दिल्लीः ‘इंडियन साइन्स काँग्रेस’ के आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई अगले 25 वर्षों में भारत जिस ऊंचाई पर होगा, उसमें भारत की वैज्ञानिक शक्ति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। साइंस में Passion के साथ जब देश की सेवा का संकल्प जुड़ जाता है, तो नतीजे भी अभूतपूर्व आते हैं। मुझे विश्वास है, भारत की साइंटिफिक कम्यूनिटी, भारत को 21वीं सदी में वो मुकाम हासिल कराएगी, जिसका वो हमेशा हकदार रहा है। मैं इस विश्वास की वजह भी आपको बताना चाहता हूं। आप भी जानते हैं कि Observation साइंस का मूल आधार है। Observation के जरिए आप साइंटिस्ट्स, patterns फॉलो करते हैं, फिर उन patterns को analyse करने के बाद किसी नतीजे पर पहुंचते हैं।
इस दौरान एक साइंटिस्ट के लिए हर कदम पर डेटा जुटाना और उसे analyse करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। 21वीं सदी के आज के भारत में हमारे पास दो चीजें बहुतायत में हैं। पहली- डेटा और दूसरी- टेक्नोलॉजी। इन दोनों में भारत की साइंस को नई बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत है। Data Analysis की फील्ड, तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। ये Information को Insight में और Analysis को actionable Knowledge में बदलने में मदद करती है। चाहे Traditional Knowledge हो या Modern Technology, ये दोनों ही Scientific Discovery में मददगार होती हैं। और इसलिए, हमें अपने scientific process को और मजबूत बनाने के लिए अलग-अलग techniques के प्रति खोजी प्रवृत्ति को विकसित करना होगा।
आज का भारत जिस साईंटिफ़िक अप्रोच से आगे बढ़ रहा है, हम उसके नतीजे भी देख रहे हैं। साइंस के क्षेत्र में भारत तेजी से वर्ल्ड के Top Countries में शामिल हो रहा है। 2015 तक हम 130 देशों की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें नंबर पर थे। लेकिन, 2022 में हम छलांग लगाकर 40वें नंबर पर पहुँच गए हैं। आज भारत, PhDs के मामले में दुनिया में टॉप-3 देशों में है। आज भारत स्टार्ट अप ecosystem के मामले में दुनिया के टॉप-3 देशों में है।
मुझे खुशी है कि, इस बार इंडियन साइन्स काँग्रेस की थीम भी एक ऐसा विषय है, जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। विश्व का भविष्य sustainable development के साथ ही सुरक्षित है। आपने sustainable development के विषय को women empowerment के साथ जोड़ा है। मैं मानता हूँ कि, व्यावहारिक रूप से भी ये दोनों एक दूसरे से जुड़े हुये हैं। आज देश की सोच केवल ये नहीं है कि हम साइन्स के जरिए women empowerment करें। बल्कि, हम women की भागीदारी से साइन्स का भी empowerment करें, साइन्स और रिसर्च को नई गति दें, ये हमारा लक्ष्य है। अभी भारत को G-20 समूह की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी मिली है। G-20 के प्रमुख विषयों में भी women led development एक बड़ी प्राथमिकता का विषय है। बीते 8 वर्षों में भारत ने गवर्नेंस से लेकर सोसाइटी और इकॉनमी तक, इस दिशा में कई ऐसे असाधारण काम किए हैं, जिनकी आज चर्चा हो रही है। आज भारत में मुद्रा योजना के जरिए छोटे उद्योगों और व्यवसायों में भागीदारी हो या स्टार्टअप वर्ल्ड में लीडरशिप, महिलाएं हर जगह पर अपना दम दिखा रही हैं। बीते 8 वर्षों में Extramural research and development में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हुई है। महिलाओं की ये बढ़ती भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि समाज भी आगे बढ़ रहा है और देश में साइन्स भी आगे बढ़ रही है।
किसी भी वैज्ञानिक के लिए असल चुनौती यही होती है कि वो अपने knowledge को ऐसे applications में बदल दे, जिससे दुनिया की मदद हो सके। जब साइंटिस्ट अपने प्रयोगों से गुजरता है तो उसके मन में यही सवाल रहते हैं कि क्या इससे लोगों का जीवन बेहतर होगा? या उनकी खोज से विश्व की जरूरतें पूरी होंगी? साइंस के प्रयास, बड़ी उपलब्धियों में तभी बदल सकते हैं- जब वो lab से निकलकर land तक पहुंचे, जब उसका प्रभाव global से लेकर grassroot तक हो, जब उसका विस्तार journals से लेकर जमीन तक हो, जब उससे बदलाव research से होते हुए real life में दिखने लगे।
