भारतीय क्रिकेट: नवसिखुए से सिरमौर

खेल
  • नीरज सिंह

भारत में क्रिकेट को लाने का श्रेय ब्रिटिश लोगों को ही जाता है। भारत की भूमि पर सर्वप्रथम क्रिकेट मैच 1721 में खेला गया था। देश के सबसे पहले क्रिकेट क्लब की स्थापना 1792 में हुई थी। तत्पश्चात ओरिएंटल क्रिकेट क्लब की स्थापना मुंबई के पारसी समुदाय के लोगों ने 1848 में किया। यह भारतीयों के द्वारा भारतीयों के लिए पहला प्रयास था। धीमी शुरुआत के साथ यूरोप के लोगों ने भारतीयों को पहला क्रिकेट मैच खेलने के लिए 1877 में न्योता भेजा। भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच लंदन के लॉर्ड्स में 25 जून 1932 को खेला। तब टेस्ट क्रिकेट स्टेटस पाने वाली यह दुनिया की मात्र छठी टीम थी। लेकिन अपना पहला टेस्ट मैच जीतने के लिए भारत को 1952 तक यानी लगभग 20 वर्षों का इंतजार करना पड़ा। भारत टेस्ट क्रिकेट के अपने पहले 50 वर्षों में 196 मैचों में मात्र 35 ही जीत सका। पर भारतीय टीम को आने वाले वर्षों में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, कपिल देव और स्पिन चौकड़ी प्रसन्ना, श्रीनिवास वेंकटराघवन, चंद्रशेखर और बिशन सिंह बेदी जैसे खिलाड़ियों के भारतीय टेस्ट क्रिकेट के क्षितिज पर पदार्पण से काफी बल मिला। भारतीय क्रिकेट टीम इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल की पांच बड़ी टूर्नामेंट्स पर भी कब्जा कर चुकी है। इनमें दो क्रिकेट वर्ल्ड कप (1983 और 2011) एक आईसीसी T20 वर्ल्ड कप (2007) और दो आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी (2002 और 2013) शामिल हैं।

बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ भारतीय अपने उम्दा खेल के बदौलत इंग्लैंड की टीम में भी अपनी जगह बनाने में सफल रहे थें। उनमें दो नाम मुख्य थें रंजीत सिंह और दुलीप सिंह। आगे चलकर इन के नाम पर भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण क्रिकेट टूर्नामेंट्स रणजी ट्रॉफी और दुलीप ट्रॉफी का नाम पड़ा।

5 जनवरी, 1971 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला वन डे इंटरनेशनल मैच मेलबोर्न ग्राउंड पर खेला गया। इसके साथ ही क्रिकेट के इतिहास में एक नई ही सुबह का आविर्भाव होता है। नए ज़माने और नए लोगों के बदलते विचार के साथ क्रिकेट भी अपना रूप बदल रहा था। उपभोक्तावाद (consumerism) मानव से संबंधित हर चीज को अपनी गिरफ्त में ले रहा था। क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं रहा। संचार के साधन सिनेमा हॉलों के पर्दों से होकर टीवी के रूप में हर घर के दीवारों से होते हुए हर हाथ में मौजूद मोबाइल की वास्तविक और आभासी दुनिया में गोते लगा रहे थें। जो चीजें पहले सदियों में बदलती थीं वे अब दशकों में बदलने लगीं। उपभोक्तावाद में लाख बुराइयां हों, पर वह व्यक्तिवाद यानी प्रत्येक व्यक्ति की आजादी की राह को प्रशस्त करता है। टेस्ट क्रिकेट नए वक्त में अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए जद्दोजहद में हैं। पर वे फर्स्ट क्लास क्रिकेट के सर्वोत्तम उदाहरण हैं, इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

भारत में क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली संस्था बीसीसीआई (Board of Control for Cricket in India) है। यह भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है। यह एक स्वायत्तशासी संस्था है और भारतीय राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण से स्वतंत्र है। बोर्ड की स्थापना 1928 में एक सोसाइटी के रूप में हुई थी। यह भारतीय खेल मंत्रालय से किसी प्रकार का कोई ग्रांट या फंड हासिल नहीं करता है। यह भारत के राज्य क्रिकेट संस्थाओं का एक समूह है जो अपने-अपने राज्यों में अपने अध्यक्षों को चुनते हैं और वे सारे मिलकर बीसीसीआई के अध्यक्ष को। इसका मुख्यालय वानखेड़े स्टेडियम मुंबई में स्थित है। यह दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। फाइनेंशियल ईयर (2018-2019) के अनुसार इसका कुल ऑपरेटिंग बजट 21,560 करोड़ रूपया है।

