जिस परिवार ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की उस परिवार की पुत्रवधु हैं चेयरमैन उम्मीदवार ‘मंजू देवी’

देश
  • पूर्व पार्षद स्व0 कन्हैया प्रसाद की पुत्रवधु और समाजसेवी श्याम जी प्रसाद गुप्ता की पत्नी हैं मंजू देवी
  • स्व0गोपाल प्रसाद गुप्ता जिन्हें न जाति बांध सकी थी न धर्म, हिंदू समुदाय से निकलने वाली रामनवमी की रथयात्रा हो या मुस्लिम समाज द्वारा निकलने वाला ताजिया, सबमें अपने हाथों से ढोल तासा लेकर मैदान में देर रात तक जमें रहते थे

डुमरांव/बक्सर – नगर परिषद चुनाव की तैयारी में सभी कमर कसकर मैदान में दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। मगर इस बीच एक बड़ी बात ये है कि विकसित बिहार में डुमरांव नगर परिषद आज भी हाशिए पर नजर आ रहा है। डुमरांव का इतिहास सदियों पुराना रहा है। धार्मिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक दृष्टिकोण से समृद्ध इस नगर की सबसे बड़ी पहचान ये है कि आपसी मिल्लत का रहा है ये शहर। इस इलाके ने अनेक राजनेता, साहित्यकार, भारत रत्न शहनाई नवाज उस्ताद बिस्मिलाह खां जैसे फनकार को जन्म दिया, जिनकी सोंधी गमक की पूरी दुनिया मुरीद है।


चुनावी मैदान में भले ही कई किरदार भाग्य आजमाने के लिए खड़े हैं। सभी की अलग-अलग भूमिका है। सभी अपने तरीके से राजनीतिक बिसात बिछाने में लगे हुए हैं। जिन्हें पूर्व में जिम्मेदारी दी गई उनमें से हैं कमलेश प्रसाद। जब इनको डुमरांव की जनता ने वक्त दिया तो इन्होंने अपने तरीके से काम किया। समय बदला स्वर भी बदल गया। कई नई चेहरे मैदान में आए। उन्हीं में से एक हैं पूर्व पार्षद स्व0 कन्हैया प्रसाद की पुत्रवधु और समाजसेवी श्याम जी प्रसाद गुप्ता की पत्नी मंजू देवी।

(जनसंपर्क अभियान करते हुए)

इस परिवार ने हमेशा से जाति-धर्म से परे होकर राजनीति लोगों की सेवा की है। अगर अतीत पर नजर-ए-इनायत की जाए तो स्व0गोपाल प्रसाद गुप्ता जिन्हें न जाति बांध सकी थी न धर्म। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि हिंदू समुदाय से निकलने वाला रामनवमी की रथयात्रा हो या मुस्लिम समाज द्वारा निकलने वाला ताजिया, सबमें अपने हाथों से ढोल तासा लेकर मैदान में देर रात तक जमें रहते थे। साथ ही एक से एक करतब दिखाते थे।

उस परंपरा का निर्वहन करते हुए श्याम जी गुप्ता और उनके सभी भाई एक स्वर में साथ निभाते हैं। जब कभी भी चाहे किसी भी धर्म का ताजिया या रथयात्रा निकले उसमें बढ़-चढ़कर भूमिका निभाते हैं। डुमरांव चौक पर देर रात तक इनके दुकान के समक्षा कार्यक्रम चलता रहता है और इस परिवार की तरफ से बाहर से आए तमाम कलाकारों की सेवाभाव की जाती है। अगर ऐसे परिवार से कोई मैदान में होता है तो यह उम्मीद की जा सकती है कि सच में डुमरांव नगर परिषद की गरिमा आगे भी बरकरार रहेगी और आगे इस परिषद क्षेत्र का समुचित विकसित होने की उम्मीद की जा सकती है।

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