डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव को ग्लोबल लाइब्रेरियन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया

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कोटाः भारत के सार्वजनिक पुस्तकालयों के विकास और सुदृढ़ीकरण में अहम योगदान देने वाले डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव को मंजू मिश्रा स्मृति ग्लोबल पब्लिक लाइब्रेरियन एक्सीलेंस अवार्ड (M2SGPLEA)-2024 से सम्मानित किया गया है। डॉ. श्रीवास्तव, जो कोटा क्षेत्र के सार्वजनिक पुस्तकालयों के नोडल अधिकारी और राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा के प्रमुख एवं संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष हैं, को यह पुरस्कार मंजू मिश्रा स्मृति संस्थान (M2S2), कोटा द्वारा प्रदान किया गया। यह सम्मान उनके सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं में असाधारण योगदान और उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया है।
डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव को भारत के नेक्स्ट जेनरेशन लाइब्रेरियन के रूप में पहचाना जाता है, और हाल ही में उन्हें भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा सार्वजनिक पुस्तकालय मानकों के संशोधन हेतु सदस्य के रूप में नामित किया गया है। यह नामांकन देशभर में सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं के मानकीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में उनके प्रयासों को और भी बल प्रदान करता है। डॉ. श्रीवास्तव का यह योगदान पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और समर्पण का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जो न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त कर रहा है।
यह प्रतिष्ठित सम्मान डॉ. श्रीवास्तव को 78वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर डॉ. एस.आर. रंगनाथन कन्वेंशनल हॉल, शासकीय संभागीय सार्वजनिक पुस्तकालय, कोटा में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। इस सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रभात सिंघल (पूर्व संयुक्त निदेशक, DIPR), मंजू मिश्रा स्मृति संस्थान (M2S2) के अध्यक्ष कमलकांत शर्मा, और अध्यक्ष राजू गुप्ता (पूर्व सीईओ, फेदरलाईट ग्रुप, बेंगलुरु) उपस्थित थे। साथ ही, विशिष्ट अतिथि राजेंद्र कुमार जैन (पूर्व सहायक रजिस्ट्रार, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा) ने भी अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई।
डॉ. श्रीवास्तव ने अपने कार्यकाल में सार्वजनिक पुस्तकालयों के संचालन और प्रबंधन में जो अभूतपूर्व सुधार किए हैं, वे पूरे देश में सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं के मानकों को एक नए स्तर पर ले गए हैं। उनके नेतृत्व में, सार्वजनिक पुस्तकालयों में डिजिटल नवाचार, पाठक सेवा में सुधार, और सूचनात्मक संसाधनों की आसान पहुंच सुनिश्चित करने जैसे कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का सम्मान है, बल्कि सार्वजनिक ज्ञान और सूचना सेवाओं के विकास में उनकी अद्वितीय दृष्टि का प्रमाण भी है।
डॉ. श्रीवास्तव के अथक प्रयास और समर्पण सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं को वैश्विक मानकों पर ले जाने की दिशा में सतत प्रयासरत हैं, और उनकी यह उपलब्धि भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं के भविष्य को उज्ज्वल और समृद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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