6 दिसम्बर 1992 को आरा जेल भेजे गए रामभक्तों का सपना हुआ पूरा,राम मंदिर निर्माण की मांग पर जुलूस के दौरान हुई थी गिरफ्तारी

देश

डॉ.सुरेन्द्र सागर

अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को जब बाबरी ढांचे की तरफ लाखों कारसेवकों का सैलाब आगे बढ़ रहा था तो उसी दिन आरा में सैकड़ो रामभक्तों का कारवां जुलूस निकालकर शहर में श्री रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की मांग कर रहे थे। सौगन्ध राम की खाते हैं हम मन्दिर वहीं बनाएंगे के नारों से आरा शहर का जर्रा जर्रा गूंज रहा था कि इसी बीच सूचना आई कि अयोध्या में बाबरी ढांचे को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया है।बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने की खबर देश और दुनिया मे जंगल मे आग की तरह फैल गई। खबर मिलते ही आरा में पुलिस और प्रशासन ऐक्शन मोड में आ गई और जुलूस निकाल कर नगर भ्रमण कर रहे सैकड़ो रामभक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।गिरफ्तार किए गए अधिकांश रामभक्तों में छात्र युवाओं की संख्या अधिक थी।इस जुलूस का नेतृत्व भाजपा की नेत्री जया जैन एवं भाजपा नेता त्रिगुणा सिंह समेत कुछ अन्य लोग कर रहे थे।जिन रामभक्तों को गिरफ्तार किया गया उनमें आरा के नागरमल शिवनारायण परिवार के आलोक बेड़िया,लौहर फरना निवासी रविन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, हरिजी हाता निवासी बबलू सिंह,शेखर,मनोज कुमार सिन्हा, एमपी बाग निवासी राजीव कुमार सिन्हा उर्फ छोटक समेत लगभग 40 लोग प्रमुख रूप से शामिल थे।इन सभी को पहले अस्थायी जेल बनाये गए हित नारायण क्षत्रिय प्लस टू स्कूल ले जाया गया।देर शाम तक यहां रखने के बाद सभी को आरा मण्डल कारा भेज दिया गया।जेल जाने के बाद भी इन रामभक्तों का जुनून कम नही हुआ था।लोग वहां भी इस बात की खबर से बेहद प्रसन्न थे कि बाबरी ढांचे के पांच सौ सालों के कलंक का दाग मिट चुका है और अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का नया सवेरा हुआ है।जेल में भी राम मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्साह और उमंग का माहौल था। आरा शहर के सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों के साथ साथ जेल भेजे गए रामभक्तों के परिवार वालों द्वारा भी प्रतिदिन सुबह शाम प्रचुर मात्रा में भोजन की व्यवस्था कर मण्डल कारा आरा में पहुंचाया जा रहा था।इस आंदोलन में जो जेल जाने से बच गए थे वे सभी जेल भेजे गए रामभक्तों के भोजन आदि की व्यवस्था को जेल के भीतर तक भेजवाने के काम मे लगे हुए थे।आठ दिनों जेल में रहने के बाद सभी रामभक्तों की जेल से रिहाई हुई तो बड़ी संख्या में शहर वासियों ने उन्हें फूल मालाओं और पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया था।अधिकांश युवा जो इस जुलूस और आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था वो आरा के विभिन्न कॉलेज के छात्र थे और रामभक्ति का ही परिणाम है कि भगवान रामचन्द्र की कृपा से जेल गए अधिकांश छात्र आगे चलकर जिस कार्यक्षेत्र को चुना उसमे उन्हें सफलता मिली और आज ऐसे रामभक्त समाज को नई रौशनी दिखा रहे हैं।
राम मन्दिर आंदोलन के दौरान 6 दिसम्बर 1992 को आरा में जुलूस निकाल कर राम मंदिर निर्माण की मांग कर रहे और उस दौरान गिरफ्तार कर जेल भेजे गए रामभक्तों में से कुछ लोग बताते हैं कि तब साध्वी ऋतम्भरा जी के भाषणों ने उन सभी को मन्दिर आंदोलन से जुड़ने को प्रेरित किया था। बड़हरा प्रखंड के फरना गांव से जुड़े और फिलहाल आरा के नाला मोड़ निवासी रविन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव और राजीव कुमार सिन्हा उर्फ छोटक बताते हैं कि नब्बे के दशक में फायर ब्रांड वक्ता साध्वी ऋतम्भरा जी के भाषणों का ऑडियो कैसेट लोगों तक पहुंचा तो अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण को लेकर चल रहे आंदोलन ने जोर पकड़ लिया।साध्वी ऋतम्भरा जी का भाषण हिंदुओ में नई ऊर्जा भर रहा था और यही कारण रहा कि तब ऋतम्भरा जी के इस ऑडियो कैसेट की बिक्री और डबिंग पर सरकारों ने रोक लगा दी थी।ऑडियो कैसेट जब्त करने को लेकर कैसेट की दुकानों पर छापेमारी की जाने लगी।ऐसे में उनलोगों ने किसी तरह एक कैसेट हासिल किया और इसे डब कराकर एक दूसरे तक पहुंचाया।ऐसे रामभक्त बताते हैं कि उस दौर में जब टीवी चैनल,मोबाइल और इंटरनेट का जमाना नही था तब साध्वी ऋतम्भरा,लाल कृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,उमा भारती,विनय कटियार,अशोक सिंघल जैसे अनेकों लोगों ने राम मंदिर आंदोलन को गांव गांव पहुंचाया और आज अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का सपना पूरा हुआ है।
आरा जेल में बिताए गए उन क्षणों को सुखद अनुभूति बताते हुए ये रामभक्त कहते हैं कि सोमवार 22 जनवरी को जब देश और दुनिया अयोध्या में राम मंन्दिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनेगा तो उनके सीने गर्व से चौड़े हो जाएंगे।उनका राम मंदिर आंदोलन का सपना पूर्ण होगा और भारत मे सनातन संस्कृति की पुनर्वापसी होगी।

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