पंचायतों के विकास के लिए नीतीश सरकार के कार्य ही जीत का मंत्र : प्रो. रणबीर नंदन

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पटनाः जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता, पूर्व विधान पार्षद और पटना स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के जद यू सह प्रभारी प्रो. रणबीर नंदन ने कहा है कि पटना स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी के एनडीए समर्थित जदयू के सुयोग्य एवं कर्मठ उम्मीदवार बाल्मीकि सिंह की जीत सुनिश्चित है। सभी वोटरों से आग्रह है कि चार अप्रैल को मतदान में हिस्सा लें और पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एन. डी. ए. प्रत्याशी वाल्मीकि सिंह के पक्ष में वोट करें।
डॉ. नंदन ने कहा कि बिहार में आज पंचायती राज संस्थाएं अगर मजबूत हैं तो इसके पीछे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का योगदान है। पंचायतों में लीडरशिप विकसित करने के उद्देश्य से पिछले 17 सालों में पंचायतों को इतने अधिकार दिए गए हैं कि अब कॉरपोरेट घरानों की नौकरी छोड़कर बिहार की बेटियां पंचायतों की सेवा में आई हैं। पंचायतों को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार की ओर से किए गए लगातार सुधारों का नतीजा है कि इन संस्थाओं ने अपनी विश्वसनीयता को लगातार बढ़ाया है।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं को गांव या निकाय की सरकार कहा जाता है। आप देखेंगे कि 2005 से पहले ये निकायें तो थीं, लेकिन उनके पास न तो फंड था और न ही कोई अधिकार। माननीय मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायत से लेकर, प्रखंड पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरों में नगर निकाय को काफी ताकत दी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में पंचायती राज विभाग को योजना मद में 1400 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। बिहार में करीब 24 सालों तक पंचायती राज संस्थाओं को निर्जीव रखा गया। यही कारण है कि ग्रामीण स्तर पर योजनाओं को लागू करने में कामयाबी नहीं मिली।
प्रो. नंदन ने कहा कि वर्ष 1992 में 73वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायती राज संस्थाओं की जरूरत बताई गई, इसके 9 सालों के बाद पंचायत चुनाव कराए गए। इसका कारण समझा जा सकता है। चुनाव के बाद भी पंचायतों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया। वर्ष 2006 में बिहार पंचायत राज एक्ट के जरिए नीतीश कुमार की सरकार ने पंचायतों को उनके अधिकारों से लैस किया। ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के बीच योजनाओं के वितरण की उचित व्यवस्था की गई। आज आप देखेंगे कि प्रदेश के 8067 ग्राम पंचायत, 533 पंचायत समिति और 38 जिला परिषदों के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर सरकार की योजनाओं को लागू करने में किस प्रकार से कार्य किया जा रहा है। इसमें करीब 1.15 लाख ग्राम पंचायत वार्ड की भूमिका भी सबसे महत्वपूर्ण है।
प्रो. नंदन ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश ने त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत में महिलाओं को 50 फीसदी का आरक्षण देकर सरकार की सबसे छोटी इकाई में क्रांति ला दी है। घर संभालने वाली महिलाएं अब वार्ड, पंचायत, प्रखंड और जिला को संवारने में जुटी हैं। यह बिहार के विकास के लिए काफी लाभकारी साबित हो रहा है। सरकार की ओर से स्वच्छ गांव-समृद्ध गांव निश्चय योजना चलाई गई है। इसके तहत गांवों की गलियों को भी चमकाने के लिए करीब 150 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सरकार ने ग्रामीण स्तर पर 12 प्रमुख विकास योजनाओं को शुरू कराने का लक्ष्य रखा है। जल जीवन हरियाली मिशन के जरिए गांवों में हरियाली और पानी के स्रोतों को एक बार फिर पुनर्जीवित करने का कार्य चल रहा है। ग्रामीण सड़कें अब टोलों को जोड़ने का कार्य कर रही हैं। कनेक्टिविटी के मामले में कोई भी घर छूट न जाए, सरकार इस मिशन पर काम करती दिख रही है।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पंचायती राज के स्तर पर सबसे बड़ा और सफल कार्यक्रम हर घर को नल से जोड़ने का चलाया गया। आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी लोगों को साफ पानी तक मुहैया नहीं कराया जा सका था। नीतीश कुमार ने न केवल योजना बनाई, बल्कि करीब 98 फीसदी ग्रामीण घरों को इस योजना के दायरे में ले आया गया है। अब सोलर लाइट से ग्रामीण सड़कें चमचमाती दिखेंगी। सात निश्चय पार्ट-2 में इसे शामिल किया गया है। पंचायती राज संस्थाएं इन योजनाओं को सही प्रकार से लागू कराने का कार्य कर रही हैं। वार्ड पार्षदों को अब नल-जल की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है। इसके लिए सरकार की ओर से 5000 रुपये दिए जाएंगे। इसमें 2000 रुपये मानदेय और गड़बड़ियों को दुरुस्त कराने के लिए 3000 रुपये होंगे। इसका सीधा लाभ अब आम ग्रामीणों को मिलने वाला है।
डॉ. नंदन ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में पंचायती राज विभाग का बजट 9801.45 करोड़ का हो गया है। इसमें स्थापना और प्रतिबद्ध व्यय पर 8500.67 करोड़ और योजना मद में 1300.74 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगर आप वर्ष 2004-05 का बजट देखेंगे तो उस समय कुल बजट 23,885 करोड़ का था। पंचाती राज का बजट उस समय के कुल बजट का 40 फीसदी से अधिक हो गया है। पंचायती राज विभाग को उस समय योजना मद में पैसे ही नहीं मिलते थे। केवल वेतन मद में ही बजट का आवंटन होता था।

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