बिहार में 50,530 करोड़ रुपए के निवेश के लिए समझौता: नीतीश मिश्रा

देश

बिहार में निवेश प्रोत्साहन हेतु देश एवं विदेश के विभिन्न स्थानों में इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया उदाहरणतः- दिल्ली मुम्बई, कोलकाता, बंगलोर, चेन्नई, दुबई, सेन फ्रांसिस्कों (अमेरिका)। 2023 के दिसम्बर में बिहार बिजनेस कनेक्ट, मेगा इवेन्ट का आयोजन किया गया जिसमें 16 देशों से आये 600 से अधिक कंपनियों द्वारा भाग लिया गया। इसमें 278 कंपनियों ने 50.530 करोड़ रूपये के निवेश के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जिसमें से लगभग 36,000 करोड़ रुपये का निवेश सभी औपचारिकताओं के बाद जमीन पर होने जा रहा है। उक्त जानकारी सूचना भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान माननीय मंत्री, उद्योग विभाग नीतीश मिश्रा द्वारा दी गई। उद्योग विभाग के मंत्री द्वारा बताया गया कि उद्योग विभाग बिहार में सक्ष्म से लेकर वहद उद्योगों की स्थापना स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन एवं औद्योगिक विकास तथा रोजगार सृजन हेतु लगातार कार्य कर रहा है।

(क) औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन
(i) विभाग द्वारा विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आकर्षक नीतियां लागू की गयी है।
1. बिहार स्टार्टअप नीतिः बिहार में स्टार्टअप्स प्रोत्साहन देने के लिए।
2. बिहार लॉजिस्टिक्स नीतिः राज्य में लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र के विकास के लिए।
3. चमड़ा और वस्त्र नीतिः चमड़ा और वस्त्र उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए।
4. बिहार निर्यात संवर्धन नीतिः राज्य में निर्यात गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए।
5. बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीतिः राज्य में बायोफ्यूल और हरित ऊर्जा परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए।
6. बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीतिः उद्योगी में निवेश को आकर्षित करने के लिए।

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(ii) निवेश प्रोत्साहन हेतु किये गये कार्यक्रम-विभिन्न गतिविधियों से राज्य एक उभरते हुए व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ। इनके परिणामस्वरूप बिहार में अदानी, जे०के० लक्ष्मी सीमेंट, ब्रिटानिया, न्यूजील, एस०एल०एम०जी०, टाइगर एनालिटिक्स, एच०सी०एल० जैसी बड़ी कंपनियों ने निवेश किया।

(iii) राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद द्वारा राज्य में निवेश करने वाले कंपनियों के प्रस्तावों सिंगल विण्डो के माध्यम से क्लियरेंस दिया जाता है। SIPB (राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड) द्वारा अप्रैल 2023 से अब तक 9,593 करोड़ रूपये के 688 प्रस्तावों को स्टेज-1 अनुमोदन प्राप्त हुआ है। इसके अलावा 3,755 करोड़ रूपये के 305 इकाइयों को वित्तीय मंजूरी मिली है और 3,872 करोड़ रूपये के निवेश के साथ 303 इकाइयाँ कार्यान्वयन चरण में पहुँच चुकी हैं।
इस अवसर पर सचिव श्रीमती वन्दना प्रेयषी ने राज्य में प्रमुख औद्योगिक पार्कों / परियोजनाओं के विकास की निम्नवत् जानकारियाँ दीं।

(ख) प्रमुख औद्योगिक पार्क-
उद्योग विभाग द्वारा बियाडा एवं आयडा के सहयोग से निम्न प्रमुख औद्योगिक पार्क / परियोजनाओं का विकास किया जा रहा है-

