मोटे पारंपरिक अनाजों के सेवन से होगी स्वस्थ जीवनशैली और गरीब किसान भी होंगे समृद्धः आर.के.सिन्हा

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कन्याकुमारीः  कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द केंद्र के विशाल हॉल में तीन दिवसीय “ आयुष इंटरनेशनल समिट“ में पूर्व राज्यसभा सांसद आर.के.सिन्हा ने संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले यहां उपस्थित आयुष चिकित्सकों से अपील करना चाहूंगा कि वे रोग के उपचार की त्वरित चिकित्सा करने के साथ-साथ अपने नतीजों को विष रहित भोजन की सलाह देकर ऐसा वातावरण तैयार करें कि ज़्यादातर रोग हों ही नहीं।

R.K.Sinha (Ex.MP)

लोगों को यह भी बताएं कि अपने खानपान और जीवन शैली को परिवर्तित करके ज़्यादातर रोगों से बचा जा सकता है। आगे उन्होंने बताया कि मैंने मोटे अनाज वर्ष-2023 में गेहूँ और चावल की जगह मोटे पारंपरिक अनाजों के सेवन की सलाह दी है, जिससे आम जनों का स्वास्थ भी ठीक रहेगा और गरीब किसान भी समृद्ध होंगे। मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू 8 फसलों को मोटे अनाज की फसलें कहा जाता है। गेहूं और धान की फसलों के मुकाबले इसमें सॉल्युबल फाइबर के साथ ही कैल्शियम और आयरन की मात्रा इसमें अधिक होती है।

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