पटनाः बिहार विधान परिषद की 7 सीटों के लिए हो रहे चुनाव को लेकर एनडीए के अंदर अभी सियासी गणित सुलझने की बजाए उलझी हुई नजर आ रही है। एनडीए में सीट बंटवारे पर अब तक आधिकारिक तौर पर मुहर नहीं लग पाई है। नीतीश कुमार अपने तरीके से हर मुद्दे पर भाजपा से जो चाहते हैं वो करवा लेते हैं। यह किसी से कहने की जरुरत नहीं बल्कि सबको दिख भी रही है। इस बार 50-50 के फार्मूले पर जदयू 2 सीटों की डिमांड कर रही है। जबकि भाजपा नेता तीन और एक का फार्मूला की बात पर अड़ी हुई है। हालांकि भाजपा और जदयू के बीच चल रही रस्साकशी के बावजूद जनता दल यूनाइटेड में 2 सीटों पर उम्मीदवारों की तलाश जरुर जारी है।
वहीं दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव जो सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। वो भी अपने तरीके से राजनीति करते है। तभी तो उन्होंने फिर से ए-टू-जेड की पार्टी का समीकरण साधा है। अब पिता ही इस फॉर्मूले को साध रहे हैं तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी ए-टू –जेड फॉर्मूले को फॉलो करते हुए सियासी चाल चल रहे हैं। दिलचस्प यह है कि एक आम कार्यकर्ता मुन्नी देवी को लालू प्रसाद यादव ने बिहार विधान परिषद का उम्मीदवार बनाकर एक नई पारी खेली है l इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लगातार चर्चा की जा रही है। एमएलसी चुनाव को लेकर जदयू के अंदर भी एक दिलचस्प खेल खेला जा रहा है। बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी उम्मीदवारों ने सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी में नामांकन भरा ऐसे में तीनों ही उम्मीदवारों ने कहा कि वह लगातार सदन के अंदर बेरोजगारी और तमाम मुद्दों को उठाते रहेंगे।
मामला चाहे जो भी हो लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि एनडीए में नीतीश कुमार और महागठबंधन में लालू प्रसाद की ही ज्यादा चलती है, तभी तो सहयोगी दलों को पीछली पंक्ति में खड़ाकर सियासत करते हैं और उनका कोई विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि सहयोगियों की भी दोनों खेमे में कहीं न कहीं मजबूरी जरुर नजर आ रही है। अब आगे क्या होगा, जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।