1. मेगा फूड पार्क (मोतिपुर, मुजफ्फरपुर) 144 एकड़ में फैले मेगा फूड पार्क का निर्माण 180 करोड़ के परियोजना लागत से कराया है जिसमें खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयाँ स्थापित होगी।
2. इरेडिएशन सेंटर कम पैकहाउस (बिहटा) -53 करोड़ की लागत से निर्मित इरेडिएशन सेंटर से बिहार के खास उत्पादों की गुणवता एवं निर्यात में वृद्धि होगी।
3. इंटीग्रेटेड एक्सपोर्ट पैक हाउस (बिहटा) 9 करोड़ की लागत से निर्मित पैक हाउस वर्तमान में संचालित है तथा इससे फल एवं सब्जियों का निर्यात किया जा रहा है।
4. चमड़ा उत्पाद पार्क (महवाल)- चमड़ा उत्पाद पार्क का निर्माण 940 करोड़ लागत से 62 एकड़ के क्षेत्रफल में महवल, मुजफ्फरपुर में किया जा रहा है जिसमें बेल्ट, जूता, पर्स इत्यादि के उद्यम लगेंगे।
5. 34 एकड़ का चमड़ा क्लस्टर (भेड़ियादांगी, किशनगंज)
6. मल्टीगॉडल लॉजिस्टिक पार्क (MMLP) (फतुहा) – 105 एकड 105 एकड़ में विकास किये जा रहे एम०एल०एल००पी० की स्थापना से कच्चे माल एवं उत्पाद का परिवहन सुगम होगा।
7. इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (IMC) (अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का हिस्सा)- गया में 1670 एकड़ भूमि पर विकसित किया जा रहा है। यह बिहार का अभी तक का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होगा।
8. नवानगर (बक्सर) एवं कुमारबाग (बेतिया) में 125 एकड़ में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस०ई०जेड०) का निर्माण जिससे बिहार से होने वाले निर्यात में वृद्धि होगी।

(ग) रोजगार सृजन-
विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रोजगार सृजन हेतु अवसर प्रदान किये जाते हैं-

1. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत राज्य के कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान की जा रही है। अब तक 34,441 लाभार्थियों को 2696.00 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपये तक की सहायता, जिसमें 5 लाख रुपये का अनुदान और 5 लाख रुपये का सॉफ्ट लोन शामिल है, दी जा रही है।
2. बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है, जिससे राज्य के गरीब परिवार अपने उद्यम की शुरुआत कर सकें। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजनान्तर्गत 40102 लाभुकों का चयन किया गया है जिन्हें प्रथम किस्त के रूप में कुल 200.49 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है।
3. PMEGP (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) के तहत, 2023-24 में 13,598 ऋण स्वीकृत किए गए और 10,552 का वितरण हुआ, जो राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बिहार ने आवेदन अग्रेषण में दूसरा, ऋण स्वीकृत में चौथा और मार्जिन मनी वितरण में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस वर्ष (2024-25 में अब तक 4.021 ऋण स्वीकृत हुए और 1,469 का वितरण किया जा चुका है।
4. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना-बिहार को PMFME योजना के तहत 2023-24 में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला राज्य के रूप में सम्मानित किया गया। 2023-24 में 10343 ऋण स्वीकृत किए गए और 7206 का वितरण हुआ। 2024-25 में अब तक 158.96 करोड़ रूपये की वित्तीय प्रगति हुई है, जो कुल बजट का 73.80% है। इस योजना के अंतर्गत 54,476 रोजगार सृजित किए गए हैं, जिनमें 38,592 पुरुष और 15,884 महिलाएँ शामिल हैं। PMFME योजना का उद्देश्य सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को औपचारिक बनाकर उन्हे वित्तीय, तकनीकी, और व्यासायिक सहायता प्रदान करना है।
5. सिल्क समग्र 2 योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 59.28 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन हुआ और 6.60 लाख मानव-दिवस रोजगार सृजित हुए। इस योजना के तहत 1,100 लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना के तहत 1,000 नए लाभार्थियों के लिए 1,324.16 लाख रूपये का बजट निर्धारित किया गया है।

