पटना महापौर की दौड़ में कुसुम लता वर्मा बनती जा रही हैं सबकी चहेता कैंडिडेट

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पटना नगर निगम का ‘महापौर’ कौन बनेगा। इसको लेकर चर्चाएं तेज है। इस सीट पर लगातार दो बार भाजपा के नाम पर मेयर बनने वाली महिला के लिए सबसे बड़ी चुनौती देने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त कुसुम लता वर्मा सबसे आगे की कड़ी में खड़ी हैं। कायस्थ कोटे से सबसे अग्रणी भूमिका निभाने वाली कुसुम लता वर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि ये अपने चुनाव मैदान में नहीं उतरी हैं बल्कि कायस्थ समुदाय के लोगों द्वारा इन्हें खड़ा कराया गया है। ये बात अलग है कि यहां सभी अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं मगर कुसुम लता वर्मा का साइलेंट वोट लोगों के लिए कड़ी टक्कर दे सकती हैं।

कुसुम को मिलेगा सबका समर्थन

पटना नगर निगम चुनाव में किसी भी दल का किसी को सपोर्ट नहीं मिल रहा है। ये बात अलग है कि सभी अपने को दलों से जोड़कर दावा कर रहे हैं। स्थानीय विधायकों के समर्थन की बात कर रहे हैं। मगर इससे इतर कायस्थ नेता सुजीत कुमार वर्मा का कथन से इंकार नहीं किया जा सकता है। वो कहते हैं कि कायस्थ के दो विधायक, एक सांसद यहां मौजूद हैं जो कायस्थ जाति से आते हैं। अगर इनको चुनावी रणनीति अपने लिए बेहतर रखना है तो कायस्थ समाज से अलग होकर राजनीति तो कर नहीं सकते ऐसी स्थिति में भले ही ये खुलकर कुछ बोलने से परहेज करते हों मगर इतना तो तय है कि इनका समर्थन कायस्थ नेता जो महापौर के तौर पर मैदान में हैं उनको भरपूर समर्थन मिलेगा। कुसुम लता वर्मा गैरविवादित चेहरा हैं ऊपर से कायस्थ नेता सुजीत कुमार वर्मा की पत्नी हैं। सुजीत वर्मा मूल रुप से कायस्थ के लिए निरंतर काम करते रहते हैं। कायस्थ समाज के लिए पूर्व सांसद सह भाजपा के संस्थापक सदस्य आर के सिन्हा के प्रिय सुजीत कुमार वर्मा की मेहनत और कार्यशैली से प्रभावित होकर श्री सिन्हा ने इनके ऊपर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की जिम्मेदारी सौंपी वहीं इन्हें ‘संगत-पंगत’ का संयोजक बनाया साथ ही चित्रगुप्त पूजा मूर्ति विसर्जन समिति का भी इन्हें संयोजक बनाया गया। सुजीत वर्मा हर किसी के सुख-दुख के साथी हैं, किसी से भी किसी प्रकार की वैमन्सयता नहीं पालते हैं। पटना नगर निगम चुनाव में महिला सीट होने के बाद इस सीट से सुजीत वर्मा से चित्रगुप्त समाज ने सामूहिकतौर पर उनकी पत्नी कुसुम लता वर्मा को उम्मीदवार के रुप में उतारने की अपील की। कुसुमलता वर्मा चुनाव  में उतरने के साथ ही लोगों से जनसंपर्क अभियान चला रही हैं, इन्हें अपनी कायस्थ मतदाताओं के अलावे अन्य जातियों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है।

कायस्थों का वोट निर्णायक

माना जाता है कि पटना का निर्णायक वोट कायस्थों का है। कायस्थ के जितने भी प्रत्याशी मैदान में हैं वो अपने-अपने इलाके तक सीमित हैं, साथ ही चुनाव के दौरान मैदान में नजर आ रहे हैं। सुजीत वर्मा और कुसुमलता वर्मा ही एक मात्र ऐसी उम्मीदवार हैं जो पिछले कई वर्षों से समाज की सेवा में जुटे हुए हैं। इन्हें राजनीति से कोई खास मतलब नहीं था, लेकिन लोगों की अपील पर कुसुमलता वर्मा को मैदान में लोगों ने उतारा है तो जीत भी दिलाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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