरफ से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देता हूँ l देवाधिदेव महादेव एवं धर्मराज हमारे बाबूजी का ध्यान रखें यही प्रार्थना है – हरि शंकर
- रामाधार प्रसाद ‘शंकर’
ब्रह्मा की काया से मैं सर्जित,
इसलिए कायस्थ मेरा नाम
एक माँ के सूर्य पिता थे,
धर्मराज के हम संतान l
जब राज किया तो पाल कहलाये
अरब तक ललितादित्य राज चलाये
कारकोटिया, वर्धन, वल्लभी मेरे पूर्वज
चालुक्य, टोडरमल हम हीं कहलाये l
स्वामी विवेकानंद ने धर्म पढ़ाया
औरोबिन्दो ने अज्ञान हरवाया
श्रीपद ने ISKCON बनाकर
सनातन डंका चंहुओर बजाया l
जब माँ पर गुलामी आयी थी,
हमने लड़ी बहुत लड़ाई थी
बोस, घोष, पाल, ग़दर कितने बताये?
हर चौथी गोली हमने ही खायी थी l
छत्रपति शिवाजी के दुलारे हैं
कई देशपांडे धर्म पर वारे हैं
हिंदी भाषा के हम स्तम्भ
जयशंकर, महादेवी, फिराकी, प्रेमचंद l
ये ना सोचो बस बच्चन हैं
रौशन, काजोल से छप्पन हैं
मन्नाडे, मुकेश हो या सोनू निगम
मेरे पंचम दा राष्ट्र रतन l
राजेंद्र, शास्त्री, पटनायक कुलश्रेष्ठ
हथजोड़ करते सबका सम्मान
जयप्रकाश-ठाकरे खून हैं मेरे
हम प्यार के भूखे ना सहे अपमान l
कुलज्ञान तो है कुलभेद ना माने
scientific अपनी बिरादर है
हम हीं है boson विश्व के
हम ही भिसे, बसु, भटनागर हैं l
हम पूजे कलम दवात को
महर्षि कश्यप की हर बात को
नागराज बासुकी मेरे नाना हैं,
भोले की भक्ति अपना फ़साना हैं l
*प्रस्तुति- हरिशंकर*