R.K.Sinha

मनु भाकर क्यों बन गयीं सभी खिलाड़ियों के लिए आदर्श

आलेख

आर.के.सिन्हा

निशानेबाज मनु भाकर को अब सारा देश जानता है। पेरिस ओलंपिक खेलों में दो कांस्य पदक जीतने वाली मनु भाकर  25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में भी चौथे स्थान पर रहीं। उनके  पेरिस ओलंपिक  खेलों में अभूतपूर्व प्रदर्शन से सारा देश प्रसन्न है। मनु भाकर सिर्फ अचूक निशानची ही नहीं हैं। वो तो देश के अधिकतर खिलाड़ियों के लिए भी एक तरह से प्रेरणा हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा पर भी हमेशा भरपूर ध्यान दिया। हरियाणा के झज्जर शहर की रहने वाली मनु भाकर ने 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड की परीक्षाओं में 90 पर्सेंट से अधिक अंक अर्जित किए। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्लाय के लेडी श्रीराम कॉलेज (एलएसआर) से पालिटीकल साइँस आनर्स की डिग्री भी ली। एल० एस० आर० देश का चोटी का महिला कॉलेज माना जाता है। नोबल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की शिखर नेता आंग सान सू ची यू ने 1964 में इसी लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। मुन भाकर का लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ना इस बात की गवाही है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पर भी हमेशा फोकस रखा। इधर बीते कुछ सालों से हमारे अपने देश के बहुत सारे  नामवर खिलाड़ियों ने स्कूल के बाद आगे की पढ़ाई नहीं की। ये कोई बहुत आदर्श स्थिति नहीं मानी जा सकती। आप कितने ही बड़े खिलाड़ी क्यों न हो जाएंपर आप बेहतर इंसान और नागरिक तो ढंग से पढ़-लिखकर ही बनते हैं। महान फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामीक्रिकेटर अजीत वाडेकर और सुनील गावस्कर उन खेलों की दुनिया के शिखर नाम रहे हैंजिन्होंने खेल के मैदान में जौहर दिखाते हुए अपनी पढ़ाई को नजरअंजाद नहीं किया।   चुन्नी गोस्वामी और अजीत वाडेकर तो स्टेट बैंक में अहम पदों पर इसलिए पहुंचे क्योंकि इनके पास सही डिग्रियां थीं। सुनील गावस्कर बीते पांच दशकों से सक्रिय हैं। पहले क्रिकेटर के रूप में और बाद के दशकों में बतौर लेखक और कमेंटेटर के। उनके पास  क्रिकेट की गहरी समझ के अलावा शब्दों का भंडार भी है। वैसे खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने के आधार पर नौकरी तो बहुत सारे खिलाड़ियों को मिल ही  जाती हैं। माफ करेंकई कथित खिलाड़ियों को जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर भी नौकरियां मिलती रही हैं। यह भी सबको पता है। 

सारी दुनिया ने मनु भाकर को बीत दिनों मीडिया को इंटरव्यू देते हुए देखा। इतनी छोटी सी उम्र में वह कितने धीर-गंभीर अंदाज में अपनी बात रखती है। वह गीता का उदाहरण देते हुए सफलता के मर्म को समझाती है। मनु भाकर हिन्दी और अंग्रेजी में पूरे विश्वास के साथ सवालों के जवाब देती है। यही सही शिक्षा सिखाती भी  है। आप पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के अधिकतर खिलाड़ियों को देख लें। जावेद मियांदादइंजमाम उल हकशोएब अख्तर जैसे मशहूर खिलाड़ियों ने खेल के मैदान में भले ही बेहतरीन प्रदर्शन किए होंपर वे जब बोलते हैं तो सच में बहुत अफसोस होता है कि बेहतर शिक्षा ना मिलने के कारण वे अपने व्यक्तित्व निर्माण में कितना पिछड़ गए। वे इंटरव्यू देते वक्त पूरी तरह से  सड़क छाप ही लगते हैं।

बेशक,शिक्षा ही जीवन का आधार है और बिना शिक्षा के मनुष्य का जीवन अर्थहीन व दिशाहीन हो जाता है। एक सफल  जीवन में सार्थक शिक्षा का विशेष महत्व होता है। शिक्षा जीवन का आधार हैऔर शिक्षा से ही मनुष्य अपने जीवन में आगे बढ़ता हैसही गलत में अंतर कर पाता है। 

शिक्षा और संस्कार एक-दूसरे के पूरक हैं। अगर आपके संस्कार सही है तो आपकी शिक्षा भी सही दिशा में जाएगी। मनु भाकर और दूसरे खिलाड़ियों के कोचों का दायित्व है कि वे युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाएंताकि आने वाला कल अच्छा हो। उन्हें शिक्षा के महत्व की जानकारी दें।

 मनु भाकर के अलावा भी हमारे यहां बहुत सारे खिलाड़ी साबित करते रहे हैं कि खेलों में सफलता के साथ-साथ पढ़ाई करना भी संभव है। यह सट है कि पेशेवर खिलाड़ी बनने के लिए बहुत समर्पण और मेहनत चाहिए। इसके अलावाव्यक्ति को अपने खेल के शिखर पर पहुंचने के लिए बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है। तमाम कठिनाइयों और संघर्षों के बीचअधिकांश एथलीटों के लिए पढ़ाई पीछे छूट जाती है। पर इस तरह के खिलाड़ियों की भी कोई कमी नहीं हैजिन्होंने अपने खेल और पढ़ाई के बीच सही संतुलन बनाया और दोनों क्षेत्रों में कामयाबी हासिल की है। ये व्यक्ति बौद्धिक और शारीरिक शक्ति का शानदार उदाहरण हैं। 

भारतीय क्रिकेट टीम के हाल तक कोच रहे राहुल द्रविड़ को दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने सभी प्रारूपों में 23,000 से अधिक रन हैं। राहुल द्रविड़ ने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री भी हासिल की हैजिसे उन्होंने बैंगलोर के सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कॉमर्स से प्राप्त किया। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुने जाने से पहलेवह एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे। कर्नाटक और भारतीय टीम में राहुल द्रविड़ के साथी

अनिल कुंबले ने सभी प्रारूपों में 900 से अधिक विकेट लिए हैं और टेस्ट और वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। कुंबले भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और कोच भी रहे हैं। उनके पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है।

 अब शतंरज के महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद की बात कर लेते हैं। विश्वनाथन आनंद पहले भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं। वह पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन हैं और उन्हें शतरंज के सर्वकालिक महानतम खिलाड़ियों में से एक माना जा सकता है। शतरंज के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों ने उनकी शिक्षा को बाधित नहीं किया। उनके पास चेन्नई के लोयोला कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री है। यह हरेक इंसान को समझन होगा कि

हमारे जीवन में शिक्षा का क्यों इतना महत्व है और हर व्यक्ति को शिक्षित होना क्यों जरूरी हैसबसे जरूरी बात यह है किशिक्षा हमें निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है। शिक्षित लोग अपने जीवन के बारे में बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। इसके अलावाशिक्षा हमें समाज में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाती है। शिक्षित लोग अपने आसपास की दुनिया को बेहतर बनाने में योगदान दे सकते हैं। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। मनु भाकर यह साबित करती है कि हरेक इंसान के लिए शिक्षा कितनी अहमियत रखती है।

(लेखक  वरिष्ठ संपादकस्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *