- विभूतियों की स्मृति संरक्षित किया जाना हमारे लिए गौरव की बात है: धीरज सिंह उर्फ लव जी, अध्यक्ष राष्ट्रीय कुंवर वाहिनी
नावानगर (डुमरांव) – जेपी के जन्मस्थली डुमरांव अनुमंडल के नावानगर प्रखंड के सिकरौल लख संगत-पंगत जनजागरण रथ यात्रा। इस यात्रा का सिकरौल लख पर पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ.आर.के. सिन्हा तथा देश के विभिन्न हिस्सों से आए अतिथियों का स्वागत कुंवर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज सिंह उर्फ लव जी, लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव, जदयू नेता हरेंद्र सिंह, बिस्मिल्लाह खां ट्रस्ट के संरक्षक रामनाथ तिवारी, सिकरौल लख के पूर्व मुखिया बैजनाथ सिंह, सरपंच पवन सिंह आदि ने किया।
सिकरौल के लोगों से मुलाकात कर डॉ.आर.के.सिन्हा ने लोगों को आश्वस्त किया कि बहुत जल्द इस भूमि को देश-दुनिया के मानचित्र पर स्थापित किया जाएगा। हमें तो डुमरांव निवासी लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव के रिसर्च से इस बात का पता चला कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का जन्म यहीं हुआ था। उनके पिताजी हरसु लाल श्रीवास्तव सिकरौल लख पर नहर विभाग में जिलदार के पद पर कार्यरत थे। मुझे प्रसन्नता है कि मैं इस भूमि पर आकर नमन किया। संयोग की बात है कि इसी बक्सर जिले में मेरी भी पैदाईश हुई है। आगे श्री सिन्हा ने कहा जयप्रकाश नारायण के बारे में चंद शब्दों में कुछ भी बयां नहीं किया जा सकता। क्योंकि इस देश के लिए उन्होंने जो भी किया है, उसे कलमबद्ध करना आसान नहीं है। 1932 में गांधी, नेहरु और अन्य महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में संग्राम का नेतृत्व किया। उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की नींव रखी। अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को लेकर 1939 में उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया। 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी। 1977 में जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोधी पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव हरा दिया वैसे थे जेपी।
वहीं कुंवर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज सिंह उर्फ लव जी ने कहा कि हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि विभूतियों की जन्मभूमि को नमन करने के लिए श्री सिन्हा जी देशभर के मानिंद लोगों को लेकर यहां आए। विभूतियों की स्मृति संरक्षित किया जाना हमारे लिए गौरव की बात है, जहां तक मेरी जरुरत होगी मैं भी हर संभव कदमताल करने के लिए तैयार हूं। लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहा कि हमारा काम शाहाबाद की विभूतियों के ऊपर शोधपरक पुस्तकों की रचना करना है ताकि आने वाली पीढ़ी उनसे परिचित हो सकें। उन्होंने ये भी कहा कि मेरे लिए गौरव की बात है कि जिन विभूतियों पर काम करता हूं, शोध करता हूं उसपर आगे काम शुरु हो जाता है, जिस उम्र में लोग आराम फरमाते हैं उस उम्र में डॉ. आर.के.सिन्हा विभूतियों की स्मृतियों को स्थापित करने में लगे हैं यह भी नई पीढ़ी के लिए एक लेशन है। इस दौरान सिकरौल लख के पूर्व मुखिया बैजनाथ सिंह, सरपंच पवन सिंह आदि ने मांग करते हुए कहा कि जेपी की जन्मस्थली वर्षों से अपने अस्तित्व की बाट जोह रही है। इसको संरक्षित करने की जरुरत है।