-मनोज कुमार श्रीवास्तव
सम्पूर्ण विश्व में 21 दिसंबर को दुनिया भर में “विश्व ध्यान दिवस” मनाया जा रहा है। भारत और अन्य देशों की पहल से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया।यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसमें भारत के साथ-साथ लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मेक्सिको और अंडोरा जैसे देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।इन देशों के प्रयासों से यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्य देशों द्वारा पारित किया गया।
भारत जो प्राचीन ध्यान और योग की परम्परा का जन्म स्थल है,ने इस प्रस्ताव को दुनिया भर में मानसिक शांति और ध्यान के महत्व को उजागर करने के लिए प्रस्तुत किया गया।यह निर्णय विश्वभर में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है।”विश्व ध्यान दिवस” का उद्देश्य ध्यान और मानसिक शांति के महत्व को समझाना और इसे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना है।यह दिन मानसिक तनाव,चिंता और अन्य मानसिक स्वस्थ समस्याओं से राहत पाने के लिए ध्यान की भूमिका को बढ़ावा देगा।
बता दें कि “विश्व योग दिवस” 21 जून के ठीक छह महीने बाद 21 दिसंबर को “विश्व ध्यान दिवस” मनायेगी।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस पर बड़ा फैसला लिया है।विश्व योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है।इस दिन योग दिवस मनाने के पीछे की वजह यह है कि इस दिन उतरी गोलार्द्ध में वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घायु बनाता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा जून को “विश्व योग दिवस” मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने,”एक्स”पर बताया कि”व्यापक कल्याण और आंतरिक परिवर्तन का दिन! मुझे खुशी है कि भारत ने कोर समूह के अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसम्बर को “विश्व ध्यान दिवस” के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाए जाने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन किया।” उन्होंने कहा कि, समग्र मानव कल्याण के लिए भारत का नेतृत्व हमारे सभ्यागत सिद्धांत वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित है।
हरीश ने बताया है कि 21 दिसम्बर शीतकालीन संक्रांति का दिन है जो भारतीय परम्परा के अनुसार उत्तरायण की शुरुआत होती है।यह अंतराष्ट्रीय योग दिवस के छह माह बाद 21 जून को मनाया जाता है जब ग्रीष्म संक्रांति होती है।उन्होंने कहा कि भारत 2014 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी।एक दशक में यह एक वैश्विक आंदोलन बन गया है जिसके कारण दुनिया भर में आम लोग योग का अभ्यास कर रहे हैं और इसे दैनिक जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीति को एक और बड़ी कामयाबी मिली है।संयुक्त राष्ट्र महासभा(UNGA) में भारत के एक सह-प्रायोजित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है।इस प्रस्ताव के पास होने के साथ ही अब दुनिया भर में 21 दिसम्बर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
मोदी जी के नेतृत्व में भारत की साख और धाक दुनिया भर में मजबूत हुई है।भारत एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है।यह भारत के वैश्विक स्तर पर बढ़ते कद और” सॉफ्ट पॉवर “का प्रमाण है।मई 2014 में देश की बागडोर सम्भालने के बाद मोदी ने देश की सांस्कृतिक ताकत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने और भारत को सॉफ्ट पॉवर बनाने के लिए लगातार काम किया है।उनके प्रयास का परिणाम है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा हुई और उसे लगातार वैश्विक मान्यता मिलती जा रही है।
एक दौर वह भी था जब भारत विश्व की महाशक्तियों के भरोसे रहता था।आज भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है।दरअसल दुनिया में इस समय किसी नेता की सबसे ज्यादा पूछ है तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं।मोदी की शख्सियत और व्यकितत्व की पूरी दुनिया कायल है।प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 सालों में जिस तरह से भारत की छवि को पूरी दुनिया में पेश किया है, उसने दुनिया भर के नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी का मुरीद बना दिया है।असज पूरी दुनिया मोदी के दमदार व्यक्तित्व और शानदार प्रतिनिधित्व क् कायल है।घरेलू राजनीति में वे जितने लोकप्रिय हैं वैसे ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ चुके हैं।अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस के रूप में घोषित किए जाने को भारत के लिए गर्व का विषय बताया है।भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और योग का ध्यान के महत्व को वैश्विक मान्यता प्रदान करता है।उन्होंने ने याद दिलाया कि पहले ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया है जो भारत की महान सांस्कृतिक धरोहर और ऋषि-मुनियों के योगदान का सम्मान है।अब 21 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय यह दर्शाता है कि भारत की प्राचीन विधाओं को दुनिया भर में मान्यता और सम्मान मिल रहा है।प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यह निर्णय उनकी नेतृत्व क्षमता और वैश्विक मंच पर भारत की सक्रिय भूमिका का प्रमाण है।