खुदा बख्श लाइब्रेरी में रंगमंच एवं नाटक के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के प्रोफेसर अजय मलकानी एवं डॉ. आसिफ अली हैदर खान का व्याख्यान।

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पटनाः 23.7.2023- खुदा बख्श लाइब्रेरी में 26 जुलाई 2023 को दोपहर 3 बजे खुदाबख्श लाइब्रेरी में रंगमंच एवं नाटक के क्षेत्र में कैरियर के विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्रोफेसर अजय मलकानी, सदस्य अकादमिक परिषद, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और डॉ. आसिफ अली हैदर (फेकल्टी सदस्य) ने इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार दिए। इस अवसर पर अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. शाइस्ता बेदार, निदेशक खुदाबख्श लाइब्रेरी ने कहा कि नाटक और थिएटर में कैरियर बनाने के लिए दुनिया खुली हुई हैं। यदि आप प्रदर्शन में रुचि रखते हैं, चाहे वह मंच पर हो, टेलीविजन पर हो, या किसी अन्य प्रकार के प्रदर्शन-आधारित माध्यम में हो, तो ऐसा करने के कई तरीके हैं। यदि आप थिएटर प्रस्तुतियों का निर्देशन करने या अपनी खुद की थिएटर प्रोडक्शन कंपनी बनाने में रुचि रखते हैं, तो ऐसे लोग हैं जो इसे साकार करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं। ऐसे लोगों के लिए भी कई नौकरियाँ हैं जो आवश्यक रूप से प्रदर्शन नहीं करना चाहते हैं लेकिन फिर भी कला से संबंधित कुछ चाहते हैं। इस क्षेत्र में करियर कैसे बनाया जाए, इस पर दोनों वक्ता विस्तार से प्रकाश डालेंगे।
डॉ आसिफ अली हैदर ने अपने संबोधन में कहा कि थिएटर और ड्रामा के क्षेत्र में कैरियर बनाने के बेहतरीन अवसर हैं। इसके लिए आपको अभिनेता, कास्टिंग डायरेक्टर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर, नाटककार, पटकथा लेखक, सेट डिजाइनर और नाट्य निर्देशक का क्षेत्र चुनना चाहिए। प्राचीन दस्तावेजों से पता चलता है कि भारत में नाटकों की परंपरा बहुत पुरानी है। शुरुआत में राजा महाराजाओं ने अपने संरक्षण में इस कला को बढ़ावा दिया। 1750 के बाद नाटक का व्यावसायीकरण हो गया और यह रोजगार का एक स्रोत बन गया। कलकत्ता में पहला नाटक हिन्दुस्तानी भाषा में प्रस्तुत किया गया। उन दिनों अनेक कंपनियां रिजॉल्यूशन के आधार पर लोगों को नौकरी पर रखती थीं। नाटक में दर्शकों की रुचि का ख्याल रखना जरूरी माना गया। इसी विषय पर पारसी थिएटर का विरोध किया गया, जिसके कारण भारतीय नाटकों को बढ़ावा नहीं मिल सका। पंडित नेहरू ने इसे बढ़ावा देने की पहल की और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना की गई, जिसमें आज पचास लोग कार्यरत हैं। इस संस्था से प्रशिक्षण लेकर वे लोग निकलते हैं जो रंगमंच और नाटक के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े होते हैं। अब कई विश्वविद्यालयों में यह विभाग खुल गया है, वहां रोजगार भी मिलता है। इसके अलावा निजी कंपनियां भी इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं। गुजरात, बंगाल और महाराष्ट्र में पेशेवर कंपनियां स्थापित की गई हैं, बेगुसराय में एक थिएटर कामयाबी से चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य है। आप पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर भी कर सकते हैं।
प्रोफेसर अजय मलकानी ने इस मौके पर कहा कि थिएटर की दुनिया बेहद आकर्षक है और थिएटर में कैरियर की बेहतरीन संभावनाएं हैं। किसी भी पेशे के लिए कौशल और क्षमताओं की आवश्यकता होती है। रंगमंच और नाटक भी कुशल पेशे हैं, जिनमें कड़ी मेहनत और अनुशासन की आवश्यकता होती है। विश्वविद्यालयों के अलावा विभिन्न राज्यों में नाटक संस्थान खुले हैं जहां से प्रशिक्षण लिया जा सकता है। नाटक अकादमी मौजूद है लेकिन प्रशिक्षक नहीं हैं। एक बात याद रखें कि शुरुआती दिनों में खूब मेहनत और पढ़ाई करनी होती है। आजकल थिएटर और ड्रामा भी एक अच्छा प्रोफेशन है और इसे कैरियर के तौर पर अपनाया जा सकता है। नई शिक्षा नीति में प्राथमिक से स्नातक तक संगीत और नाटक को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे इस कला का महत्व और बढ़ गया है।
अंत में छात्रों ने अपने विचार व्यक्त किए और कुछ प्रश्न पूछे, जिनका संतोषजनक उत्तर दिया गया।

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