बक्सर के उनवास गांव पहुंची संगत पंगत जन जागरण रथ यात्रा, पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने आचार्य शिव पूजन सहाय के जन्म स्थान की मिट्टी को मस्तक से लगाया

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डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा (बिहार)
भाजपा के संस्थापक सदस्य, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं संगत पंगत के प्रेरणा स्रोत डॉ. आरके सिन्हा की संगत पंगत राष्ट्रीय जन जागरण रथ यात्रा सोमवार को बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड स्थित उनवास गांव पहुंची. यहां आचार्य शिवपूजन सहाय का पैत्रिक आवास है. उनवास गांव पहुँचने के बाद पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने आचार्य शिव पूजन सहाय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और श्रद्धापूर्वक उन्हें याद करते हुए नमन किया. आचार्य शिव पूजन सहाय के पैतृक आवास पर मौजूद उनके पारिवारिक सदस्यों के साथ ही उनवास गांव के लोगों ने डॉ. आरके सिन्हा का स्वागत और अभिनंदन किया. इस दौरान डॉ. आरके सिन्हा को जब आचार्य शिव पूजन सहाय के छोटे सुपुत्र प्रो. मंगल मूर्ति ने अपने पिता के 9 अगस्त 1893 को जन्म लेने के दिन जन्म स्थान से जुड़े घर का सौर यानि प्रसूति गृह को दिखाया तो डॉ. आरके सिन्हा ने उस स्थान पर माल्यार्पण किया और वहां की मिट्टी का तिलक अपने मस्तक पर धारण किया. जन्म स्थान का यह प्लॉट अभी भी खातिहान में आचार्य शिवपूजन सहाय के नाम से ही दर्ज है. इसके बाद  पूर्व सांसद गाँव के तालाब के किनारे सामुदायिक भवन गये जहाँ एक पार्क बनाया गया है और आचार्य जी की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है.यह उनकी सांसद निधि की योजना थी. लेकिन  जिस दिन  मुख्यमंत्री इस योजना का लोकार्पण करने वाले थे उस दिन किसी कारण से वे पहुँच नहीं पाए थे.अब आचार्य शिवपूजन सहाय जी के जन्म स्थान पर एक भव्य स्मारक बनाने का प्रस्ताव है , जिसे आचार्य जी के पारिवारिक ट्रस्ट के साथ ही डॉ. आरके सिन्हा की अध्यक्षता वाले “ अवसर ट्रस्ट” और बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से बनाया जायेगा. यह  बक्सर ज़िले का एक विशिष्ट पर्यटक स्थल बन जाएगा. यात्रा के दौरान ही पूर्व सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने इस विषय में बिहार के उप- मुख्यमंत्री  विजय कुमार सिन्हा  से दूरभाष पर आचार्य जी के जन्मस्थान से ही सकारात्मक बातचीत की.
संगत पंगत राष्ट्रीय जन जागरण यात्रा पर उनवास गांव पहुंचे पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने कहा कि
यह शायद नई पीढ़ी को ज्ञात न हो , आचार्य जी ऐसे संपादक थे जिनके पास देश भर के साहित्यकार , उपन्यासकार , कवि , लेखक , पत्रकारों की भीड़ लगी रहती थी और यदि आचार्य जी की कलम किसी की रचना पर चल जाती थी तो वह अपने को धन्य समझता था. सन् 1910 से लेकर 1963 तक देश का शायद ही कोई बड़ा लेखक या साहित्यकार नहीं होगा जिसकी रचनाओं का संपादन आचार्य शिवपूजन सहाय ने नहीं किया होगा.
चौथे चरण की यात्रा के दौरान महापुरुषों की जन्मस्थली से सीधा संवाद स्थापित करने के बाद संगत पंगत राष्ट्रीय जन जागरण रथ यात्रा आगे के लिए निकल पड़ी.
समाज को एकजुट करने, जन जागरूकता फैलाने और अपने महापुरुषों की जन्म स्थली व कर्म स्थली से जुड़ कर उन्हें  याद कर उनके बताये मार्गो पर चलने का संकल्प लेने निकले संगत पंगत राष्ट्रीय जन जागरण रथ यात्रा कोहर जगह भारी जन समर्थन मिल रहा है.

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