इस दौरान निदेशक, उद्योग आलोक रंजन घोष ने बताया किः-
(घ) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एम०एस०एम०ई०)- बिहार सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) योजना के तहत 140 करोड़ रूपये का अनुदान आवंटित किया है। यह योजना कोविड-19 के बाद MSMEs की पुनर्बहाली और विकास के उदेशय से चलाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, PM Vishwakarma योजना 17 सितंबर 2023 को शिल्पकारों और कारीगरों के 18 ट्रेडस को समर्थन देने के लिए शुरू की गई। योजना का उदेशय इन ट्रेडस के शिल्पकारों को वित्तीय और व्यावसायिक सहायता प्रदान करना है।

(i) ZeD (Zero Defect Zero Effect) योजना के तहत, बिहार ने केन्द्रीय स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया है। इस योजना के अंतर्गत 81 गोल्ड, 109 सिल्वर, और 18,093 ब्रॉन्ज प्रमाणन दिए गए हैं। इस योजना MSMEs को शून्य दोष और शून्य प्रभाव की उत्पादन प्रक्रिया अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
(ii) MSE-CDP योजना के तहत बिहार को पहली बार चार क्लस्टर की मंजूरी मिली है। इनमें खगड़िया, दरभंगा, सहरसा, और मधेपुरा शामिल है। इन परियोजनाओं के कुल 35.94 करोड़ रूपये का बजट स्वीकृत किया गया। औद्योगिक क्षेत्रों में आंतरितक सड़कों, बाउंड्री वॉल, ड्रेनेज, सोलर स्ट्रीटलाइट्स और निवेशकों के लिए सुविधा केन्द्र विकसित किए जा रहे हैं, ताकि उद्यमों को बढ़ावा मिल सके।
(iii) बिहार MSME को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 96 कार्यशालाएँ आयोजित करने जा रहा है, जिनमें GI (Geographical indication) उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, राज्य में कलस्टर विकास के अंतर्गत भागलपुर और वैशाली में केला कलस्टर और सहरसा में वाटर हायसिंथ कलस्टर विकसित किए जा रहे हैं। इन कलस्टरों का उद्देश्य संबंधित क्षेत्रों की कृषि और परंपरागत शिल्प उद्योगों को बढ़ावा देना है।

(ङ) स्र्टाट-अप बिहार सरकार
बिहार सरकार की स्र्टाटअप नीति के अंतर्गत 2023-24 में 700 स्टार्ट अप्स को पंजीकृत किया गया, जिनमें से 107 महिला नेतृत्व वाले हैं। स्टार्टअप्स को कुल 45. 6 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता दी गई है। साथ ही, इन स्टार्टअप्स को 25 लाख रूपये तक का बिना ब्याज को ऋण और 50 लाख रूपये तक का मैचिंग ग्रान्ट भी दिया जाता है। बिहार में तीन B-Hub सह-कार्याशील स्थान विकसित किए गए हैं, जिनमें 311 सीटों की क्षमता है। IIT पटना और अन्य प्रमुख संस्थानों में 21 इन्क्यूबेशन सेंटर बनाए गए हैं, जो राज्य में स्टार्टअप्स के विकास को समर्थन देंगे। प्रतिवर्ष बिहार इनोवेशन चैलेंज का भी आयोजन किया जाता है जिसमें इनोवेटिव स्टार्ट-अप्स का पुरस्कृत किया जाता है।

(च) हैंडलूम और रेशम विकास
हैंडलूम और रेशम विकास के अन्तर्गत चलाई जा रही योजनाएँ:-

(i) कार्यशील पूंजी योजनाः 2024-25 में 305 लाख रूपये का बजट स्वीकृत किया गया, जिसमें 400 बुनकरों को उनके बैंक खातों में प्रति बुनकर 15,000 रूपये स्थानांतरित किए गए।
(ii) यूआईडी एनग्रेविंग योजनाः 29,053 पावरलूम्स में से 23,007 पावरलूम्स पर यूआईडी नंबर अंकित किए गए है। (iii) इलेक्ट्रिक सब्सिडी योजनाः 795 लाख रूपये की सब्सिडी को सीधे BSP (H) C लिमिटेड, पटना में स्थानांतरित किया गया है।
(iv) छात्रवृत्ति योजनाः 15 छात्रों को भारतीय हस्तशिल्प प्रौद्योगिकी संस्थान (IIHT), पश्चिम बंगाल में नामांकित किया गया है, जहाँ उन्हें 2,500 रूपये प्रति माह छात्रवृत्ति दी जा रही है।
(v) हैंडलूम मार्केटिंग सहायता योजनाः 2024-25 में पटना और गया में राज्य हैंडलूम एक्सपों आयोजित किए जाएंगे।
(Vi) कलस्टर विकास कार्यक्रमः मिरांचक (भागलपुर) और टेकारी-बेलागंज (गया) में 286.34 लाख रूपये की परियोजना लागत के साथ दो कलस्टर स्थापित किए गए हैं।

