लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की भारत में स्थिति हाशिये पर

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“आरएसएफ 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के तीन पत्रकार संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘ नौकरी की असुरक्षा बढ़ी हैं, वहीं प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। इन सब वजहों से ही भारत ने रैंकिंग में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।“

लोकतंत्र को चौथा स्तंभ होता है प्रेस। इसकी आजादी और स्वतंत्रता को लेकर तमाम बातें की जाती हों, लेकिन भारत में इसकी स्थिति ठीक नहीं है। अनगिनत मीडिया हाउस वाले भारत में प्रेस की स्वतंत्रा चिंताजनक है और इस मामले में भारत लगातार पीछे जा रहा है। ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (आरएसएफ) द्वारा जारी रिपोर्ट कह रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 150वें नंबर पर है जबकि पिछले साल भारत 142वें नंबर पर था।
नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग भी काफी गिरी है। आरएसएफ 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार, नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल वह 106वें नंबर पर था। वहीं पाकिस्तान को 145वें, श्रीलंका को 127वें, बांग्लादेश को 152वें और म्यांमार को 140वें स्थान पर रखा गया था। पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें स्थान पर है। यह रैंकिंग कुल 180 देशों की है।
स्वतंत्रता के मामले में इस साल नॉर्वे पहले नंबर पर, डेनमार्क दूसरे नंबर पर, स्वीडन तीसरे नंबर पर, एस्टोनिया चौथे नंबर पर और फिनलैंड पांचवें नंबर पर है। रैंकिंग में उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है। वहीं यूक्रेन से युद्ध कर रहे रूस को इस रैंकिंग में 155वें नंबर पर रखा गया है, जबकि पिछले साल वह 150वें स्थान से नीचे था। वहीं चीन इस बार 175वें स्थान पर आ गया है, पिछले साल चीन 177वें स्थान पर था।
अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि, ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और नौ अन्य मानवाधिकार संगठन भारतीय अधिकारियों से पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को उनके काम के लिए निशाना बनाना बंद करने का आग्रह करता है।’ भारत सरकार को विशेष रूप से आतंकवाद और देशद्रोह कानूनों के तहत उन पर मुकदमा चलाना बंद कर देना चाहिए।’
रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) ने कहा कि ‘भारतीय अधिकारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए, राजनीति से प्रेरित आरोपों में हिरासत में लिए गए किसी भी पत्रकार को रिहा कर देना चाहिए और उन्हें निशाना बनाना व स्वतंत्र मीडिया का गला घोंटना बंद करना चाहिए।’ आरएसएप ने आगे कहा है कि, ‘अधिकारियों द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाने के साथ-साथ असहमति पर व्यापक कार्रवाई ने हिंदू राष्ट्रवादियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से भारत सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को धमकाने, परेशान करने और दुर्व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।’

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