बिलावल ने आखिरी बॉल उछाली और इमरान आउट

विदेश

*सत्ता परिवर्तन से भारत-पाक रिश्तों में आएगी सुधार?

*पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई हैं शहबाज

इस्लामाबाद/लाहौर: विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की विदाई के बाद वहां बनने वाली नयी सरकार का नेतृत्व शहबाज शरीफ के हाथों में संभवत: आने से भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं को द्विपक्षीय संबंधों पर जमी बर्फ को पिघलाने की पहल करने की राह नजर आ सकती है.
पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ की गत वर्षों में ऐसे व्यक्ति की छवि बनी है जो कठिन कार्यों में परिश्रम के लिहाज से कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ता.
जियो टीवी के एक प्रस्तोता ने कुछ दिन पहले जब उनसे पूछा था कि उनके नेतृत्व में अमेरिका से संबंध किस तरह के होंगे तो शहबाज ने जवाब दिया था, ‘‘भिखारी कभी चुनाव करने वाला नहीं हो सकता.’’ उनकी इस टिप्पणी की तुलना तत्काल उनके प्रतिद्वंद्वी खान की ‘‘विदेश नीति में सम्मान के भाव’’ वाली टिप्पणी से की जाने लगी.
उन्होंने कहा, ‘‘शहबाज के नेतृत्व में पाकिस्तान, भारत के लिए नयी नीति के साथ आएगा. मूल बात है कि इमरान खान शासन के पास भारत को लेकर कोई नीति नहीं थी या कमजोर थी, जिसने भारत को कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने की अनुमति दी और खान केवल असहाय होकर देखते रह गए.’’
प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक डॉ. हसन अस्करी ने कहा कि सबसे पहले भारत और पाकिस्तान को संवाद शुरू करना चाहिए जिसे भारत ने वर्ष 2014 से ही स्थगित कर रखा है क्योंकि जब तक वे बातचीत शुरू नहीं करते तब तक आगे नहीं बढ़ा जा सकता. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि भारत ने वार्ता स्थगित की है, इसलिए इसे बहाल करने की जिम्मेदारी भारत पर है. पाकिस्तान की किसी सरकार ने सार्थक संवाद का विरोध नहीं किया है.’’
इमरान खान वर्ष 2018 में सत्ता में आए तो भारत के साथ संबंधों को दोबारा बहाल करने का वादा किया लेकिन जल्द ही दोनों देशों के रिश्तों में पुलवामा आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि में खटास आ गई. उन्होंने कहा कि हालांकि, तूफान तो गुजर गया लेकिन उसके पीछे संबंधों में आई दरार को जल्द भरे जाने की गुंजाइश नहीं रही.
शहबाज कुछ समय के लिए ही सत्ता में रह सकते हैं क्योंकि कई विपक्षी दलों ने संकेत दिया है कि जरूरी सुधार, खास तौर पर चुनाव से जुड़े सुधार किए जाने के बाद नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे. ऐसे में भारत को लेकर किसी भी तरह की रियायत ऐसे समय में खान को सियासी हमला करने का मौका देगी.
पीएमएल-एन की प्रवक्ता उज्मा बुखारी ने कहा कि शहबाज सत्ता में आने के बाद भारत पर कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘खान के उलट भारत शहबाज नीत पाकिस्तान के गंभीर नेतृत्व से बात करेगा और हमारी चिंताओं को सुनेगा.’’

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