देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को लगभग 4,800 सांसद और विधायक वोटिंग करेंगे. इस चुनाव में एक तरफ जहां एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं. राजनीतिक पार्टियों के समर्थन और उससे बनने वाले आंकड़ों के गणित की बात करें तो एनडीए कैंडिडेट की जीत लगभग पक्की है. द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में राष्ट्रपति चुनाव 2022 में 60 फीसदी से ज्यादा वोट पड़ने की उम्मीद है. जान लें कि राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होने के बाद काउंटिंग 21 जुलाई को होगी और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे.
बता दें कि एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, जेडीएस, तेलुगु देशम पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे क्षेत्रीय दलों का भी समर्थन मिला हुआ है. एनडीए उम्मीदवार के पास अब तक कुल 10,86,431 वोटों में से 6.67 लाख से ज्यादा वोट हैं.
जान लें कि राष्ट्रपति चुनाव में अलग-अलग राज्यों के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है. उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से हर एक के वोट का मूल्य 208 है, यानी उनका कुल मूल्य 83,824 है. वहीं, तमिलनाडु और झारखंड के हर विधायक के वोट का मूल्य 176 है. महाराष्ट्र का 175, बिहार का 173 और आंध्र प्रदेश के हर एक विधायक के वोट का मूल्य 159 है.
गौरतलब है कि छोटे राज्यों में सिक्किम के हर एक विधायक का मत मूल्य 7 है. वहीं, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के वोट का मूल्य आठ-आठ, नगालैंड का 9, मेघालय का 17, मणिपुर का 18 और गोवा का मत मूल्य 20 है.
निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के दौरान सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग के मतपत्र दिए जाएंगे. जहां सांसदों को हरा और विधायकों को गुलाबी रंग के मतपत्र मिलेगा. ऐसा इसलिए किया जाएगा जिससे निर्वाचन अधिकारियों को वोटों की गिनती करने में आसानी हो.