- मुरली मनोहर श्रीवास्तव
डेंगू जुलाई से अक्टूबर के बीच हर साल देश के कई हिस्सों में तेजी से फैलता है। इससे बचाव के लिए सरकार सभी से एहतियात बरतने की अपील कर रही है। साथ ही किसी को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए माकूल उपाय भी सरकारी स्तर पर किए गए हैं। दरअसल बरसात के बाद जलजमाव होने से डेंगू का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। डेंगू बुखार मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है। ये मच्छर गंदगी में नहीं, साफ जगह पर पनपते हैं। जो लोग शहरों में साफ-सुथरी जगहों पर रहते हैं, उन्हें डेंगू का खतरा ज्यादा होता है। प्लेटलेट्स कम होना ही डेंगू नहीं है। डेंगू तीन तरह के होते हैं- साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। डेंगू हमरेजिक बुखार,नार्मल डेंगू की तुलना में बहुत ज्यादा गंभीर हो सकता है। इसमें बुखार सिर पर चढ़ जाता है। इसके बाद नाक और मसूड़ों से खून आने लगता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम में जरुरत से ज्यादा बेचैन रहता है, कभी-कभी मरीज होश खो देता है और ब्लड प्रेशर भी कम होने की भी शिकायत पायी जाती है। ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम की डेंगू में सिर्फ जोड़ों में दर्द, तेज बुखार और प्लेटलेट्स की कमी के अलावा भी कई प्रकार के लक्षण नजर आते हैं। इसके अलावा ये लक्षण डेंगू के अलग-अलग प्रकारों से जुड़े रहते हैं। इसमें व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कम होने लगता है, बेचैनी बढ़ती है और वो व्यक्ति बेहोश साथ ही डेंगू से बचाव के लिए तमाम वो उपाय अपनाएं जो इस बीमारी से बचाव में मददगार हो सकते हैं और इस स्थिति से बचा सकते हैं।
बिहार में डेंगू के वर्षवार आंकड़े वर्ष डेंगू के मामले
2017- 1738
2018- 2122
2019- 6667
2020- 493
2021- 633
2022- 13972
डेंगू से बचाव के लिए फॉगिंग एवं एंटी लार्वा दवा का छिड़काव
बिहार सरकार डेंगू से बचाव के लिए हर स्तर पर काम कर रही है। मरीजों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो इसके लिए अस्पताल में अलग से बेडों को रिजर्व रखा गया है। सरकार की तत्परता से नगर निगम द्वारा फागिंग एवं एंटी लार्वा दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। सभी जगह टीम बनाकर एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जा रहा है। पटना के अलावे बिहार के अन्य जिलों में भी सरकारी स्तर पर इसके लिए उपाय कराए गए हैं ताकि डेंगू जैसी बीमारी से लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। इतना ही नहीं जिन घरों में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं, उन्हें मच्छरदानी में रहने की अपील की जा रही है। जबकि मरीजों के घर के 400 मीटर के दायरे में विशेष एंटी लार्वा का छिड़काव एवं फागिंग की जिम्मेदारी टीम को सौंपी गई है। राज्य स्वास्थ्य समिति में डेंगू के लिए कॉल सेंटर सह नियंत्रण कक्ष भी बनाया है। इसके लिए समिति द्वारा नंबर 104 जारी किया गया है। राज्य के पी.एम.सी.एच.,आई.जी.आई.एम.एस., एन.एम.सी.एच. सहित कई अस्पतालों में डेंगू को लेकर विशेष वार्ड बनाए गए हैं। अस्पतालों में डेंगू की जांच कराने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विभाग के मुताबिक, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में डेंगू जांच से संबंधित किट उपलब्ध करा दिए गए हैं।
डेंगू से बचाव के लिए नीतीश सरकार अलर्ट
बिहार में डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर नीतीश सरकार भी अलर्ट मोड में है। डेंगू के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय बैठक कर निर्देश दिया कि अस्पतालों में बेडों की संख्या पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहे और मरीजों को इलाज में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो। ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करायें ताकि मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। सभी जगह डेंगू रोधी दवा का छिड़काव नियमित रूप से करायें। डेंगू रोधी दवा के छिड़काव में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिये। सभी जगह साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था रखें। लोगों को जागरूक करने के लिये व्यापक प्रचार- प्रसार कराया जाए। होर्डिंग, समाचार पत्रों एवं अन्य प्रचार माध्यमों का उपयोग कर लोगों को डेंगू से बचाव के लिये सचेत करने का भी निर्देश दिया है, जिस पर लगातार काम किया जा रहा है। सूबे में किसी प्रकार की डेंगू से अनहोनी न हो इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट हो गई है। अस्पतालों में सभी जरुरी चीजों का इंतजाम रखा गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अस्पतालों में बेड, चिकित्सक और दवा की कोई कमी नहीं हो इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी जिलों के जिला पदाधिकारियों को भी इस पर नजर बनाये रखने के साथ-साथ पीड़ित का तुरंत इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। अस्पतालों में बेडों की संख्या पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने, ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित कराने तथा सभी जगह डेंगू रोधी दवा का छिड़काव नियमित रूप से कराने के भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं।