भारतीय नौसेना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘आईएनएस विक्रांत‘ को इंडियन नेवी में शामिल कराया। पीएम मोदी कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में एक समारोह के दौरान आईएनएस विक्रांत को इंडियन नेवी में कमीशन कर दिए। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा छह देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने 40 हजार टन से ज्यादा वजन का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है।
इस पोत का डिजाइन नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है। वहीं निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। पिछले साल 21 अगस्त से अब तक समुद्र में परीक्षण के कई चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। पोत को नौसेना की सेवा में शामिल किए जाने के बाद इस पर विमानों को उतारने का परीक्षण किया जाएगा। इंडियन नेवी ने बताया कि इसको बनाने की जरूरत साल 1999 में कारगिल युद्ध के बाद महसूस हुई, लेकिन इस विशाल युद्धपोत के निर्माण को मंजूरी तीन साल बाद अटल बिहारी बाजपेयी की अगुवाई वाली कैबिनेट से 2002 में मिली। इस युद्धपोत को खास तरीके से डिजाइन किया गया है, ताकि एयरक्राफ्ट के टेक ऑफ और लैडिंग में कोई दिक्कत आए। यही वजह है कि इसका आगे का हिस्सा उठा हुआ सा है। इसकी वजह से कम जगह में भी एयरक्राफ्ट टेक ऑफ और लैंड कर सकेगा। करीब 20,000 करोड़ रुपए की लागत से बने इस एयरक्राफ्ट कैरियर ने पिछले महीने समुद्री परीक्षणों के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था। तब नौसेना के उप प्रमुख ने बताया कि आईएनएस विक्रांत के लिए देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपकरण बनाए गए हैं। इसके लिए अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे और दिल्ली जैसे शहरों में भी उपकरण बनाए गए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि आईएनएस विक्रांत के लिए 2500 किलोमीटर लंबे बिजली के तारों का निर्माण भारत में किया गया है। मशीनरी संचालन, जहाज नौवहन और उत्तरजीविता के लिए बहुत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिजाइन किया गया यह विमानवाहक, अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है। जहाज में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं के साथ एक पूर्ण अत्याधुनिक चिकित्सा परिसर है जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं। यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा। इसकी लंबाई 262 मीटर है और चौड़ाई 60 मीटर है। इसके वजन की बात करें तो यह 45 हजार टन वजनी जहाज है। आईएनएस विक्रांत एक साथ 30 फाइटर प्लेन्स को संचालित करने में सक्षम है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कठिन से कठिन क्यों ना हों, चुनौतियां बड़ी से बड़ी क्यों ना हों, भारत जब ठान लेता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है। आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है। आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है। आज विक्रांत को देखकर समंदर की ये लहरें आह्वान कर रही हैं-
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।