देश की राजनीति में जैसे ही नीतीश कुमार ने छलांग लगाई है, उनके खिलाफ आवाजें भी उठने लगी हैं। अगर यकीन नहीं होता तो एक नजर खुद ही दुआडकर देख लीजिए। मेरे कहने का मतलब है की जहां 17 सालों का पुराना साथी नीतीश कुमार का भाजपा उनके खिलाफ हो गई है क्योंकि नीतीश कुमार भी अपनी सियासी पैंतरे बदलने में जुटे हुए हैं। इतना ही नहीं कभी नीतीश बाबू के साए की तरह रहने वाले आरसीपी सिंह भी नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं। सबसे चौकाने वाली बात ये है दोनो स्वजातीय और एक ही क्षेत्र के है और एक दूसरे की चाल से वाकिफ हैं।
अब बात नीतीश कुमार के दिए बयान की इतिहास बदलने नहीं दूंगा, इस पर तल्ख तेवर में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा की अरे भई इतिहास बदलने नहीं दीजिएगा, मगर लिखने तो दीजिएगा न?
और इस पर लंबी चौड़ी ट्वीट कर राजनीतिक गलियारे में उबाल पैदा कर दिए हैं।
नीतीश बाबू , क्या देश का नया इतिहास भी नहीं लिखने देंगे ? क्या आपको इस पर भी आपत्ति है कि देश में एक वर्ष के अंदर कोरोना का टीका बनाया गया ? भारतवासियों को 220 करोड़ से ज़्यादा कोविड वैक्सीन का डोज़ लगाया जा चुका है तथा विश्व के 120 से ज़्यादा देशों को भारत में बनी कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की गई।
आप इतिहास की बात करते हैं नीतीश बाबू , तो इतिहास का विद्यार्थी होने के नाते आपको अवगत करा दूँ कि चेचक(small pox) का टीका बनाने में 200 वर्षों से ज़्यादा का समय लगा था।वर्ष 1980 में UN ने विश्व को चेचक मुक्त घोषित किया।अब आप समझिए , कि एक वर्ष के अंदर अपने देश के वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार के सहयोग से एक वर्ष के अंदर यह असम्भव कीर्तिमान स्थापित किया।इसे आप क्या कहेंगे-इतिहास बदलना या इतिहास बनाना ? आप कुछ भी कहें लेकिन भारतवासियों को इस बात पर गर्व है ,और इसे कहते हैं इतिहास बनाना !
आपको याद है न नीतीश बाबू कि अंग्रेजों ने 200 से ज़्यादा वर्षों तक भारत पर शासन किया। भारत की संपदा लूटकर अपने देश में औद्योगिक क्रांति(Industrial Revolution)की तथा अपने साम्राज्य का विस्तार किया। आज क्या स्थिति है, अपने बूते भारतवर्ष आज विश्व की पाँचवीं आर्थिक शक्ति(5th largest Economy in the World) बन चुका है।जबकि भारत को ग़ुलाम बनाने वाला ब्रिटेन हमसे निचले पायदान पर खिसक गया है। इसे आप कैसे देखते हैं ,इतिहास बदलने के रूप में या इतिहास बनाने के रूप में ?
नीतीश बाबू आपको याद दिला दें कि ऐतिहासिक कारणों से भारतवर्ष, औद्योगिक क्रान्ति से वंचित रह गया था परंतु सूचना क्रांति(information technology) में भारत ने अद्वितीय प्रगति की है । आपको पता है न कि देश में 100 करोड़ से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन धारक हैं,70 करोड़ से ज़्यादा इंटरनेट यूजर हैं एवं बहुत सारे कार्यालय पूरी तरह से पेपरलेस हो गए हैं।इसे आप क्या कहेंगे नीतीश बाबू – इतिहास बदलना या इतिहास बनाना?
याद है न नीतीश बाबू, कि भारत में लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए उस समय की सरकारों को विदेशों से अन्न आयातित करना पड़ता था।आज क्या स्थिति है ? आज , देश अन्न उत्पादन के मामले में न सिर्फ़ आत्मनिर्भर है बल्कि भारत विश्व में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक भी है।देश में कोरोना काल के दौरान, भूख के चलते एक भी भारतीय की मौत नहीं हुई। देश के 80 करोड़ से ज़्यादा लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 5 किलो अनाज प्रति माह उपलब्ध कराया जा रहा है। देश के 10 करोड़ से ज़्यादा किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिवर्ष 6 हज़ार रुपए उपलब्ध कराए जा रहे हैं।बिहार के भी 82 लाख से ज़्यादा किसानों को इस निधि से लाभ दिया जा रहा है।चाहे उस किसान के पास कितनी भी कम ज़मीन हो।इसे आप क्या कहेंगे नीतीश बाबू, इतिहास बनाना या इतिहास बदलना? मन करे तो बिहार के किसानों से पूछ लीजिए ,कि यह सही है या ग़लत?
नीतीश बाबू, आज ग़रीबों का बैंक में खाता है ।उनके घर में गैस का चूल्हा है,हाथ में मोबाईल फ़ोन है । खेती करने के लिए पैसे हैं,घर में अनाज है, चिकित्सा की सुविधा है ,पक्का मकान है, शौचालय है , पेय जल की व्यवस्था है और मन में आत्मविश्वास है।इससे आप सहमत हैं न नीतीश बाबू ? यदि हाँ , तो इसे इतिहास बदलना या इतिहास बनाना कहेंगे?
नीतीश बाबू आपने भी इतिहास रचा है।और वो इतिहास है सत्ता में बने रहने का ! आपको तो पता ही है कि बिहार में सबसे लंबी अवधि तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके रहने का इतिहास आपने बनाया है।लेकिन इस इतिहास को बनाने में आपने जिस प्रकार की पलटी मारी और विश्वासघात किया है ,वह भी एक इतिहास है कि नहीं नीतीश बाबू?
इतिहास बदलने का भी काम आपने किया है नीतीश बाबू ।2005-2010 में आपने जंगलराज समाप्त कर क़ानून का राज स्थापित किया और आज अब पुनः बिहार को आतंक राज के हवाले कर दिया है।यह है इतिहास बदलना नीतीश बाबू , जिस कला में आपका कोई सानी नहीं है ! इस कृत्य के लिए बिहार की जनता आपको कभी माफ़ नहीं करेगी।
नीतीश बाबू ज़्यादा दिल्ली,कोलकाता एवं लखनऊ का चक्कर मत लगाइए।पता चले कि बिहार में ही आपका सूपड़ा साफ़ हो गया !
विश्वासघात ज़िंदाबाद!
अब ऐसे में नीतीश कुमार के लिए भी बयान देना अब आसान नहीं है बल्कि उन्हें भी कदम कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।