- मनोज कुमार श्रीवास्तव
दुनिया में कोई देश ऐसा नहीं जो अपने यहाँ घुसपैठ स्वीकार करे।हर देस घुसपैठ को रोकने के लिए कानून बना रखे हैं और उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाता है।बांग्लादेश की तरफ से हजारों की संख्या में रोज भारत आ रहे घुसपैठियों की तरह म्यंमार की ओर से भी बहुत अधिक संख्या में लोगों की घुसपैठ जारी है।म्यंमार में साल 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद भारत में घुसपैठ करने वाली की संख्या में अचानक तेजी आई जो लगातार जारी है।इन चार सालों में इस सीमा से भारत आये घुसपैठियों की संख्या सम्भावित 50,000 से भी ऊपर पहुंच गई है।
बांग्लादेश तीन तरफ से पांच भारतीय राज्यों प0 बंगाल, असम,मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा से घिरा हुआ है।भारत-बांग्लादेश सीमा पर काफी बड़े इलाके में बाड़ नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने अभी तक जमीन नहीं दी है।स्वाभाविक है ऐसे में बांग्लादेशी घुसपैठिए इसका लाभ उठाकर आसानी से भारत में प्रवेश कर जाते हैं।भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों के पास भारतीय नागरिकता के प्रमाण जैसे आधार कार्ड, वोटरकार्ड,पैनकार्ड पहले से मौजूद रहता हैं।यहां तक कि बैंकों में अकाउंट तक होते हैं।
ये देश के उन इलाकों में चले जाते हैं जहां से रोजगार के साधन अधिक है।ये देश के बड़े शहरों में रहते हैं और खुद को प0 बंगाल का निवासी बताते हैं।ऐसे में इनकी पहचान करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह 2014 में कहा था कि देश में लगभग 5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर बैठे हुए हैं।यदि आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाए तो करीब 5 हजार लोग हर दिन बांग्लादेश से भारत आते हैं।
असमिया लोगों के लिए घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है।बांग्लादेशी मुसलमान और अब तो रोहिंग्या भी आ रहे हैं।ये सभी स्थानीय लोगों के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकार छीन रहे हैं।रोजगारों पर कब्जा जमा रहे हैं।सरकार चुपके से अपने यहां रख लेते हैं और उन्हें संरक्षण देते हैं मदरसों का रोल इसमें अहम है।पूरा तंत्र देश भर में मदरसों और मस्जिदों का काम करता है जो न सिर्फ घुसपैठियों के कागजात तैयार करवाते हैं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने तक कि व्यवस्था करते हैं।
कुल मिलाकर देश भर में कई राज्यों में ये घुसपैठिए पहुंच चुके हैं।भारत के संसाधनों का भरपूर उपभोग कर रहे हैं।जो भारत उन्हें सबकुछ देता है वे आज उसी देश से गद्दारी कर रहे हैं।रोहिंग्या एवं बांगलादेशी घुसपैठियों की मदद करने वालों को यह समझना होगा कि यह इनकी मदद कर देश को हर मोर्चे पर कमजोर करने का कार्य कर रहे हैं।प0 बंगाल के रास्ते बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की घटनाएं देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अहम खतरा बनकर उभरी है।पड़ोसी देश के हालात का फायदा आतंकी व आपराधिक लोगों द्वारा उठाने की आशंका है।
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली, एनसीआर सहित देश के प्रमुख महानगरों तथा देश के विशेष समुदाय की सैंकड़ों बस्तियों में घुसपैठिये अवैध रूप से बस गए हैं।लाखों बांगलादेशी घुसपैठिये और रोहिंग्या देश के लिए खतरा बन चुके हैं।शायद ही भारत का कोई बड़ा शहर,कस्बा हो जहां संदिग्ध रूप से बाहरी लोग न बसे हों।इस प्रकार का मुद्दा चुनाव के समय तेजी से उठता है फिर बाद में धूमिल हो जाती है। घुसपैठिये दिल्ली, एनसीआर में हत्या, लूट, चोरी, डकैती और अन्य आपराधिक वारदात के जरिए अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रहे हैं। साम्प्रदायिक हिंसा करने में भी पीछे नहीं है।
