बक्सरः बक्सर व्यवहार न्यायालय परिसर में उच्च न्यायालय पटना के पत्रांक29085-29160 दिनांक 05 अप्रैल 2025 के आलोक में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी प्रिय रंजन पांडेय द्वारा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष हर्षित सिंह एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल विधिक सेवा प्राधिकरण बक्सर के मार्गदर्शन में मंगलवार को नि:शुल्क कानूनी सहायता की जानकारी आम लोगों के बीच दी गई।
पैनल अधिवक्ता ने बताया कि निःशुल्क कानूनी सहायता मुख्य रूप से समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों के लिए है जो न्याय तक पहुंच का खर्च नहीं उठा सकते।विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 में पात्रता मानदंड बताया गया है। निःशुल्क कानूनी सहायता प्रत्येक गरीब व्यक्ति का अधिकार होता है।यह अधिकार समानता,निष्पक्षता और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के व्यापक सिद्धान्तों से निकटता से जुड़ा है।
लोक अदालत एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां दो पक्षों के बीच बिना किसी खर्च के आपसी सुलह समझौता एवं मध्यस्थता के आधार पर वादों का निपटारा किया जाता है।इसके जरिये फौजदारी,दीवानी सह न्यायालयों के लंबित वादों के लिए प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवादों का समाधान भी सुलह समझौते के माध्यम से किया जाता है।गरीब,असहाय,न्याय से वंचित लोगों को बिना खर्चा के वकील उपलब्ध कराया जाता है। यह व्यवस्था इसलिए बनाया गया है कि कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित नहीं रहे।
गरीब और अशिक्षित आबादी में कानूनी शिक्षा और जागरूकता की कमी है क्योंकि लोग अर्थात उनके लिए उपलब्ध कानूनी सहायता सेवाओं से अनभिज्ञ हैं।जागरूकता की यह कमी कानूनी सहायता आंदोलन के लक्ष्य को बाधित करती है क्योंकि लोग लोक अदालतों और कानूनी सहायता जैसी पहलों से अपरिचित हैं।इसलिए माननीय उच्च न्यायालय निःशुल्क विधिक सहायता की जानकारी लोगों को विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल अधिवक्ता एवं पीएलवी के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है।