(छ) बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) औद्योगिक क्षेत्रों के विकास की प्रमुख एजेंसी है। इसके द्वारा मूलभूत सुविधाओं सहित किफायती दरों पर उद्योगों की स्थापना के लिए पारदर्शी तरीके से भूमि का आवंटन किया जाता है। वर्तमान में बियाडा के कुल 85 औद्योगिक क्षेत्र है जिनमें लगभग 2000 एकड़ भूमि आवंटन हेतु शेष है। इसके अलावे कुल 24 लाख वर्गफुट में प्लग एण्ड शेड का निर्माण कराया गया है जिनमें 15.50 लाख वर्गफुट का आवंटन हो चुका है तथा 8.50 लाख वर्गफुट शेष है।

(ज) बिहार फाउन्डेशन- इसका मुख्य उद्देश्य भावनात्मक रूप से राज्य के बाहर, देश-विदेश अवस्थित बिहारी समुदायों को उनके स्वयं के बीच तथा गृह राज्य के साथ जोड़ने का है। संक्षेप में, बिहार फाउन्डेशन के उद्देश्य को ब्रांडिग बॉन्डिंग तथा बिजनेस 3Bs के रूप में चिन्हित किया गया है। फाउन्डेशन के अब तक कुल 28 चैप्टर्स खुल चुके हैं। जिसमें विदेशों में 16 चैप्टर्स एवं भारत में 12 चैप्टर्स है। सोशल मिडिया पर 7.2 लाख फॉलोवर्स के साथ फाउन्डेशन विदेश सम्पर्क कार्यक्रम का भी आयोजन करता है। 20 जुलाई 2024 को पटना स्थित होटल ताज में विदेश सम्पर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

(झ) भविष्य के लिए कार्य योजना- 1 प्राथमिकता वाले क्षेत्र जैसे आई०टी०, वस्त्र एवं चमड़ा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर विशेष ध्यान देते हुए बढ़ावा देना।

2. PPP के आधार पर एग्रो प्रोसेसिंग, नवीकरणीय उर्जा एवं लॉजिस्टिक्स के लिए औद्योगिक आधारभूत संरचना का विकास सुनिश्चित करना।
3. भारत के कुल निर्यात में बिहार की वर्तमान 0.52% सहभागिता को बढ़ाकर 5% तक वृद्धि करना।
4. MSME के सशक्तिकरण हेतु मुजफ्फरपुर बैग कलस्टर की तरह एंकर मॉडल पर उद्योग स्थापित कराना।
5. IMC इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर, गया की तरह नये औद्योगिक क्षेत्रों और कलस्टर का विकास करना।
6. विनिर्माण क्षेत्र के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी०एस०डी०पी०) में वर्तमान (2022-23) 17% योगदान को 27% तक ले जाना।
7. उद्योग जगत के हितधारकों, निवेशकों के साथ सहयोगात्मक भागीदारी करते हुए यह सुनिश्चित करना कि बिहार पूर्वी भारत में निवेश के लिए एक पसंदीदा स्थान के रूप में उभरे।
8. कौशल विकास- कुशल कार्यबल सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सृजन इससे नये उद्योगों की मांगो को पूरा करने में और रोजगार क्षमता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर प्रबंधक निदेशक, BIADA कुंदन कुमार, संयुक्त सचिव उद्योग, रवि प्रकाश सहित विभिन्न परियोजनाओं के राज्य नोडल पदाधिकारीगण एवं विभाग के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

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