तस्करी और व्यावसायिक यौन शोषण पीड़ितों को विधिक सेवायें नालसा योजना 2015 विषय पर विधिक शिविर का आयोजन
डुमरांव (बक्सर) जिला विधिक सेवा प्राधिकार बक्सर के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनन्द नन्दन सिंह के आदेश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकार बक्सर के सचिव सह अवर न्यायाधीश देवेश कुमार के निर्देशन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा डुमरांव प्रखंड के चतुरसालगंज गांव में तस्करी और व्यावसायिक यौन शोषण पीड़ितों को विधिक सेवायें नालसा योजना 2015 विषय पर विधिक शिविर आयोजित की गई।शिविर में उपस्थित लोगों को विधिक सेवा उपलब्ध करायी गयी। मौके पर वार्ड पार्षद सुभद्रा देवी,सोनू राय , लोरिक यादव,छोटे लाल खरवार,पीताम्बर सिंह,गुड्डन डोम,बचन प्रसाद गोंड़ आदि उपस्थित रहे।
पैनल अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि नालसा द्वारा संचालित तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों के अंतर्गत ऐसी पीड़ित महिलाएं जो तस्करी या यौन शोषण की शिकार पायी जाती है उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही है जिसमें निशुल्क कानूनी सहायता, पुनर्वास, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास,भोजन,और गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए जो आवश्यकता है उपलब्ध करायी जाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 मानव तस्करी, बलात श्रम और इसी प्रकार के अन्य बेगारी के प्रकारों पर प्रतिबंध लगता है जिससे देश के लाखों अल्प-सुविधा प्राप्त और वंचित लोगों की रक्षा की जा सके।भारत सरकार जिला स्तर पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
प्रति वर्ष 11 जनवरी को राष्ट्रीय मानव तस्करी जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।जो कोई तस्करी का अपराध करेगा उसे कठोर कारावास से दण्डित किया जाता है जिसकी अवधि 7 से कम नहीं होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।IPC की धारा 357 A के तहत पीड़ितों को मुआवजा दिलवाने के लिए जिला विधिक सेवा तक पहुंचाने की सहायता प्रदान देगा। तस्करी आज के दौर में बहुत बड़ा औद्योगिक क्षेत्र का रूप ले चुका है।
भारत में विभिन्न कारणों से पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की तस्करी की जाती है।व्यावसायिक यौन शोषण और जबरन विवाह के उद्देश्य से देश के भीतर महिलाओं और लड़कियों की तस्करी खासकर उन क्षेत्रों में जहां लिंग अनुपात पुरुषों के पक्ष में अत्यधिक झुका हुआ है। तस्करी आपराधिक कृत्यों को बढ़ावा देती है।मानव तस्करी एक गम्भीर अपराध और मानवाधिकारों के दुरुपयोग दोनों रूप में करता है।मानव तस्करी लालच देकर संवारना और जुआ खेलने,जबरदस्ती और हेरफेर, शोषण और अंत में भर्ती कर किया जाता है।
IPC की धारा 372 के अंतर्गत जो कोई 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से की ऐसा व्यक्ति किसी आयु के भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति पे अयुक्त शारीरिक सम्बन्ध के लिए या किसी विधि विरुद्ध और दुश्चरित्र प्रयोजन के लिए बेचेगा या भाड़े पर देगा वह दण्डित किया जाएगा।