ब्रिटिश सरकार ने 138 साल के शासनकाल में लगभग 66 ट्रिलियन डॉलर भारत से लूटा: प्रो. पी. साईंनाथ

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किसान आंदोलन दुनिया का सबसे बड़ा सफल अहिंसक आंदोलन था: प्रो. पी. साईंनाथ

पटना: जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में ‘‘आजादी के आंदोलन की जन चेतना’’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने कहा कि आजादी के इतिहास में हाशिये के लोगों का दस्तावेजीकरण न के बराबर हुआ है। इस दिशा में प्रो. पी. साईंनाथ का यह उम्दा प्रयास है। प्रो. पी. साईंनाथ द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘द लास्ट हीरोज: भारतीय स्वतंत्रता के पैदल सैनिक’’ पर परिचर्चा से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। व्याख्यान का विषय प्रवेश कराते हुए डॉ. गोपाल कृष्ण ने कहा कि इस किताब की भूमिका शहीद-ए-आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन ने लिखी है। प्रो. जगमोहन को उद्भेद करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी और भगत सिंह के रास्ते अलग भले प्रतीत होते हो, लेकिन दोनों क्रांतिकारी रास्ता अपनाते थे। साथ ही आजादी और स्वतंत्रता के बीच के अंतर को भी रेखांकित किया।
अपने व्याख्यान की शुरूआत करते हुए प्रो. पी. साईंनाथ ने कहा कि आजादी के 75 साल के बाद आयोजित ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ की वेबसाईट पर किसी भी जीवित स्वतंत्रता सेनानी का जिक्र नहीं है। यह बहुत दुख की बात है। इससे भी बड़ा दुख ये है कि आने वाले तीन से पांच सालों में कोई भी जीवित स्वतंत्रता सेनानी नहीं बचेगा।
ब्रिटिश शासन के दमन को रेखांकित करते हुए उन्होंने उत्सा पटनायक को उद्धृत करते हुए कहा कि ब्रिटिश सरकार ने 138 साल के शासनकाल में लगभग 66 ट्रिलियन डॉलर भारत से लूटा, जिसमें पर्यावरण को हुए नुकसान को नहीं जोड़ा गया है। उनके शासनकाल में 31 अकाल आए, जिसमें लगभग 10 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई। अकाल से हुई मृत्यु के संदर्भ में जनप्रतिरोध को समझने की जरूरत है।
प्रो. साईंनाथ ने अगला महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि आजादी किसने दिलाई? इस संदर्भ में उन्होंने गांधी की बात को दोहराया कि आजादी की रहनुमाई आम लोगों ने की थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई में महिलाओं की योगदान की अनदेखी पर भी सवाल उठाया और इस आलोक में लक्ष्मी इंदिरा पांडा और बवानी महातो जैसे गुमनाम महिलाओं का जिक्र किया और उनकी कहानी सुनाई। उन्होंने परंपरागत समझ पर भी सवाल उठाया, जिसमें यह माना जाता था कि स्वतंत्रता सेनानी उन्हीं को माना जाएगा जो जेल गए हैं।
उनके व्याख्यान के बाद क्रिमिनल ट्राईब्स एक्ट, आंदोलकारियों के दमन, सबाल्टर्न स्टडीज, आजादी में अंबेडकर की भूमिका आदि से जुड़े सवालों पर चर्चा हुई।
प्रो. इम्तियाज अहमद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आजादी के गुमनाम नायकों को इस पुस्तक में लाने के के लिए प्रो. पी. साईंनाथ की सराहना करते हुए कहा कि इतिहास लेखन का एक परंपरा है वह तथ्यों और प्रमाणों पर आधारित होता है। आजकल कुछ ऐसे लोगों को भी इतिहास में लाया जा रहा है जिनकी आजादी के आंदोलन में कोई भूमिका नहीं रही है।
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान, प्रो. पुष्पेन्द्र, महेन्द्र यादव, राहुल यादुका, के.डी. यादव, शिवदयाल, गौरव सिक्का, दिव्या गौतम, मीरा दत्त, पुष्पराज, डॉ. मधुबाला, उमेश राय, एमआईटी यूनिवर्सिटी के छात्र सहित कई बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित रहे।

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