नई दिल्लीः सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट हॉस्पिटल जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने का हमेशा से आरोप लगता रहा है। 50 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की उचित देखभाल नहीं होती है साथ ही सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। यह तथ्य राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों से पता चलता है। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के जारी किए गए रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2019-20 के दौरान सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठाने वाले परिवारों का प्रतिशत 49.9% है। वैसे 2015-16 में ऐसे परिवारों का प्रतिशत 55.1% था।
राज्यवार आंकड़ों कहते हैं कि देश में सबसे ज्यादा बिहार में रहने वाले परिवार (80%) सरकारी स्वास्थ्य सेवा की तलाश नहीं करते हैं। इसके बाद स्थान आता है उत्तर प्रदेश (75%) का। वहीं लद्दाख, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले परिवार सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज्यादा भरोसा करते हैं। यहां ऐसे परिवार 5% से कम हैं। वैसे उत्तर प्रदेश में उन परिवारों के अनुपात में मामूली गिरावट (2015-16 में 80.1% और 2019-21 में 75%) देखी गई, जो आम तौर पर सरकारी सुविधाओं का उपयोग नहीं करते. वहीं इस अवधि के दौरान बिहार में ऐसे परिवारों में 77.6% से 80.2% की वृद्धि दर्ज की गई। सबसे बड़ी छलांग उत्तराखंड में दर्ज की गई, जहां यह 2015-16 में 50.5 फीसदी से बढ़कर 2019-21 में 55.7% हो गई। शहरी क्षेत्रों में 46.9% और ग्रामीण क्षेत्रों में 51.7% परिवारों ने 2019-21 के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र का उपयोग किया, जबकि निजी स्वास्थ्य क्षेत्र का लाभ उठाने वाले परिवारों का अनुपात शहरों में 51.8% और गांवों में 46.4% था।