कांचीपुरमः भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और पूर्व राज्यसभा सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा ने पुडूचेरी से चेन्नई लौटते वक्त कांचीपुरम पहुंचे। यहां श्री सिन्हा का “ कर्नीगर” कायस्थ परिवारों के द्वारा पूजा-अर्चना के उपरांत सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आर के सिन्हा ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन मेरे जीवन का अविस्मरणीय दिन है। पुडूचेरी से चन्नई लौटते वक्त हम कांचीपुरम गये जहां आदि शंकराचार्य के साथ पुरी पीठ पर आचार्य मंडन मिश्र जी का शंकराचार्य के रूप में अभिषेक कर जब आदि शंकराचार्य कांचीपुरम लौटे तब उनके साथ मिथिला से ही चल रहे सैकडों कर्ण कायस्थ उनके साथ ही कांचीपुरम चले आये जो “ कर्नीगर” कहलाये। इसी “ कर्नीगर” कायस्थ समाज द्वारा स्थापित चित्रगुप्त देवस्थानम में सपत्नीक दर्शन- पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
श्री सिन्हा ने आगे बताया कि दक्षिण भारत के तमिलग्रन्थ करणीगर पुराणम के साथ ही ”विष्णु धर्मोत्तर पुराण” में भी श्री चित्रगुप्त स्वामी के नाम से ज्ञात श्री चित्रगुप्त वशंज माने गये हैं। ”करुणीगर कायस्थों” का उल्लेख मिलता है। इन्हीं श्री चित्रगुप्त स्वामी का एक भव्य मंदिर, मंदिरों की नगरी काचीपुरम में नगर के मध्य में स्थित है। मंदिर का स्थापत्य बहुत सुन्दर, भव्य और गरिमामयी है। मंदिर के गर्भ गृह में, हाथों में कलम दवात लिये हुये भगवान चित्रगुप्त स्वामी के साथ देवी कार्नकी की प्रतिमा स्थापित है। कांचीपुरम तमिलनाडु मे चित्रगुप्त स्वामी मंदिर मेरी समझ से पूरे भारतवर्ष में सबसे सुंदर व विशाल मंदिर है, तमिलनाडु में ‘चित्र पूर्णमी’ नामक एक पब्लिक होली-डे होता है जिस दिन तमिलनाडु राज्य में आधिकारिक अवकाश होता है तथा सभी जातियों के लोग हमारे पूज्य भगवान धर्मलला श्री चित्रगुप्त जी की पूजा करते हैं। एक और बात कि तमिलनाडु में एक समुदाय है जिसका नाम ‘करूनीगर’ है वो भी अपने आप को हमारी तरह भगवान चित्रगुप्त की संतान मानते हैं।