आगामी कर्नाटक विधानसभा में त्रिशंकु सरकार की सम्भावना

आलेख
  • मनोज कुमार श्रीवास्तव

आगामी 2023 में होने वाली कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों में सरगर्मी तेज हो गई है।राज्य की224 विधानसभा सीटों को लेकर अभी से हीं जुगत लगा रहे हैं।प्रस्तावित विधानसभा चुनावों के टिकट बंटवारे में परिवारवाद का बोलबाला रहने के आसार नजर आ रहे हैं।ऐसे में परिवारवाद को लेकर सभी दलों की स्थिति उहा -पोह की बनी हुई है।

      राज्य के तीन प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और जनता दल (एस) के वरिष्ठ नेता अपने परिवार वालों को टिकट दिलाने के लिए अभी से हीं भाग-दौड़ शुरू कर दिये हैं।सबसे ज्यादा नेता कांग्रेस के हैं जो अपने परिवार को टिकट दिलाने के लिए कतार में लगे हुए हैं।जिसमें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार प्रमुख रूप से हैं।

     डीके शिवकुमार अपने पुत्र मृणाल को अथानी सीट और भतीजा रजत को हुबली से टिकट दिलाना चाहते हैं। उसी तरह सिद्धरमैया भी अपने परिवार वालों को टिकट दिलाने के लिए रात-दिन किये हुए हैं।सबसे बड़ी बात ये है कि उम्रदराज नेता अपने परिवार वालों को टिकट दिलाकर स्वयं सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं।

      भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा अपने पुत्र विजयेंद्र को टिकट दिलाने के काफी मशक्कत कर रहे हैं।विजयेंद्र टिकट लेकर अपनी जीत से पार्टी में मजबूत पकड़ बनाना चाहते हैं। भाजपा भी उनके पक्ष में यथास्थिति बनाने की रणनीति में लगा है लेकिन संघ परिवार विरोध में है।भाजपा के बड़े नेता ईश्वरप्पा भी अपने पुत्र कन्तेस को  शिवमोगा से टिकट दिलाने में लगे हैं।

      राजस्व मंत्री आर अशोक भी बेटे शरथ को जयनगर से टिकट चाहते हैं। भाजपा के ऐसे लगभग 15 नेता हैं जो परिवार वालों को टिकट दिलाने के चक्कर मे लगे हुए हैं।यहाँ लिंगायत बहुल सीट हैं।जनता दल (एस)पार्टी का आधार ही कर्नाटक में परिवार पर ही आधारित है।

        जद-एस देवेगौड़ा के पुत्र कुमारस्वामी,उनकी पत्नी अनिता और पुत्र निखिल कुमार स्वामी विधायक हैं।मैसूर से हीं जीटी देवगौड़ा भी इस बार अपने बेटे हरीश गौड़ा को होसुर से टिकट दिलाने के लिए प्रयास रत हैं।सूत्रों के अनुसार कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा सहित विपक्षी कांग्रेस और जनता दल एस के आंतरिक सर्वे में सामने आया है कि 2023 में होने वाले चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने वाला है।

       ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के नेता अपनी विधानसभा सीटों को बदलने के फिराक में हैं।वे यह साबित करना चाहते हैं कि यदि उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को टिकट मिलता है तो जीत सुनिश्चित हो सकती है।इस सम्बंध में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला को पत्र लिख कर भेजा गया है जिसमें यह कहा गया है कि उनके परिवार वालों को टिकट दिया जाए।अभी तक इस बावत सुरजेवाला की तरफ से कोई जबाब नहीं मिला है।

         अनुमानतः 224 विधानसभा सीटों में से लगभग 70 सीटों के टिकट के लिए वरिष्ठ नेता अभी से जुगाड़ में लगे हुए हैं।सबसे ज्यादा 40 नेता कांग्रेस के हैं जो परिवार के टिकट के लिए कतार में लगे हैं।ऐसे में अगामी कर्नाटक विधानसभा सभा में किसी को बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा है ऐसे में वहाँ त्रिशंकु विधानसभा की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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