उज्ज्वला का बुझ गया चूल्हा, जिम्मेदार कौन, बताए केंद्र सरकार : प्रो. रणबीर नंदन

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पटनाः जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता और पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पूछा है कि उज्ज्वला का चूल्हा बुझ गया है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, यह केंद्र सरकार तय करे।

उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से माताओं और बहनों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और लकड़ी से चूल्हे के धुएं से आजादी के लिए योजना शुरू की गई। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि नवंबर 2021 तक 8.8 करोड़ कनेक्शन दिए गए हैं। ढिंढ़ोरा पीटा गया कि उज्ज्वला योजना के तहत बिहार में करीब 87 लाख कनेक्शन बांटे गए। लेकिन, क्या आज केंद्र सरकार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह बता सके कि जितने कनेक्शन बांटे गए हैं, उसमें से कितने रीफिलिंग में आ रहे हैं। आंकड़ा 10 फीसदी से उपर नहीं जाएगा। यानि 90 फीसदी जो कनेक्शन बंटे, उसका लाभ किसी को आगे मिला ही नहीं। सत्य ये है कि उज्जवला योजना पूरी तरह फ्लॉप हो चुकी है।

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प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन दिए गए। लेकिन, पहली बार फ्री कनेक्शन मिलने के बाद से महज 10 फीसदी लोगों ने उज्ज्वला योजना के गैस की रीफिलिंग कराई है। कारण भी स्पष्ट है। उज्जवला योजना मई 2016 में शुरू हुई। तब 425 रुपए का घरेलू सिलिंडर था। आज 1150 रुपए एक सिलिंडर का दाम हो गया है। कमाई किसी की नहीं बढ़ी। लेकिन खाना बनाने के लिए गैस की कीमत ढ़ाई गुना बढ़ गई।

उन्होंने कहा कि बिहार की सरकार की ओर से गरीब परिवारों की आय बढ़ाने की योजना पर लगातार काम किया जा रहा है, लेकिन गैस की महंगाई ने गरीबों की आय को छीनने का काम किया है। उज्ज्वला योजना के तहत केंद्र सरकार केवल गैस सिलिंडर बांटकर अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकती है।

प्रो. नंदन ने कहा कि बिहार जैसे प्रदेश के लिए इस योजना के प्रारूप में बदलाव किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को रीफिलिंग न करा सकने वाली स्थिति के परिवारों के बारे में सोचना चाहिए था। लेकिन, उन्होंने गैस कनेक्शन देने के बाद उन्हें भुला दिया। उज्ज्वला योजना का क्रेडिट लूटने वाली भाजपा सरकार इस योजना के फेल होने पर कोई बात नहीं करती है। इस योजना के फ्लॉप होने का भी क्रेडिट उन्हें लेना चाहिए।

प्रो. रणबीर नंदन ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मई 2014 में रसोई गैस के एक सिलिंडर की कीमत 414 रुपये थी। जुलाई 2022 में पटना में गैस सिलिंडर की कीमत 1151 रुपये थे। पिछले 8 वर्षों में गैस की कीमतों में करीब तीन गुना की वृद्धि हो गई है। एक गरीब आदमी एक गैस सिलिंडर की कीमत पर पूरे महीने का राशन खरीदता है। वह इतनी बड़ी राशि कहां से जुटा पाएगा।

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