आकांक्षी जिलों की अवधारणा वास्तविक मानकों पर आधारित हैःडॉ.जितेंद्र सिंह

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दिल्लीः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि आकांक्षी जिलों की अवधारणा वास्तविक मानकों पर आधारित है और महत्त्वपूर्ण समीकरणों का मूल्यांकन करके कार्यक्रम को वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है।

तदनुसार, देश भर में 112 जिलों को चिह्नित किया गया है, ताकि वहां परिवर्तन लाने के लिये विशेष ध्यान दिया जा सके।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चार वर्ष पहले प्रधानमंत्री ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम का शुभारंभ किया था, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीयता प्रदान करके राष्ट्र की प्रगति को बढ़ाना है। डॉ. सिंह ने कल शाम को बिहार के सीतामढ़ी जिले में आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत कार्य की प्रगति का जायजा लेते हुये यह कहा। सीतामढ़ी, बिहार के 13 आकांक्षी जिलों में से एक है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि एडीपी प्रतिस्पर्धात्मक और सहकारी संघवाद के शानदार मिसाल के तौर पर उभरी है, जहां जिलों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाता है कि वे पहले अपने राज्य के बेहतरीन जिले के बराबर पहुंचें और उसके बाद देश के बेहतरीन जिलों में शामिल होने का प्रयास करें। इसके लिये प्रतिस्पर्धा करना और दूसरे शहरों से सीखने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की बुनियादी रूपरेखा है एकरूपता (केंद्रीय और राज्य योजनाओं की), सहयोग (केंद्र, राज्य स्तरीय ‘प्रभारी’ अधिकारियों तथा जिला कलेक्टरों के बीच) और मासिक डेल्टा रैंकिंग के जरिये जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा। इन सबके पीछे जन भागीदारी होगी।

एडीपी के तहत बिहार के सीतामढ़ी में किये गये कार्यों के बारे में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने संतोष व्यक्त किया कि वहां विभिन्न सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार आया है और शिक्षा योजना के अंतर्गत यह जिला राज्य के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल है। शिक्षा में, जिले ने पिछले चार वर्षों के दौरान ‘बुनियादी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात’ में 16 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत का सुधार किया है, जो शासन तथा क्षमता निर्माण के संकेतकों में भी सुधार दर्शाता है। सीतामढ़ी स्कूल अवसंरचना के संकेतकों में भी शिखर पर पहुंच रहा है। उसने आधुनिक पुस्तकालय जैसे नवोन्मेषी उत्कृष्ट व्यवहारों में बाजी मारी है, जिले ने छात्रों, शिक्षकों और माता-पिता की भागीदारी के लिये आंदोलन शुरू किया है। इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है।

सीतामढ़ी के जिला मजिस्ट्रेट श्री सुनील कुमार यादव ने डॉ. जितेन्द्र सिंह के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया और उन्हें अवगत कराया कि गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य तथा बाल पोषण के प्रमुख संकेतकों में कितना सुधार आया है, जिसके कारण एमएमआर व आईएमआर जैसे मुद्दों का समाधान होता है। जिले में ‘संस्थागत प्रसव का प्रतिशत,’ ‘पूरे टीके लगे बच्चों का प्रतिशत,’ ‘छह वर्ष की आयु के नीचे के कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत’ जैसे संकेतकों में बेहतर सुधार हुआ है। डॉ. सिंह ने सम्बंधित अधिकारियों को हिदायत दी कि वे कार्यक्रम में सर्वोच्च रैंक में पहुंचने के लिये पूरे समर्पण के साथ काम करें।

जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि एडीपी संकेतकों के मद्देनजर ‘कृषि और जल संसाधन’ में बेहतर काम किया गया है, जिसके क्रम में सीतामढ़ी को पांच परियोजनायें मिली हैं, जिनकी अनुमानित लागत 22 मार्च, 2002 के अनुसार 302.69 लाख रुपये है। इन परियोजनाओं में खुम्बी उत्पादन संयंत्र की स्थापना, खेती की मशीनरी किराये पर लेने के लिये केंद्रों की स्थापना आदि शामिल है, ताकि सीतामढ़ी में मशीनों से खेती की जा सके।

वित्तीय समावेश पर प्रधानमंत्री के विशेष ध्यान का उल्लेख करते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ‘खोले जाने वाले जन धन खातों की संख्या’ तथा स्वास्थ्य के हवाले से ‘पूरी तरह टीके लगाये हुये बच्चों के प्रतिशत (9-11 माह)’ के मद्देनजर वित्तीय समावेश के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने के लिये अधिकारियों को प्रयास करने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि जिले को प्रशासनिक डाटा गुणवत्ता में सुधार करने की भी जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र ने केंद्रीय मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे विभिन्न आकांक्षी जिलों का दौरा करें, ताकि पहलों की प्रगति का मैदानी जायजा लिया जा सके। एडीपी को प्रधानमंत्री ने जनवरी 2018 में शुरू किया था। उसका उद्देश्य है कि देश भर के कम विकसित जिलों को तेजी से और कारगर तरीके से बदला जाये। कार्यक्रम की बुनियादी रूपरेखा है एकरूपता, सहयोग और मासिक डेल्टा रैंकिंग के जरिये जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा। इन सबके पीछे जन भागीदारी हो।

राज्यों के प्रमुख वाहक होने के नाते, यह कार्यक्रम हर जिले की क्षमता को ध्यान में रखता है, फौरन सुधार के लिये सबसे आसान क्षेत्रों की पहचान करता है और हर महीने जिलों की रैंकिंग के आधार पर उनकी प्रगति का मूल्यांकन करता है। रैंकिंग का आधार 49 प्रमुख प्रदर्शन संकेतक हैं, जिनमें क्रमिक प्रगति को मापा जाता है। पांच सामाजिक-आर्थिक विषयों को इन संकेतकों में शामिल किया गया है, जिनमें स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेश एवं कौशल विकास तथा अवसंरचना शामिल हैं। आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग और सभी जिलों के प्रदर्शन की जानकारी ‘चैम्पियन ऑफ चेंज डैशबोर्ड’ पर उपलब्ध है।

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