लेकिन विश्व क्रिकेट में एक अप्रतिम या भीषण बदलाव होना तो अभी बाकी ही था, क्विक क्रिकेट 20-20 और आईपीएल के रूप में। टेस्ट क्रिकेट जहां 5 दिनों तक खेला जाता है, एक दिवसीय दिन-भर, वहीं T20 सिर्फ एक पारी का खेल है जो मुश्किल से 4 या 5 घंटे में खत्म हो जाता है। अपने धूम-धड़ाके, जल्दी निर्णय और रंग-बिरंगे सेटअप के कारण यह हमारे मिल्लेनियल्स को खूब रास आ रहा है। यह अधिकतम 20 ओवर्स का ही मुकाबला होता है। इसका शुभारंभ इंग्लैंड में 2003 में हुआ था। आजकल टी20 टूर्नामेंट के तौर पर सारे भारत में इंडियन प्रीमियर लीग की धूम है। बीसीसीआई के उपाध्यक्ष ललित मोदी ने 2007 में सर्वप्रथम इसकी शुरुआत की थी। आज की तारीख में इसके तहत 10 टीमें खेलती हैं जो भारत के अलग-अलग शहरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये टीमें हैं मुंबई इंडियंस, कोलकाता नाइट राइडर्स, राजस्थान रॉयल्स, दिल्ली कैपिटल्स, लखनऊ सुपरजाइंट्स, चेन्नई सुपर किंग्स, हैदराबाद सनराइजर्स, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु, पंजाब किंग्स और गुजरात टाइटंस। चाहे अनचाहे आईपीएल मुकाबलों ने भारत को क्रिकेटिंग दुनिया के केंद्र में स्थापित कर दिया है।

भारत सिर्फ एक देश ही नहीं एक प्रायद्वीप भी है, जिसकी आबादी 135 करोड़ है। सारी मानवता का पांचवा भाग। हम सिर्फ कोरी जनसंख्या ही नहीं, उपभोक्ता भी हैं। सिर्फ यही कारण है कि आईपीएल भारत के अलावा कहीं और सफल नहीं हो सकता। सामूहिक तौर पर हम एक विशाल एकीकृत पिंड हैं। आइए इसे दूसरे तरीके से समझने की कोशिश करते हैं। स्टार इंडिया जिस का मालिकाना हक डिज्नी के पास है, 5 साल के लिए आईपीएल का मीडिया राइट्स होल्डर है। मतलब 2018 से 2022 तक टेलीविजन, डिजिटल और रेडियो के द्वारा एडवर्टीज़मेंट से कमाने का अधिकार स्टार इंडिया को है। इस अधिकार को उसने खुले ऑक्शन में 16347.5 करोड़ में खरीदा था। इसके पहले 10 सालों के लिए यह अधिकार सोनी के पास था। इस साल 2 टीमों गुजरात टाइटंस और लखनऊ सुपरजाइंट्स के शामिल हो जाने से मैचों की संख्या 60 से 74 हो जाएंगी। लोगों की आशाएं, अपेक्षाएं और उमंगे भी अपनी उबाल पर हैं। आईपीएल के प्रति जुनून पहले से ही युवाओं के सर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में इस बार के मीडिया राइट्स ऑक्शन में बीसीसीआई की उम्मीद अगर 40,000-50,000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जुटा लेने की उम्मीद है तो इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है। 2023 से 2027 तक के लिए मीडिया राइट्स खरीदने की होड़ में इस बार स्टार नेटवर्क और ज़ी-सोनी के अलावा रिलायंस वायकॉम18 भी अपनी आक्रामकता दिखाएगा। जबकि अलग से डिजिटल स्पेस के लिए बीसीसीआई के संभावित बोलीदाता अमेजॉन प्राइम, मेटा और यूट्यूब हो सकते हैं।

दूसरे मायने में आईपीएल का कोई विकल्प नहीं है। इसके तहत हर साल खिलाड़ियों की बोली लगती है। दुनिया के लगभग सारे बेहतरीन खिलाड़ी प्रत्येक वर्ष दसों टीमों में विभक्त हो जाते हैं। उन पर पैसों की तो जैसे बरसात होती है। आईपीएल-2022 दो दिवसीय मेगा ऑक्शन में 204 खिलाड़ियों पर कुल 5 अरब, 51 करोड़, 70 लाख रुपए की बोली लगी। इनमें 67 विदेशी खिलाड़ी थें। इसमें पटना के ईशान किशन सबसे महंगे खिलाड़ी रहे। उन्हें मुंबई ने 15 करोड़ 25 लाख रुपए में अपने साथ जोड़ा।

आईपीएल से देश को या यूं कहें दुनिया को दोहरे फायदे हैं। पहला तो यह तुरत-फुरत हाई डेसीबल इंटरटेनमेंट हमें हमारे घरों में ही उपलब्ध करा देता है। और दूसरे यह नवोदित खिलाड़ियों को संवारने और उदित होने में बहुमूल्य सहयोग भी करता है। अत:, दूसरे मायने में आज की तारीख में दुनिया की क्रिकेट राजधानी अगर कोई देश है तो वह भारत ही है। भारत के बिना विश्व क्रिकेट की कल्पना आज नहीं की जा सकती। आइए जश्न मनाएं क्रिकेट के सिरमौर भारत के उदय का।

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