बिहार के आरा में संचालित अस्पतालों के मेडिकल कचरे से गंगा नदी पर खतरा

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शाहाबाद ब्यूरो
मेडिकल कचरा निस्तारण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बिना एनओसी लिए भोजपुर जिले के आरा शहरी क्षेत्र में चल रहे सैकड़ो निजी अस्पतालों,क्लीनिकों और जांच घरों का मेडिकल कचरा नालों में बहाया जा रहा है।नालों में बहते मेडिकल कचरे से रिहायशी इलाकों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। सभी बड़े नाले रिहायशी इलाकों और घनी आबादी वाली कॉलोनियों से होकर आरा गांगी नदी में गिरते हैं।मेडिकल कचरे से सना यह पानी न सिर्फ रिहायशी कॉलोनियों के लिए खतरा बना हुआ है बल्कि गंगा नदी में जाकर गिरने वाली गांगी नदी में मौजूद जलीय जीवों और पानी पीने वाले पशुओं और पक्षियों के लिए भी खतरा बन गया है।आरा में बिना एनओसी के चल रहे निजी अस्पतालों, क्लीनिकों और जांच घरों से निकलने वाले मेडिकल कचरे इंसान तथा पशु पक्षियों के जीवन के लिए बड़ा खतरा है।
बायो मेडिकल कचरा अस्पताल,प्रयोगशाला,प्रतिरक्षण कार्य,ब्लड बैंक आदि में इंसानों तथा जानवरों के शारीरिक सम्बन्धी बेकार वस्तु और इलाज में उपयोग किये उपकरण आते हैं।इस कचरे में कांच व प्लास्टिक की ग्लूकोज की बोतलें, इंजेक्सन और सिरिंज,दवाओं की खाली बोतलें,उपयोग किये गए आइवी सेट,दस्ताने और अन्य सामग्री होती है।
निजी अस्पताल,क्लिनिक और जांच घरों में उत्सर्जित चिकित्सकीय सामग्री के निस्तारण के प्रति संचालक लापरवाह हैं।प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनओसी के साथ सभी निजी अस्पतालों को निबंधन कराने का आदेश दिया है।आरा शहर के कई निजी अस्पताल क्लिनिकल एक्ट के मानक को पूरा नही करते।स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नही होने से आम आदमी,पशु और पक्षियों की जान सांसत में है।
बताया जाता है कि आरा सदर अस्पताल में भी सर्जिकल और मेडिकल कचरा डंप करने की कोई व्यवस्था नही है।सदर अस्पताल से प्रतिदिन निकलने वाले 40 किलो मेडिकल कचरे को अस्पताल परिसर के तीन कमरों में डंप किया जाता है।यहां से पटना की एक एजेंसी सप्ताह में दो बार मेडिकल कचरे को उठा कर आइजीआइएमएस ले जाती है,जहां इसका निस्तारण किया जाता है।आरा सदर अस्पताल के प्रबंधक शशि कांत ने शुक्रवार को बताया कि यहीं व्यवस्था प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी है।
बता दें कि आरा शहरी क्षेत्र में 130 से अधिक निजी अस्पताल,क्लिनिक और जांच घर हैं जहां से बड़े पैमाने पर मेडिकल कचरे को नालों में बहाया जाता है।शहरी क्षेत्र के नालों से बहता यह मेडिकल और सर्जिकल कचरा गंगा नदी तक पहुंच रहा है जिससे गंगा नदी का पानी भी जहरीला होता जा रहा है।

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