भारतीय अर्थव्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से नकली नोटों कार-बार करने और सभी तरह के ड्रग्स की तस्करी भी करते हैं।बांग्लादेशी और रोहिंग्या के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना दिल्ली-एनसीआर है।कारण की इनका दस्तावेज यहां आसानी से बन जाता है।केन्द्र सरकार ने भी मन है कि भारत पहले से ही बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों की घुसपैठ समस्या से जूझ रहा है।सरकार ने कहा है कि भारत में रोहिंग्या के अवैध प्रवास और भारत में रहने की अनुमति देना सिर्फ गैर कानूनी ही नहीं बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी गम्भीर खतरे का मामला है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या साल 2016 में लगभग 2 करोड़ थी जबकि 2001 में 1.2करोड़ था।इस हिसाब से 2001 से 2016 के बीच घुसपैठियों की संख्या 67% बढ़ गई है।यूपीए सरकार के मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल ने बताया था कि साल 2001 तक भारत के 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते थे इनमें सबसे ज्यादा प0 बंगाल में 57 लाख था।तो दूसरे न0 पर असम 15 लाख से ज्यादा।इस पर राजनीतिक हलचल को देखते श्री प्रकाश जी ने यह कहते हुए बयान वापस ले लिया कि डेटा अविश्वसनीय रिपोर्ट्स पर आधारित है।
01 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच लगभग 17,000 बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता मिली थी।पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय कुमार भल्ला ने 2023 में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 1966-1971 के बीच कुल 32,381 विदेशी लोगों की पहचान की गई।इनमें 17,861 लोगों को साल अक्टूबर में FRRO पर रजिस्टर करने के बाद भारतीय नागरिकता मिल गई।06 मई 1997 में संसद में दिए बयान में तत्कालीन गृहमंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने भी स्वीकार किया था कि भारत मदन छुपकर रह रहे अवैध तरीके से घुसपैठियों की संख्या 2 करोड़ के आस-पास है।
अब तक कई आतंकी संगठनों के के कनेक्शन राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) को बंगाल से मिले हैं जो सीधे बांग्लादेश से जाकर जुड़ते हैं।देश विरोधी हर काम में घुसपैठिये लिप्त पाए जा रहे हैं।कई राज्यों से इनकी गिरफ्तारियां भी हो चुकी है इंक़द पास अपने को भारत के नावृक प्रमाणित करने के सभी दस्तावेज हैं।झारखण्ड में आदिवासियों की जमीन और संसाधनों पर कब्जा जमकर जिहाद खण्ड बनाना चाहते हैं।ये गरीब आदिवासियों का हक छीनने का प्रयास कर रहे हैं।घुसपैठ के चलते झारखण्ड की माटी-बेटी पर भी संकट मंडरा रहे हैं।
तमिलनाडु में पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो पता चला कि ये देश के कोने-कोने में फैले हैं।चिंता का विषय है कि इनके बच्चे बहुत ज्यादा है जिससे उनकी पहचान करना ।मुश्किल हो रहा है।यह काम कई राज्यों में राजनीतिक शह पर हो रहा है ताकि वहां की जनसांख्यिकी को बदल ज सके और निर्णायक वोट बैंक तैयार किया जा सके।सत्यापन प्रक्रिया शुरू होते ही बहुत से रोहिंग्या दिल्ली और जम्मू छोड़कर इधर-उधर के इलाकों तथा अन्य राज्यों में खिसक जाते हैं।सत्यापन से सामने आया है कि बहुत से रोहिंग्या घुसपैठियों ने लेनदेन करने या सत्ताधारियों के साथ मिलीभगत कर राशनकार्ड,आधारकार्ड,पैनकार्ड तथा वोटरकार्ड आदि बनवा लिए हैं।
2001 की जनगणना में प्रवासियों की संख्या के बारे में बताया गया है पर अनधिकृत रूप से भारत की सीमा में दाखिल हुए लोगों के बारे में कोई आंकड़ा नही है। भारत में ज्यादा घुसपैठ भारत के इस्लामी करण के लिए हो रहा है। सबसे ज्यादा बांगलादेशी घुसपैठिये प0 बंगाल से आये हैं।प0 बंगाल, असम और बिहार में सबसे ज्यादा घुसपैठिये हैं।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सदस्य देशों को प्रवासी कानून सख्त बनाने को कहा है।आतंकवाद के लिए इसे जरूरी बताया है।भारत यदि NRC की ओर बढ़ रहा है तो यह उसका हक है। 9,91,031 बांगलादेशी वैध दस्तावेज के साथ 1992-97के बीच आये लेकिन वापस नहीं गए।