7 जुलाई से राज्य के 6 जिलों में शुरू होने वाले सामूहिक दवा सेवन व फाइलेरिया एवं कालाजार के कम्युनिकेशन कैंपेन का स्वास्थ्य मंत्री ने किया शुभारम्भ
पटना। फाइलेरिया व कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता के लिए जनसमुदाय और जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी आवश्यक है। समाज में जनकृजागरुकता के बल पर किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है। फाइलेरिया व कालाजार रोग का उन्मूलन कर स्वस्थ एवं समृद्ध बिहार की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। इन बातों का जिक्र स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय ने पटना में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आयोजित सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) एवं फाइलेरिया और कालाजार के कम्युनिकेशन कैंपेन के राज्य स्तरीय शुभारंभ कार्यक्रम में उद्घाटन के दौरान की। इस अवसर पर उन्होंने फाइलेरिया एवं कालाजार रोग के सम्बन्ध में सिने कलाकार मनोज वाजपेयी द्वारा लोगों को फाइलेरिया के सम्बन्ध में ऑडियो-विज़ुअल के माध्यम से दिए गए संदेशो के पैकेज का भी उद्घाटन किया।
श्री पांडेय ने कहा कि बिहार में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए राज्य के 6 जिलों यथा- लखीसराय, नालंदा, समस्तीपुर, रोहतास, नवादा और दरभंगा में 7 जुलाई से फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इससे पूर्व आज होने वाले उद्घाटन में स्वयं फाइलेरिया रोधी दवाएं खाकर राज्यवासियों को संदेश देना चाहता हूं कि बीमारी से पूर्व ही इसके बचाव का उपाय अपनाना जरुरी है। फाइलेरिया या हाथीपांव रोग स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या है।
यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है। जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में अभी हाथीपांव के लगभग 76 हजार और हाइड्रोसील के लगभग 14 हजार मरीज हैं।
7 जुलाई से शुरू होने वाले कार्यक्रम में लखीसराय, नालंदा, समस्तीपुर, रोहतास और नवादा जिलों में लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए 2 दवाएं डीईसी और अल्बंडाजोल एवं दरभंगा में 3 दवाओं डीईसी, अल्बंडाजोलं के साथ आईवरमेंक्टिन की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं।
श्री पांडेय ने कहा कि कालाजार पर राज्य ने बहुत हद तक नियंत्रण कर लिया है। वर्ष 2014 में राज्य में कालाजार के 7615 मरीज थे जो जून 2022 तक घटकर केवल 273 रह गए हैं। उन्होंने बताया कि इस समय राज्य के किसी भी प्रखंड में प्रति 10 हजार की आबादी के सापेक्ष पर 1 से ज्यादा मरीज नहीं हैं। राज्य में प्रमुख रुप से दो जिले सिवान का गोरियागोठी प्रखंड व सारण का इसुआपुर प्रखंड इस बीमरी की चपेट में था। अब यहां भी स्थिति नियंत्रण में आ गयी है। जिसमें केंद्र सरकार की भूमिका अहम है।
केंद्र से मिल रहे लगातार सहयोग ने राज्य में कालाजार उन्मूलन की दिशा में अहम योगदान दिया है। कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया कैंपेन के लिए भेजे जाने वाली जागरुकता वाहनों को स्वास्थ्य मंत्री ने हरी झंडी दिखकर रवाना गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त निदेशक डॉ. छवि पन्त जोशी ने वर्चुअल माध्यम से कहा कि राज्य सरकार की प्रतिबद्धता और सुनियोजित कार्यप्रणाली के परिणामस्वरूप राज्य के फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों से इस बीमारी का निश्चित ही जल्दी ही उन्मूलन होगा। इस अवसर पर निदेशक प्रमुख, रोग नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवायें डॉ. आर सी एस वर्मा, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के सीनियर डायरेक्टर अनुज घोष, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम अधिकारी, मलेरिया एवं कालाजार डॉ विनय कुमार शर्मा, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार के अधिकारी एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं व सहयोगियों ने कार्यक्रम में भाग लिया ।