डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा (बिहार)
एशिया महादेश की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा एजेंसी एसआईएस (SIS) भारत और दुनिया के कई देशों में सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ लोगों की जान बचाने को लेकर समय समय पर अदभ्य साहस और बहादुरी का परिचय दिया है. बिहार के छपरा और सोनपुर के बीच 05634 ट्रेन की कई बोगियों मे लूट पाट के दौरान एक महिला की जान बचाकर एसआईएस (SIS) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसके सुरक्षा कर्मी लोगों की सुरक्षा के साथ साथ आपातकालीन स्थितियों में लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान की भी बाजी लगाने से पीछे नहीं रहते. 5 अक्टूबर 2024 को गोरखपुर से चलकर देवरिया, सिवान, छपरा, सोनपुर, हाजीपुर,बेगूसराय, कटिहार,न्यू जलपाईगुड़ी, कामाख्या, गुवाहाटी होते हुए नारंगी तक जा रही 05634 ट्रेन में अचानक छपरा और सोनपुर स्टेशन के बीच लूट पाट शुरू हो गई. लूट पाट के दौरान ट्रेन में कही कोई आरपीएफ की पेट्रोलिंग पुलिस नहीं थी. लुटेरे सुनियोजित लूट की योजना के अनुसार ट्रेन में महिलाओं और अन्य यात्रियों के कीमती सामान लूट रहे थे और संगठित गिरोह से लैस थे. ट्रेन डकैतों ने एक महिला के पति के इलाज के गहने और पैसे लूट लिए. एक नेपाली महिला के पांच लाख रूपये की सम्पति लूट ली गई जिसे वह अपनी बेटी की शादी के लिए ले जा रही थी.ट्रेन में हो रही लूट पाट की घटना से घबराई और परेशान यह महिला ट्रेन से कूदने ही वाली थी कि वहां मौजूद एसआईएस (SIS) के एक सुरक्षा अधिकारी ने समय गँवाये बिना जान जोखिम में डालकर उस महिला को खिंच लिया और इस तरह उसकी जान बचा ली. SIS के सुरक्षा अधिकारी सौरव तिवारी के इस साहसिक कदम से उस महिला की जान बच गई और ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों ने इस सुरक्षा अधिकारी की प्रशंसा की.
यह घटना साबित करती है कि SIS न सिर्फ सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि जरूरत पड़ने पर जान जोखिम में डालकर लोगों की जान भी बचाती है. अब बिहार सहित देश भर में SIS के सुरक्षा अधिकारी के इस साहसिक कदम की प्रशंसा हो रही है और एशिया महादेश की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा एजेंसी SIS इनदिनों खूब चर्चा में है.
एसआईएस के संस्थापक पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आर के सिन्हा ने अपने सोशल मिडिया अकाउंट फेसबुक पर SIS के सुरक्षा अधिकारी के इस साहसपूर्ण कदम की तारीफ की है और कहा है की एसआईएस न सिर्फ सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि जरूरत पड़ने पर लोगों की जान भी बचाती है.SIS अधिकारी ने अपना जान जोखिम में डालकर उस महिला को खतरनाक स्थिति से बाहर निकाला.
पहले भी SIS ने दिया है साहस का परिचय – नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गाँधी मैदान में आतंकियों ने बम विस्फोट किया था. इस घटना में 6 लोगों की मौत हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे. उस समय भी गाँधी मैदान मे हुंकार रैली की सुरक्षा में निजी सुरक्षा एजेंसी SIS के सुरक्षाकर्मी बड़ी संख्या में तैनात थे. तब इन सुरक्षाकर्मियों ने त्वरित गति से बम विस्फोट में घायल कई लोगों को अस्पताल पहुँचाया और उनकी जान बचाई थी.
पूर्व सैनिकों की मदद के लिए खड़ी की एसआईएस कम्पनी,आज पूरी दुनिया में एसआईएस का बज रहा है डंका –
डॉ.आरके सिन्हा एसआईएस ग्रुप के संस्थापक और समूह अध्यक्ष हैं. पहली पीढ़ी के उद्यमी के रूप में डॉ.आरके सिन्हा ने सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड – एसआईएस लिमिटेड की परिकल्पना की. राजनीति विज्ञान में स्नातक के रूप में डॉ.सिन्हा ने अपराध और राजनीतिक रिपोर्टिंग में विशेषज्ञता वाले पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया.इसी अवधि के दौरान उन्होने “जनांदोलन” भी लिखा, जिसे 1970-1975 के बीच क्रांतिकारी नेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में भारत में छात्र आंदोलन पर पहली प्रामाणिक शोध पुस्तक के रूप में व्यापक रूप से मान्यता मिली.
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों की मदद के लिए सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (एसआईएस इंडिया) की स्थापना का विचार सामने आया था.यह उनका दूरदर्शी नेतृत्व था जिसने कंपनी में सेवा की गुणवत्ता और मानकीकरण लाने में मदद की. जिसके कारण एसआईएस सिक्योरिटी सुरक्षा क्षेत्र में एशिया महादेश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी बन कर उभरी.
उद्योग जगत में पथप्रदर्शक बनने की उनकी चाहत ने उद्योग जगत में कई ऐसे काम किए जिससे भारत के सुरक्षा परिदृश्य में प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ.