फैज की कविताओं को पाठ्यक्रम से हटाया जाना विश्व साहित्य का अपमान है : राम पुनियानी

विदेश

लाहौर षड़यंत्र में फंसाकर पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें 5 साल जेल में रखा

लखनऊ: सीबीएसई के पाठ्यक्रम से अनेक पाठ हटा दिए गए हैं इनमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फैज अहमद फैज की कविताएं भी शामिल हैं ! फैज अहमद फैज की कविताओं का हटाया जाना विश्व कविता का घोर अपमान है।
एल. एस. हरदेनिया, संयोजक राष्ट्रीय सेक्युलर मंच लेखक एवं चिंतक डॉ राम पुनियानी ने चिंता जताते हुए कहा फैज ऐसे शायर थे जो न केवल अपनी कविताओं में विद्रोही थे नए समाज के स्वप्नदृष्टा थे बल्कि अपनी जिंदगी में भी विद्रोही थे वे अंग्रेजों की फौज में इसलिए शामिल हो गए थे ताकि हिटलर को नेस्तनाबूद करने के वैश्विक अभियान का हिस्सा बन सकें।

पाकिस्तान में रहते हुए उन्होंने वहां लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष किया , लाहौर षड़यंत्र में फंसाकर पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें 5 साल जेल में रखा उन्हें बार-बार जेल जाना पड़ा वे भारत के सच्चे मित्र थे पाकिस्तान में कट्टरपंथी सरकारें स्थापित होती रहीं और फैज को अपने जनवादी रूझान और प्रगतिशील विचारों के कारण बार-बार जेल की यातना झेलनी पड़ी ! फैज अपने जीवन में ही हीरो का रूप धारण कर चुके थे। उनके काव्य में वह ताजगी, रंगीनी, प्रबलता और शक्ति है जो आधुनिक उर्दू साहित्य में नहीं बल्कि आधुनिक विश्व साहित्य में प्रमुख स्थान रखती है जेल में उन्हें न तो कागज मिलता और न ही कलम इसलिए उन्होंने बाद में लिखा *

मता-ए-लौह-ओ-कलम छिन गई, तो क्या गम है कि खूने-दिल में डुबो ली हैं उंगलियां मैं ने जबां पे मुहर लगी है तो क्या कि रख दी है हरेक हलक-ए-जंजीर में जबां मैं ने

हम सभी लोग अधोहस्ताक्षरकर्ता भाजपा सरकार के इस निर्णय की सख्त आलोचना करते हुए मांग करते हैं कि इस निर्णय को वापिस ले कर फैज की कविताओं को पुनः पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाए।

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