पटना मेयरः जातिगत के साथ सभी वर्गों को साधने में लगी हैं कुसुमलता वर्मा

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पटनाः  सत्ता है तो सियासत का होना लाजिमी है। बिहार में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ और कई चेहरे सामने आ गए। लेकिन अचानक से ब्रेक लगने के बाद फिल्ड से प्रत्याशियों की भूमिका थोड़ी कमजोर पड़ीं। मगर चारों तरफ शहर को प्रत्याशियों ने बैनर पोस्टर लगाकर अपनी उपस्थिति जरुर दर्ज करायी है। आबादी के लिहाज से पटना सब से बड़ा जिला माना जाता है। इस जिले में एक नगर निगम पटना है, 12 नगर परिषद है, जिसमें पुनपुन, पालीगंज, खगौल, दानापुर निजामत, फतुहा, फुलवारी, बख्तियारपुर, बाढ़, बिहटा, मसौढ़ी, मोकामा और संपतचक शामिल है।

*चुनाव में रुपए पर भारी पड़ेगा व्यक्तित्व*

जिसको राजनीति का ककहरा पता नहीं वो राजनीतिक पंडित बनकर अपनी मुफ्त में सलाह दे रहे हैं। जहां देखिए अपने कैंडिडेट को पैसे के बल पर भी कुछ लोग जिताने का दावा कर रहे हैं। शायद वो ये भूल जा रहे हैं कि उनका ये बड़बोलापन उनके प्रत्याशी के लिए घाटे का सौदा बन जाएगा। क्योंकि चुनाव आयोग की निगाहें प्रत्य़ाशी की हर चाल पर है। पैसे खर्च करने, गाड़ियों के घुमाने आदि का ब्योरा देना तो पड़ेगा ही ऊपर से जो लोग करोड़ो खर्च किए जाने की चर्चा आम कर रहे हैं वो कही न कहीं भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें घसीट सकता है।

सुजीत कुमार वर्मा

*मेयर का ताज किसको*

इस बार चुनाव में पहली बार मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे जनता के द्वारा किया जाना है। पहले चुने हुए पार्षद ही मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद यानी की मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करते थे। अक्सर इस चुनाव में किंग मेकर की बात आती है। लेकिन इस बार सरकार ने ये व्यवस्था खत्म कर दी है। अब ऐसे में भले ही पटना में निर्णायक भूमिका कायस्थ वोटरों की हो मगर जिन प्रत्याशियों को सभी जातियों का वोट मिलेगा वही इस लड़ाई को जीतने में सफल होंगे। अगर हम बात करें कायस्थ प्रत्याशियों की तो इसमें 4-5 कैंडिडेट मैदान में हैं जिसमें कुसुमलता वर्मा, रत्ना पुरकायस्था और माला सिन्हा का नाम चर्चा में है। मगर इसमें देखा जाए तो माला सिन्हा पहले भी वार्ड पार्षद रही हैं तो उनका विरोध भी होगा, साथ ही पूरे पटना के लिए उनको चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। रत्ना पुरकायस्था की बात करें तो ये सब टाइम नौकरी में रही हैं। कुछ लोगों को टीवी पर बैठाकर भले ही प्रभावित की हों, मगर इतना तो तय है कि जमीनी हकीकत सिफर है। अब बात करते हैं कुसुम लता वर्मा की तो ये पटना की मूल निवासी हैं और इनका ससुराल भी पटना में ही है तो इस लिहाज से ये पटना को कुछ बेहतर तरीके से समझ सकती हैं। इसके अलावे इनके पति सुजीत वर्मा का कायस्थ समाज में बेहतर संबंध है। सबके साथ मृदुलभाषी बने रहते हैं, इसका भी कुसुमलता वर्मा को फायदा बड़े पैमाने पर मिल सकता है। इतना ही नहीं सुजीत वर्मा और कुसुमलता वर्मा की खास बात ये भी है कि हर जाति और समुदाय में आपसी तालमेल बेहतर बनाकर रहते हैं।

पटना जिले में इस बार प्रत्याशियों की भारी भीड़ है। मेयर और डिप्टी मेयर के 33 और 16 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस चुनाव में कुछ नए तो कुछ पुराने चेहरे अपना भाग्य आजमा रहें हैं। पटना में मेयर पद के लिए अंजू सिंह, अनुराधा चौधरी, महजबी पत्नी अफजल इमाम, माला सिन्हा, पूर्व मेयर सीता साहू, स्वाती अग्रवाल समेत कुल 33 प्रत्याशी मैदान में हैं। वही डिप्टी मेयर के लिए अंजना गांधी, कंचन देवी, विभा देवी, मंजू देवी, सुनीता देवी समेत 16 प्रत्याशी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहें हैं।

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