भारतमाला परियोजना के लिए कैमूर के किसानो ने माँगा उचित मुआवजा, डीएम को ज्ञापन सौंप किसान संघ ने जबरन जमीन कब्जा नहीं करने की मांग की

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शाहाबाद ब्यूरो

भारत माला परियोजना के तहत कैमूर जिले में बनाये जाने वाले कोलकाता-वाराणसी एक्सप्रेसवे के निर्माण में अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा और अन्य मांगों को लेकर किसान संघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है और मांग की है कि बिना उचित मुआवजा के किसानो की जमीन पर जबरन कब्जा नहीं किया जाय. किसान संघर्ष मोर्चा ने भारत माला परियोजना के तहत कैमूर में बनने वाले एक्सप्रेसवे के जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानो के हित में छः सूत्री मांग पत्र डीएम को दिया है.
किसान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष विमलेश पांडेय, मुखिया श्रवण पटेल सहित कई किसान नेताओं ने डीएम को दिये गये आवेदन में छह सूत्री मांगों का विन्दुवार ब्यौरा सौंपा है और प्रमंडलीय आयुक्त सह आब्रिट्रैटर द्वारा मुआवजा बढाये जाने के फैसले की सच्ची प्रतिलिपि जिला प्रशासन द्वारा किसानों को उपलब्ध कराये जाने, बगैर उचित मुआवजा का भुगतान किये किसानों की जमीन पर जबरन दखल नहीं करने, भूमि सुधार व राजस्व विभाग बिहार सरकार के अपर सचिव द्वारा पूर्व में भूमि के प्रकृति के निर्धारण को लेकर जारी आदेश को मान्य किये जाने, लोक लाइन्स एक्ट के तहत विभिन्न मौजों के मुआवजा भुगतान बढ़ाये जाने, पूर्व जिलाधिकारी द्वारा एक्सप्रेसवे के सहायक पथ बनाये जाने की मांग की है. कैमूर जिले में 52 किलोमीटर की दूरी नापने वाला भारत माला परियोजना प्रोजेक्ट का कोलकाता-वाराणसी एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य सुलझते-सुलझते फिर उलझता जा रहा है. बता दें कि कि इस एक्सप्रेसवे निर्माण में सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा को लेकर किसान पिछले तीन सालों से संघर्ष कर रहे हैं. इसके तहत धरना-प्रदर्शन, सडक जाम, एनएचएआइ और उसके पदाधिकारियों का पुतला दहन, समाहरणालय पर ताला बंदी, रोड मार्च आदि से लेकर एक्सप्रेसवे निर्माण का काम रोकने जैसे भी कदम उठाये जा चुके हैं. किसानों का कहना है कि सरकार व्यवसायिक और आवासीय भूमि को कृषि भूमि का दर्जा देकर किसानों को ठगने का मंसूबा पाले हुई है. ऊपर से 10 वर्ष पुराने सर्किल रेट पर मुआवजा भुगतान का मानक बनाया गया. उधर किसानों के मांगों को लेकर वर्ष 2025 में पूर्व डीएम द्वारा किसानों को विश्वास में लेकर, समझा बुझा कर, मुआवजा दर को दोगुना कराने, कैंप लगाकर किसानों का दस्तावेज सुधारने और आवेदन लेने आदि की कार्रवाई से किसान थोड़ा नरम हुए थे और एक्सप्रेसवे निर्माण में भू मापी, मिट्टी जांच, समतली करण आदि करने के काम पर सहमति प्रदान की थी लेकिन जैसे ही मामला थोड़ा आगे बढ़ा वैसे ही कुछ महीनों बाद ही फिर यह मामला भूमि की श्रेणी, आब्रिट्रेटर की अदालत के सुनवाई की नकल आदि मांगों को लेकर उलझ गया है. यही नहीं दो दिन पहले किसान संगठनों द्वारा किसानों के साथ बैठक में एक बार फिर किसान संघ की मांगे नहीं माने जाने पर एक्सप्रेसवे निर्माण का काम जिले में नहीं होने देने की चेतावनी दी गई है. किसान संघ की चेतावनी के बाद कैमूर में भारत माला परियोजना के निर्माण कार्य में फिलहाल बाधा सामने आ सकती है.

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