जब साइंस की बड़ी उपलब्धियां experiments से लेकर लोगों के experiences तक का सफर तय करती हैं, तो इससे एक अहम संदेश जाता है। ये बात युवाओं को बहुत प्रभावित करती है। वो सोचते हैं कि साइंस के जरिए वो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए Institutional Framework की आवश्यकता होती है। ताकि उनकी आकांक्षाओं का विस्तार किया जा सके, उन्हें नए अवसर दिए जा सकें। मैं चाहूंगा कि यहां मौजूद वैज्ञानिक ऐसा Institutional Framework विकसित करें, जो युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करे और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे। उदाहरण के लिए, टैलेंट हंट और हैकेथॉन के आयोजनों के जरिए साइंटिफिक सोच रखने वाले बच्चों की तलाश की जा सकती है। इसके बाद उन बच्चों की समझ को एक proper roadmap के जरिए विकसित किया जा सकता है। इसमें सीनियर साइंटिस्ट उनकी मदद कर सकते हैं। आज हम देखते हैं कि स्पोर्ट्स में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसके पीछे दो महत्वपूर्ण वजह है। पहला, स्पोर्ट्स की प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए देश में Institutional Framework को मजबूत बनाया गया। दूसरा, स्पोर्ट्स में गुरु-शिष्य परंपरा का अस्तित्व और प्रभाव। जहां नई प्रतिभाओं को पहचानकर उन्हें आगे बढ़ाया जाता है। जहां शिष्य की सफलता में गुरु अपनी कामयाबी देखते हैं। ये परंपरा साइंस के क्षेत्र में भी सफलता का मंत्र बन सकता है।
आज आपके सामने कुछ ऐसे विषय भी रखना चाहता हूं, जो भारत की साइंस की दिशा तय करने में मददगार होंगे। भारत की आवश्यकता की पूर्ति के लिए, भारत में साइंस का विकास, ये हमारे वैज्ञानिक समुदाय की मूल प्रेरणा होनी चाहिए। भारत में साइंस, भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए। हमें ये भी ध्यान रखना है कि आज दुनिया की 17-18 प्रतिशत मानव आबादी भारत में रहती है। ऐसे साइंटिफिक वर्क्स, जिनसे भारत की जरूरतें पूरी होंगी, उनसे विश्व की 17-18 प्रतिशत मानवता को गति मिलेगी। और इसका प्रभाव संपूर्ण मानवता पर पड़ेगा। इसलिए, हम ऐसे विषयों पर काम करें, जो आज पूरी मानवता के लिए जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर हम एक विषय लें लें- Energy. बढ़ते हुए भारत की Energy Needs लगातार बढ़ने ही वाली है। ऐसे में भारत की साइंटिफिक कम्यूनिटी अगर Energy requirements से जुड़े Innovations करती है, तो उससे देश का बहुत भला होगा। ख़ासकर, हाइड्रोजन एनर्जी की अपार संभावनाओं के लिए देश, नेशनल हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रहा है। इसे सक्सेसफुल बनाने के लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रोलाइजर जैसे विभिन्न essential components देश में ही बनें। इस दिशा में अगर किन्हीं नए options की गुंजाइश है, तो उस दिशा में भी रिसर्च हो। हमारे वैज्ञानिकों को, और इंडस्ट्री को इसके लिए साथ मिलकर काम करना होगा।
आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जब मानवता पर नई-नई बीमारियों का संकट मंडरा रहा है। हमें नए वैक्सीन तैयार करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देना होगा। जैसे आज हम बाढ़ या भूकंप जैसी त्रासदियों से निपटने के लिए पहले से तैयार रहते हैं। उसी तरह हमें Integrated Disease Surveillance के जरिए समय रहते बीमारियों की पहचान करनी होगी और उससे निपटने के उपाय करने होंगे। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों को मिलकर काम करना होगा। LiFE यानी Lifestyle for Environment इसके बारे में भी आप सभी मेरे साथी भली-भांति जानते हैं। हमारी साइंस कम्युनिटी इस दिशा में बड़ी मदद कर सकती है।
भारत के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष यानि 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। ये हर भारतवासी के लिए बहुत गौरव की बात है। भारत के मिलेट्स और उनके इस्तेमाल को ज्यादा बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जा सकता है। वैज्ञानिक समुदाय द्वारा बायो-टेक्नोलॉजी की मदद से post-harvest loss को कम करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं।
आज भारत स्पेस सेक्टर में भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है। Low-cost satellite launch vehicles की वजह से हमारी क्षमता बढ़ेगी और दुनिया हमारी सेवाएं लेने के लिए आगे आएगी। निजी कंपनियां और स्टार्ट अप्स इन अवसरों का फायदा उठा सकते हैं। R&D labs और academic institutions से जुड़कर स्टार्ट अप्स को आगे बढ़ने का रास्ता मिल सकता है। ऐसे ही एक और विषय है, Quantum computing का। आज भारत क्वांटम फ्रंटियर के तौर पर दुनियाभर में अपनी पहचान बना रहा है। क्वांटम कंप्यूटर्स, क्वांटम केमिस्ट्री, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम सेंसर्स, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और new materials की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं चाहूंगा कि हमारे यंग रिसर्चर्स और साइंटिस्ट क्वांटम के क्षेत्र में expertise हासिल करें और इस फील्ड के लीडर बनें।
मुझे विश्वास है, इंडियन साइन्स काँग्रेस के इस अधिवेशन में विभिन्न रचनात्मक बिन्दुओं पर भविष्य का स्पष्ट रोडमैप तैयार होगा।