रविरंजन आनंद
धनबाद: बाबूलाल मंराडी के विपक्ष के नेता बनने के बाद से कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही झारखंड भाजपा अध्यक्ष पद की कमान किसी अन्य नेता को सौंपी जाएगी। ऐसे भी इस पार्टी में एक नेता, एक पद की परंपरा रही है। बिहार में दिलीप जायसवाल के पास प्रदेश अध्यक्ष के साथ कैबिनेट मंत्री की भी जिम्मेदारी थी। हाल में ही उन्हें एक पद से त्यागपत्र देना पड़ा। इसी तरह बाबूलाल मंराडी को प्रदेश के पार्टी मुखिया की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। इस संबंध में प्रदेश स्तर से लेकर दिल्ली तक चर्चा तेज है। हालांकि अन्य राज्यों में भी संगठन का चुनाव शुरू शुरू है। झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों पर विचार हो रहा है। इनमें मुख्य रूप से रघुवर दास, प्रदीप वर्मा, संजय सेठ और कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र राय शामिल हैं।
प्रदेश अध्यक्ष पद को रघुवर बने पोस्टर ब्वॉय
रघुवर दास ने ओड़िशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद झारखंड की राजनीति सक्रियता बढ़ा दी है। इससे वे मीडिया व राजनीतिक गलियारों में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पोस्टर ब्वाय बन गए हैं। इसलिए कयास लगाया जा रहा है कि अध्यक्ष की कमान उन्हें मिल सकती है। वैसे यह कहना जल्दीबाजी होगा कि राज्यपाल जैसे संविधानिक पद त्यागपत्र दिलवाकर कोई अहम जिम्मेदारी देकर झारखंड में रघुवर की प्रासंगिता को जिंदा रखा जाएगा। हालांकि जितने भी नाम मीडिया और राजनीतिक गलियारे में चर्चा में है, उसमें रघुवर को ही मुख्य दावेदार माना जा रहा है।
पार्टी में विरोध व पुराने विवाद रघुवर की राह में बन सकते बाधक
ऐसे तो रघुवर दास का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है, चाहे पार्टी में हो या पार्टी से बाहर। वह जब मुख्यमंत्री थे तो पार्टी के सरयू राय इनके घोर विरोधी थे। अंत में सरयू राय को ही पार्टी से बाहर जाना पड़ा। आज भी पार्टी का एक तबका रघुवर विरोधी है। यह गुट नहीं चाहता है कि उन्हें प्रदेश की कमान मिले। उसी कालखंड में उनके स्वजन ने जमशेदपुर में भाजपा नेता के साथ मारपीट की थी। इसका विरोघ भी झेलनी पड़ी थी।
बेटे पर राजभवन के अधिकारी को पीटने का आरोप
जुलाई 2024 में रघुवर के पुत्र पर ओड़िशा राजभवन के एक सहायक अनुभाग अधिकारी को पीटने का आरोप लगा था। उस वक्त रघुवर ओड़िशा के राज्यपाल थे। हालांकि इस घटना के कुछ माह बाद ही उन्हें राज्यपाल पद से हटा दिया गया।
प्रदीप की दावेदारी हो सकती मजबूत
प्रदेश अध्यक्ष के लिए प्रदीप वर्मा का नाम मीडिया में तो नहीं चल रहा, लेकिन पार्टी के अंदरखाने चर्चा जोरों पर है। प्रदीप की दावेदारी इसलिए मजबूत बताई जा रही है कि वे गृहमंत्री के करीबी बताए जा रहे है। वर्मा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। अभी झारखंड से राज्यसभा सदस्य हैं। 2014 में झारखंड के तत्कालीन संगठन मंत्री राजेंद्र सिंह ने वर्मा को संघ से लाकर बीजेपी में प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी दिलवाई थी। वे ओबीसी वर्ग से आते हैं। पार्टी में इनके विरोधी नहीं के बराबर हैं। इसलिए अधिक संभावना है कि प्रदीप वर्मा को ही प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सके। दूसरी ओर चर्चा में राज्यसभा सदस्य संजय सेठ और कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय भी हैं। अब झारखंड अध्यक्ष की कमान किसे मिलता है यह तो आने वाला ही समय बताएगा।

रविरंजन आनंद