भ्रष्टाचारियों के चेहरे से नकाब उतारने का संकल्प लें युवा

आलेख

मनोज कुमार श्रीवास्तव
भ्रष्टाचार की गंगा की सफाई उतनी आसान नहीं है जितना लोग आसानी से सोंचते है।यदि आज के मुठी भर भी युवा पीढ़ी भ्रस्टाचारिओं के चेहरे से पर्दा उतारने का संकल्प ले लें तो देर-सबेर देश से भ्रष्टाचार अवश्य समाप्त हो जाएगा।किसी न किसी को तो इस दिशा में पहल करनी ही होगी।पूरा का पूरा हिन्दुस्तान आज के नई पीढ़ी पर आस लगाये हुए है।आम जनता भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के वास्ते युवाओं से आगे आने की अपेक्षा कर रहे हैं।
भारत में नौकरशाही उसी तरह मजबूत है जैसे जापान और आस्ट्रेलिया में।दोनों देशों में प्रशासन पर शिकंजा नौकरशाहों ने ही कसे हुए हैं।भारत में तो स्थिति इससे भी ज्यादा बुरी है।यदि कोई राजनेता नौकरशाहों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाया तो भ्रष्ट सरकारी अधिकारी या इंजीनियर कोई न कोई दलाल के मार्फ़त मंत्रियों तक पहुंच जाएंगे और प्रयास कर उस राजनेता का पत्ता साफ कर देंगे।राजनेता लाचार होकर उन अधिकारियों की बात में हां में हां मिलते हैं। भारत में तो स्थिति बहुत बुरी है।
यदि भ्रस्ट अधिकारी और इंजीनियर धन कमा कर मंत्रियों को देंगे तो जाहिर सी बात है कि उसमें से कुछ राशि अपने लिए भी रखेंगें।यही कारण है कि अधिकारियों और इंजीनियरों की बड़ी-बड़ी कोठियां देश के बड़े-बड़े शहरों में खड़ी हो जाती है।राजनेताओं की तरह भ्रस्ट अधिकारी भी अपना धन विदेशों के बैंकों में जमा करते हैं।थाईलैंड और मलेशिया में तो इस तरह के धन को जमा करने और निकलने में कोई कठिनाई नहीं है।इस कड़ी में आस्ट्रेलिया भी है जो भारत से दूर नहीं है जहां काला धन आसानी से जमा हो जाता है।
यह सच है कि भ्रष्टाचार की गंगोत्री राजनेताओं से ही शुरू होती है।भ्रष्ट राजनेता ईमानदार राजनेताओं को धक्के देकर और फरेब कर राजनीति से अलग कर देते हैं। राजनेताओं के भ्रष्टाचार के बारे में आए दिन तरह-तरह की कहानियां सुनने में आती है।अक्सर राजनेता कानून की पकड़ से बाहर निकल जाते हैं।यदि कभी गलती से कोई राजनेता पकड़ा जाता है तो विभिन्न टीवी चैनलों पर भ्रष्ट तरीके से उनके कमाए हुए धन के अम्बर को देखकर आम जनता की आंखें खुली की खुली रह जाती है।
राजनेता जो मंत्री होते हैं वे अधिकारियों के मार्फ़त हीं गलत तरीके से विकास के पैसे हजम कर जाते वहैं।कहा तो यह भी जाता है कि अधिकारी इन राजनेताओं को खासकर नए मंत्रियों को को यह गुर सिखाते हैं कि विकास का धन कैसे लूट जाए।माना जाता है कि सार्वजनिक धन के लूट का सबसे अच्छा जरिया ट्रांसफर-पोस्टिंग है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व० राजीव गांधी ने कहा था कि विकास के लिए जो धन केंद्र से राज्यों को बेजा जाता है तो उसका एक रुपया में केवल 15 पैसा ही आम जनता तक पहुंच पाता है।शेष धन बिचौलिए उड़ा ले जाते हैं।शेष धन समाज के दबंग भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। बिहार जैसे पिछड़े राज्य में पिछलेअनेक वर्षों से एक कहावत मशहूर है कि विकास का धन एक तरह से लूट का धन है।जिसे सभी भ्रष्ट लोग ईमानदारी से आपस में बांट कर खा जाते हैं और आम जनता ठगी की ठगी रह जाती है।। अक्सर भोली-भाली आम जनता द्वारा कहते हुए सुना जाता है कि देश की बर्बादी के लिए राजनेता ही जिम्मेदार हैं।
भ्रष्टाचार के दलदल में फंसकर देश हो रहा बर्बाद,पैसे की राजनीति लोकतंत्र के लिए घातक है।आज देश में सत्ता से पैसा और फिर पैसों से सत्ता का खेल चल रहा है।जो लोकतंत्र के लिए घातक है।भ्रष्टाचार के दलदल में फंसकर देश कराह रहा है।अन्नदाता भूखे मर रहे हैं लेकिन सरकार उद्दोगपतियों की चिंता करने में लगी है।देश किसानों का है लेकिन किसान देश में बेगाने हो गए हैं।देश में राजनीतिक एवं नौकरशाहों का भ्र्ष्टाचार बहुत व्यापक है।साल 1963 में भारत में भ्रष्टाचार के खातमें पर संसद में हुई बहस में डॉo राम मनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वो आज भी प्रासंगिक है। डॉo लोहिया ने कहा था की सिंहासन और व्यापार के बीच सम्बंध भारत में जितना दूषित,भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है।भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

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