डॉ. सुरेन्द्र सागर,आरा(बिहार)
शारदीय नवरात्रि में वैदिक मंत्रों और पूजा अर्चना से पूरा भोजपुर भक्ति के माहौल में डूब गया। माँ दुर्गा के पट खुल गए हैं और भक्त एवं श्रद्धालु पूजा पंडालों की ओर निकल पड़े हैं।दुर्गापूजा को लेकर शहर से लेकर गांव तक आस्था और विश्वास का सैलाब उमड़ पड़ा है।चारो तरफ माता के जयकारे से धरती से लेकर आसमान तक गूंज रहा है।
भोजपुर जिले के पूजा पंडालों के साथ साथ शक्ति पीठों और मंदिरों में लोगों का हुजूम पूजा अर्चना करने पहुंच रहा है।आरा की अधिष्ठात्री देवी माँ आरण्यदेवी मन्दिर में दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए आ रहे हैं। त्रेतायुग में भगवान श्री राम भ्राता लक्ष्मण एवं विश्वामित्र मुनि के साथ धनुर्विद्या की शिक्षा लेने बक्सर जाने के दौरान गंगा नदी पार कर जंगल मे पहुंचने के बाद यहां रुके थे और माता आरण्यदेवी की पूजा अर्चना की थी।इसके बाद वे आगे बढ़े थे और बक्सर में ताड़का राक्षसी का वध किया था।सूर्यवंशी कुल में पहली बार किसी नारी का वध करने के प्रायश्चित स्वरूप प्रभु श्री राम ने बक्सर में भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरनाथ मन्दिर के रूप में यह स्थान आज भी रामरेखा घाट के पास मौजूद है।
बाद में पांच स्थलों की पंचकोसी परिक्रमा कर चरित्रवन में लिट्टी चोखा का भोग लगाया था।इसी दौरान अहिरौली में अहिल्या को श्राप से मुक्त करते हुए उनका उद्धार किया था।
भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र मुनि के साथ अयोध्या से सरयू मार्ग के रास्ते बक्सर जाने के लिए जहां गंगा नदी को पार किया था वह स्थान चिरांद नामक जगह है जो आज भी छपरा जिला के रिविलगंज के आसपास है।इसी गांव के सामने सरयू अयोध्या से आकर गंगा नदी में मिलती है।यही सरयू और गंगा नदी के साथ सोन नद का भी मिलन होता है। सरयू गंगा और सोन के संगम स्थल से ही गंगा नदी को पार करने के बाद भगवान श्री राम भ्राता लक्ष्मण और विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर जाने के लिए आगे बढ़े थे।
गंगा नदी पार कर जब वे आगे बढ़े तो आरण्य का क्षेत्र शुरू हुआ। आरण्य यानी आज का आरा पहुंचने के पूर्व वे जिस मार्ग से आगे बढ़े थे उस मार्ग में फरना गांव मिला।यहां शक्ति की देवी माँ काली के विद्यमान होने को देख भगवान श्री राम अपने भ्राता लक्ष्मण और विश्वामित्र के साथ यहां रुके और इस शक्ति की देवी मां काली की अराधाना की।यहां पूजा अर्चना करने के बाद वे आगे बढ़े और फिर आरण्य क्षेत्र में प्रवेश कर उन्होंने माता आरण्यदेवी का दर्शन किया और वहां पूजा अर्चना की। इसी आरण्य क्षेत्र में माता आरण्यदेवी से कुछ ही दूरी पर भगवान श्री राम ने भगवान शिव की पूजा की।इस स्थान को सिद्धनाथ मन्दिर के नाम से जाना जाता है।आरा के बिंदटोली के निकट त्रेता युग का यह धार्मिक स्थल है।
बड़हरा प्रखण्ड के फरना गांव में जिस जगह भगवान श्री राम ने शक्ति की देवी मां काली की पूजा अर्चना की थी वहां आज भव्य एवं विशाल श्री श्री जगत माता काली मंदिर त्रेता युग और भगवान श्री राम से जुड़ी स्मृतियों का पताका लहरा रहा है।यहां जो भी भक्त और श्रद्धालु सच्चे मन से पूजा अर्चना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और माता सबकी झोली भरकर उन्हें खुशियों से भर देती हैं।इस गांव और गांव के आसपास के लोग माता की पूजा और सेवा करने के कारण हमेशा खुशहाल रहते हैं।यहां जिसने भी श्रद्धा के साथ पूजा की उसकी मनोकामना पूरी हुई है।माता की सेवा करने वाले कई ऐसे लोग हैं जिन्हें सरकारी नौकरियां मिली।उन्हें पद और प्रतिष्ठा मिला।मनवांछित संतान की प्राप्ति हुई।उनका घर खुशियों से भर गया।माता की सेवा में लगे एक परिवार का बेटा सुशांत सौरभ आईएएस बन कर झारखण्ड में डीएम बना तो बगल के गांव पिपरहियां के एक परिवार का बेटा शशांक शुभंकर आईएएस बन आज नालंदा के डीएम के रूप में फरना और आसपास के गांवों का परचम लहरा रहे हैं।
माता की कृपा ही है कि इस गांव के बेटे जज से लेकर आईएएस और आईपीएस तक बने और देश व प्रदेश में गांव का नाम रौशन किया।
न्यायिक क्षेत्र में अनंत सिंह और भारतीय पुलिस सेवा में राम प्रवेश सिंह जैसे गांव के रत्न माता की सेवा के बदौलत गांव की शोभा बढ़ाया।आज भी सभी क्षेत्रों इस गांव के लोगों ने सफलता का झंडा गाड़ा है।यह सब माता की पूजा, सेवा,समर्पण एवं अथाह आस्था की वजह से संभव हो पाया है।
यहां श्री श्री जगत जननी माता काली का भव्य एवं विशाल मंदिर बनने के बाद एक बार फिर यह गांव धार्मिक धाम के रूप में भक्तों एवं श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। त्रेता युग की स्मृतियों को समेटे इस धार्मिक स्थल का दर्शन करने दूर दूर से भक्त और श्रद्धालु प्रतिदिन फरना गांव पहुंच रहे हैं।यहां पूजा के लिए मौजूद अयोध्या के महान विद्वान पुजारी बाबा प्रेम दास जी भक्तों और श्रद्धालुओं को माता के चमत्कार एवं मनोकामना पूर्ति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
कैसे पहुंचे फरना धाम-
वायु एवं सड़क मार्ग से -बिहार की राजधानी पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से उतर कर सड़क मार्ग से पटना बक्सर फोर लेन के माध्यम से आरा पहुंचने के बाद आरा बड़हरा सर्विस रोड से उतर कर बड़हरा रोड में सात किलोमीटर आगे मुख्य सड़क के पश्चिम दिशा में स्थित है यह धाम।
भक्तों एवं श्रद्धालुओं की सेवा एवं सहयोग के लिए फरना गांव के युवा एवं सामाजिक प्रतिनिधि अजित कुमार पाण्डेय,ब्रम्हा शंकर पाण्डेय,विकास सिंह,रोहित पाण्डेय समेत कई युवा कार्यकर्ता दिन रात सक्रिय रहते हैं।