पंचतत्वों के असंतुलन को संतुलित करने का उपाय भी प्रकृति के पास ही है मौजूद:आरके सिन्हा

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भोजपुर के बहियारा में टीसीबीटी प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण में किसानों को ऊर्जा जल निर्माण एवं अग्निहोत्र हवन के माध्यम से भूमि शोधन की सिखाई गई विधि

डॉ. सुरेन्द्र सागर

आरा: भोजपुर जिले के कोइलवर प्रखण्ड स्थित बहियारा गांव के यज्ञानन्द बाग स्थित आद्या ऑर्गेनीक फार्म में गुरुजी श्री ताराचंद बेलजी के पंच महाभूत ज्ञान पर आधारित छः दिवसीय टीसीबीटी प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण शिविर के चौथे दिन बुधवार को किसानों को ऊर्जा जल के निर्माण एवं अग्निहोत्र हवन विधि से भूमि शोधन की जानकारी दी गई।देश में वैदिक विधि से प्राकृतिक खेती के पुनर्रोधार के जनक माने जाने वाले गुरुजी श्री ताराचंद बेलजी ने बिहार समेत देश के कई राज्यों से प्राकृतिक खेती के गुर सीखने आये किसानों को खेत की मिट्टी में जीवाणु पैदा करने,मिट्टी को ताकतवर बनाने और मिट्टी में अक्षय ऊर्जा का संचार कराने की कई तकनीकों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं से रु ब रु कराया।उन्होने वैदिक मंत्रों की ताकत भी दिखाई और किसानों से खेती की शुरुआत के साथ साथ मंत्रोच्चार एवं धरती पूजन के साथ फसलों की उन्नत पैदावार के लिए संकल्प करने की सीख भी दी।
देशी गौमाताओं पर आधारित प्राकृतिक खेती को ही स्वस्थ एवं समृद्ध भारत के निर्माण का बड़ा माध्यम बताते हुए गुरु जी श्री ताराचंद बेलजी ने किसानों को प्रशिक्षित करते हुए देशी गायों का महत्व बताया।वैदिक ग्रंथों में भी देशी गौमाताओं में मौजूद प्रकृति को संवारने की शक्ति का उल्लेख करते हुए किसानों को देशी गायों से जुड़ कर प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने की बात बताई।
बिहार , झारखंड , बंगाल , उत्तरप्रदेश , हरियाणा समेत भारत के विभिन्न राज्यों में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को लेकर आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य व स्वस्थ और समृद्ध भारत के निर्माण की परिकल्पना को साकार करने में जुटे भाजपा के संस्थापक सदस्य,पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने देश के कई इलाकों से आये किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसी खेती ही किसानों की आय में बढ़ोतरी करेगी और देश रोगमुक्त होगा।
उन्होंने कहा कि पंचतत्वों के असंतुलन से ही खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । लेकिन, पंचतत्वों को संतुलित करने का उपाय भी प्रकृति के पास ही मौजूद है।धरती, आकाश, जल,अग्नि और वायु तत्व को संतुलित करके खेती को अनुकूल बनाया जा सकता है और पैदावार बधाई जा सकती है ।
उन्होंने आद्या ऑर्गेनीक फार्म बहियारा में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लेने आये किसानों से अपील की है कि वे ऐसी खेती की विधि सीखने के बाद स्वयं तो प्राकृतिक खेती करें ही , साथ ही आसपास के किसानों को भी प्राकृतिक खेती की तरफ आगे आने को प्रोत्साहित करें।
उन्होंने गुरुजी श्री ताराचंद बेलजी की टीसीबीटी प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण को कृषि क्रांति का नया अध्याय बताया और कहा कि आने वाले दिनों में देश पूरी दुनिया मे कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति की अगुवाई करेगा।
इस कार्यक्रम में भाग लेने और बेलजी और सिन्हा साहब से विचार – विमर्श के लिये 1968 बैच के आईएएस पदाधिकारी और तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित पञ्चगव्य विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कमल तावड़ी जी भी पधारे जो अगले दो दिन बहियारा में ही रहेंगे ।

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