केंद्र सरकार ने विधिक माप विज्ञान विभाग के माध्यम से तौल और माप उपकरणों के निर्माताओं/आयातकों को अनुपालन के विवरण की मांग के लिए 63 कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। ई-कॉमर्स मंच पर निर्माताओं/आयातकों/विक्रेताओं को नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें मॉडल के अनुमोदन, विनिर्माण/आयातक/डीलर लाइसेंस और तौल तराजू के सत्यापन का विवरण मांगा गया।
यह पाया गया है कि तौल व माप उपकरणों के कुछ निर्माता/आयातक कानून के प्रावधानों का अनुपालन किए बिना ई-कॉमर्स मंच पर व्यक्ति के वजन को मापने की मशीन और किचन स्केल आदि बेच रहे हैं। ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर इस तरह की अनधिकृत बिक्री से न केवल उपभोक्ता की सेवा में कमी आई है, बल्कि सरकार को राजस्व का नुकसान भी हुआ है।
उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए, तौल व माप उपकरण के निर्माताओं/आयातकों को अपने वजन और माप उपकरण के लिए मॉडल (धारा 22), विनिर्माण लाइसेंस (धारा 23)/आयातक पंजीकरण (धारा 19) और विधिक माप विज्ञान अधिनियम 2009 के तहत (धारा 24) के तहत तौल व माप के सत्यापन/मुद्रांकन की मंजूरी प्राप्त करने की जरूरत होती है।
इसके अलावा तौल और माप उपकरण के पूर्व पैकेज/ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर घोषणाओं को विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज), नियम 2011 के प्रावधानों (नियम 6) का अनुपालन करने की आवश्यकता है।
उपभोक्ताओं के हित में तौल व माप उपकरणों के मॉडल, विनिर्माण लाइसेंस/आयातक पंजीकरण और सत्यापन/तौल व माप उपकरणों की मुहर के अनुमोदन और तौल माप या संख्या की मापन के जरिए बेचे जाने वाले तौल, माप और व सामानों में व्यापार और वाणिज्य को विनियमित करने के लिए अनिवार्य है। इसके अलावा उपभोक्ताओं के लिए एक सूचित विकल्प बनाने के लिए उत्पाद की अनिवार्य घोषणा प्री-पैकेज कमोडिटी/ई-कॉमर्स मंच पर की जानी चाहिए।
विनिर्माता/आयातक को तौल व माप के उपकरणों की संख्या और उनके निर्मित/आयातित, बेचे/वितरित किए गए पुर्जों और सरकार को भुगतान किए गए सत्यापन शुल्क के विवरण का रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
विधिक माप विज्ञान अधिनियम के इन प्रावधानों का उल्लंघन धारा- 32 (मॉडल का अनुमोदन प्राप्त करने में विफलता), धारा 45 (बिना लाइसेंस के तौल और माप के निर्माण के लिए जुर्माना), धारा 38 (तौल के आयातक द्वारा गैर-पंजीकरण के लिए दंड), धारा 33 (असत्यापित तौल या माप के उपयोग के लिए जुर्माना) और धारा 36 (गैर-मानक पैकेजों की बिक्री, आदि के लिए जुर्माना) के तहत दंडनीय है और जुर्माना या कारावास या दोनों, का प्रावधान है।