बक्सर जिले में पांच दिनों से चल रहा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस,”प्राधिकार आपके द्वार” का समापन सोंवा पंचायत भवन में सम्पन्न हुआ।यह कार्यक्रम बिहार विधिक सेवा प्राधिकार पटना के निर्देशन में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनन्द नन्दन सिंह एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव देवेश कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकार बक्सर के मार्गदर्शन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा किया गया।मौके पर मुखिया मनोरमा देवी, शिवजी पासवान, राहुल कुमार, बिनोद, रमेश, प्रभावतीदेवी,गंगा,अभिषेक, सोनू उपस्थित रहे।
जब महिलाएं नारी सम्बन्धीनीतियों,प्रथाओं,अधिकार आदि का मूल्यांकन कर इसमें सुधार का प्रयास करेगी तभी सही मायने में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सार्थक होगा।समावेशन के लिए महिलाओं की लड़ाई आज भी जारी है।कुछ क्षेत्रों में आज भी असमानताएं एवं महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है।महिलाओं को एक समान अवसर मिले इस लड़ाई में महिलाओं का साथ पुरुष वर्ग को भी देना होगा।तभी लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति होगी।
पैनल अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने भारत की नारियों की उपलब्धियां गिनाते हुए वर्तमान की चुनौतियों पर प्रकाश डाला।उन्होंने महिलाओं को अपने अधिकार व सम्मान के लिए सजग व जागरूक रहने की बात कही।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को बराबर का दर्जा प्राप्त करवाना है जिससे उन्हें किसी भी अधिकार से वंचित न किया जाए।उनके साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जाए।हर साल की भांति 2024 का थीम “Inspire inclusion” रखा गया है।इसका अर्थ है समावेशन को प्रेरित करें।
इस दिवस पर महिलाओं के अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम और कैंपेन भी आयोजित किए जाते हैं।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस वास्तव में एक मजदूर आंदोलन की उपज है।महिलाएं हमारे समाज में शक्ति का का स्तम्भ है।महिलाएं ताकत,साहस,निडरता और सबसे बढ़कर लचीलापन का प्रतीक है।क्लारा जेटकिन (जर्मनी)नामक महिला ने सबसे पहले महिला दिवस का विचार रखा।उन्होंने प्रस्ताव दिया कि अपनी मांगों पर जोर देने के लिए हर साल हर देश में एक ही दिन महिला दिवस मनाया जाना चाहिए।
08 मार्च प्रतिवर्ष मनाये जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की नींव रखता है जो विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उपलब्धियों की वैश्विक स्वीकृति के रूप में कार्य करता है। इसकी शुरुआत 08 मार्च 1857 को न्यूयार्क शहर में हुई।जब हम दूसरों को महिलाओं की वैल्यू समझने के लिए प्रेरित करते हैं तो इसे Inspire Inclusion कहा जाएगा।इस थीम का मतलब है महिलाओं का सम्मान करना और दूसरे को इसके लिए प्रेरित करना।