डुमरांव (बक्सर) – पटना उच्च न्यायालय के निर्देशनुसार बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नारा लेखन प्रतियोगिता पर छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनन्द नन्दन सिंह एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव देवेश कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकार के मार्गदर्शन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा महारानी उषारानी बालिका मध्य विद्यालय डुमरांव में,”रैगिंग की रोकथाम और पानी बचाएं”विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानाध्यापक मो0 शरीफ अंसारी,मो0 मुस्लिम अंसारी, ददन प्रसाद,आरती कुमारी, सोनू कुमार वर्मा, सबिता सिंह, दिव्यांशु कुमार, अनिता चौबे,उपेन्द्र दुबे,सुनीता,शीला कुमारी,अंजू तिवारी,चंचल कुमारी, शिल्पी कुमारी,रेखा कुमारी आदि उपस्थित रहे।
रैगिंग शब्द सुनते हीं लोगों के दिमाग में अलग तस्वीर बनने लगती है।कई छात्र इस भयावहता का शिकार हुए हैं।आधुनिकता के साथ रैगिंग के तरीके भी बदलते जा रहे हैं।आमतौर पर सीनियर छात्र अपने जूनियर की रैगिंग करते हैं।रैगिंग में गलत व्यवहार, अपमान जनक छेड़छाड़मारपीट जैसी चीजें की जाती है।रैगिंग एक अपराध की श्रेणी में आता है जो छात्रों को आत्महत्या तक करने को मजबूर कर देता है।
रैगिंग एक गम्भीर मुद्दा है जो पीड़ितों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करता है।इसके अंतर्गत चिढाना,गलत तरीके से रोकना, डराना, धमकाना, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुचाना आदि आता है।जहां तक रैगिंग के इतिहास की बात है तो यह सबसे पहले 8 वीं शताब्दी ईशा पूर्व में ग्रीस में ओलंपिक के दौरान दर्ज किए गए थे।यह प्रथा तेजी से और खतरनाक ढंग से फैल गई।पहले सशस्त्र बलों तक और फिर शैक्षणिक संस्थानों तक अनेको तरह से किये जाते हैं।
अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि रैगिंग शारीरिक शोषण का कोई भी कार्य जिसमें यौन शोषण, समलैंगिक हमले,कपड़े उतारना, अश्लील और अश्लील हरकतें करना, इशारे करना,शारिरिक नुकसान पहुचाना या स्वास्थ्य या व्यक्ति को कोई अन्य खतरा पैदा करना,आपराधिक आयामों वाली रैगिंग की श्रेणी में रखा जा सकता है।आईपीसी की धारा 339 के तहत अपराध है।जिसमें 1 महीने तक का साधारण कारावास या 500 रुपया तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित तथा सबसे बड़ी सजा दोषी को तीन साल तक सश्रम कैद है।
महारानी उषारानी बालिका मध्य विद्यालय डुमरांव में,”रैगिंग की रोकथाम और पानी बचाएं” पर सेमिनार
अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि रैगिंग से बचाव के लिए शिक्षक और अभिभावक रैंगिग प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।शिक्षकों को बहुत ध्यान देने की जरूरत है।स्कूलों एवं कालेजों में सीसीटीवी कैमरा उपलब्ध कराना चाहिए ताकि वह छात्रों की गतिविधियों पर नजर रख सके।अलार्म बेल,ऐंटी-रैगिंग हेल्पलाइन न0 और एंटी-रैगिंग वैन की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे वह इस अपराध से बच सके।रैगिंग करने वाले बच्चों के बीच नैतिकता की कमी पायी गईं है इसलिए शिक्षा में नैतिकता का पाठ पढ़ाना बेहद जरूरी है।
यूजीसी ने रैगिंग पीड़ितों की मदद के लिए 12 भाषाओं में एक ऐंटी-रैगिंग टोल फ्री हेल्पलाइन 1800-180-5522 स्थापित की है। साल 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे भारत में रैगिंग प्रतिबंध लगा दी है।अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद विनिमय 2009,एआईसीटीई अधिनियम 1987 की धारा 23 और 10 के तहत अपराध है।
अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूलों में पानी बचाने की कवायद, इसकी पढ़ाई से लेकर वॉटर आडिट तक शामिल है।2020 की भूजल संकट की नीति आयोग रिपोर्ट के बाद बोर्ड ने सभी स्कूलों में पानी के बेहतर प्रबंधन को अब अनिवार्य बना दिया है।बोर्ड ने छात्रों, शिक्षकों के बीच जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रमों में पानी से सम्बंधित पाठों को बढ़ाये जाने का भी सुझाव दिया है।जल साक्षरता बढ़ाने के लिए समय-समय पर शैक्षिक कार्यशालाएं आयोजित करने का भी निर्देश दिया गया है।इसमें स्कूलों को कहा गया है कि वे अपने पुराने उपकरणों और मशीनों में बदलाव लाएं ताकि पानी की बचत की जा सके।स्वचालित और सेन्सरयुक्त टैप और दोहरे फ्लश वाले टैंक लगाये जाएं।