– सुनील कुमार, देवघर
देवघर में श्रावणी मेला का आयोजन हुआ है। 2 साल के बाद व्यापारियों को उम्मीद थी। कि मेला काफी अच्छा रहेगा और कारोबार मैं भी तेजी आएगी लेकिन फिलहाल 7 दिनों में ऐसा कुछ नजर नहीं आया प्रशासन भीड़ का आंकड़ा जारी कर रहा है लेकिन चेंबर ऑफ कॉमर्स इससे इत्तेफाक नहीं रखता है प्रशासन द्वारा शहर के बाहर स्टैंड बनाए जाने और जगह-जगह नो एंट्री करने से श्रद्धालु होटल और मुख्य बाजार तक नहीं पहुंच रहे है। ऐसे में कारोबार काफी मंदा हो गया है आगरा के बावजूद भी जिला प्रशासन इनकी सुध नहीं ले रहा है।
2 साल के बाद श्रावणी मेला का आयोजन हो रहा है। व्यवसायियों को उम्मीद थी कि 2 साल मैं व्यापार में जो घाटा हुआ वह श्रावणी मेला में पूर्ण हो जाएगा एक तरफ है। रूट लाइन में कांवड़ियों की भीड़ है लेकिन दूसरी तरफ शहर में कावड़िया नहीं पहुंच रहे हैं और होटल कारोबार पूरी तरह से ठप है ऐसे में चेंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा इस व्यवस्था पर सवाल उठाया गया है। चेंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा एक आपात बैठक भी बुलाई गई और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर शहर के बाहर बने होल्डिंग पॉइंट जगह-जगह बैरिकेडिंग और नो एंट्री जोन में रियायत देने की बात कही है। चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों का कहना है। कि बॉर्डर पर बैरिकेडिंग कर बाहरी वाहनों को एंट्री नहीं दी जा रही है। दूसरी तरफ कांवड़ियों के लिए बने होल्डिंग पॉइंट इतनी दूर बनाया गया है।कि कांवरिया होटल तक नहीं पहुंच पा रहे है। दूसरी तरफ शहर में कई हिस्सों में मेला चित्र होने के बावजूद भी एंट्री नहीं मिलने से व्यापार ठप हो गया है। प्रशासन को इसके पहले भी बैठक के जरिए सूचना दी गई थी और इस पर सहमति भी बनी लेकिन लागू कुछ भी नहीं हुआ।
एक तरफ फ्रूट लाइन में भी कम भीड़ है। कांवरिया पथ पर भी भीड़ कम आ रही है। दूसरी तरफ शहर में मेला का माहौल ही गायब हो गया है। पिछले 7 दिनों में जिला प्रशासन भीड़ का आंकड़ा दिखा रहा है। लेकिन यह भीड़ देवघर व्यवसायिक क्षेत्र में नहीं पहुंच पा रहा है। देवघर डीसी के द्वारा पिछले 6 दिनों में 500000 कांवड़ियों का आंकड़ा दर्शाया गया है। लेकिन संथाल परगना चेंबर ऑफ कॉमर्स इससे इत्तेफाक नहीं रखता है।
कुल मिलाकर 2 साल बाद श्रावणी मेला का आयोजन हुआ लेकिन कारोबारियों का उत्साह जो कि चरम पर था वह ठंडा होता नजर आ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं मिलने से कारोबार भी काफी मंदा हो गया है। देवघर के पुराने बाजारों में भी रौनक गायब है।