असंगठित श्रमिकों तथा SC/ST के अधिकार को लेकर दी गई जानकारी

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बक्सर – असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के बारे में आमलोगों को जानकारी देते हुए पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अरियांव पंचायत गांव में बताया कि भारत में कुल कार्यबल का 90%असंगठित कामगार हैं। असंगठित कामगार की परिभाषा में ठेका श्रमिक,घरों में काम,घरों पर रहकर काम करने,कृषि कामगार,बंटाईदार, बंधुआ मजदूर, महिला और बाल श्रमिक, वृद्ध मजदूर आदि शामिल हैं।असंगठित क्षेत्र में छोटे व्यवसाय शामिल हैं जो सरकारी दिशा-निर्देशों या विनियमों क् पालन नहीं करते हैं।यहां नौकरियां कम वेतन वाली होती हैं और अक्सर नियमित नहीं होती।ओवरटाइम, सवेतन छुट्टियां, बीमारी के कारण छुट्टी, आदि का कोई प्रावधान नहीं है।रोजगार सुरक्षित नहीं है।लोगों को बिना किसी कारण के नौकरी छोड़ने को कहा जा सकता है।
यह कार्यक्रम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बक्सर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनन्द नन्दन सिंह एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल के मार्गदर्शन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती के द्वारा किया गया।मौके पर सुभाष गोस्वामी ,लड्डू साह पंच,मो0 इरफान वार्ड पार्षद, अख्तर अली, शान्ति देवी,, मो0 आफताब,मो0 परवेज, समाज सेवी लाल मोहम्मद, चम्पा खातून,विकास महतो,मो0 जलालुद्दीन, मो0 कमरान के अलावे लोग मौजूद थे।
असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 के अनुसार सरकार के लिए जीवन और विकलांगता सुरक्षा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ,वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से सम्बंधित मामलों पर उपयुक्त कल्याणकारी योजनायें बनाकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना अनिवार्य है।
पीएलवी अनिशा भारती ने कहा कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री आरोग्य योजना, वर्ष 2019 में असंगठित श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के लिए मासिक पेंशन योजना शुरू की थी।इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मनरेगा,दीनदयाल ग्रामीण कौशल योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि।
मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)1989 संसद का एक अधिनियम है जो एससी/ एसटी के सदस्यों के खिलाफ होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए बनाया गया है।इस अधिनियम के तहत इन अपराधों के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई और पीड़ितों को राहत और पुनर्वास दिया जाता है।इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक जगह पर एस सी/एस टी के लोगों का अपमान या धमकाने पर दंड का प्रावधान है।
अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि इस अधिनियम के तहत छुवाछुत से जुड़े अपराधों के लिए सजा बढ़ा दी गई है।मृतक की विधवा या आश्रितों को 3000/-रुपयाप्रतिमाह,पीड़ित बच्चे की शिक्षा और भरण-पोषण का खर्च,चावल,गेहूं, दाल वगैरह की व्यवस्था।इस अधिनियम में 5 अध्याय एवं 23 धारा है।इस एक्ट के उद्देश्य एस सी/एस टी के व्यक्तियों के खिलाफ हो रहे अपराधों के लिए अपराध करने वाले को दंडित करना है।

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