* मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कर-कमलों द्वारा उर्दू अनुवादक एवं अन्य उर्दू कर्मियों का नियुक्ति- पत्र वितरण समारोह
पटनाः मुख्यमंत्री ने कहा- इस अवसर पर 183 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया, मैं सभी को बधाई देता हूं। यह काम पहले से शुरु है। आप जान लीजिए कि कुल 2047 पद सृजित किया गया है। 1294 लोगों को और नियुक्ति पत्र जल्दी ही दिया जाएगा। 401 पदों पर और नियुक्ति की जानी है। जैसे हिंदी है वैसे ही ऊर्दू है। दोनों को बराबर की स्वीकृति प्राप्त है। सभी को अधिकार है कि ऊर्दू में भी आवेदन कर सकते हैं। सरकारी सेवाओं में अधिक से अधिक ऊर्दू जानने वाले लोग रहें। जहां रहिए वहां लोगों को ऊर्दू सिखाईये। हिंदी के साथ ऊर्दू को जानेंगे तो आपकी भाषा और बेहतर होगी। वर्ष 2008 में ही हमने कहा था कि ऊर्दू शिक्षकों के अलावे सभी जगह ऊर्दू शिक्षक की बहाली की जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ऊर्दू को जान सकें। हम जितना चाहते हैं उतना हम बहाली नहीं कर सके हैं। चीफ सेक्रेटरी साहब आप तो 2007 से हमारे साथ हैं, यह सब आपका काम है सबकुछ देखना है।
आजकल एक जो माहौल कायम की जा रही है गड़बड़ी पैदा करने की, हमलोग तो आपसी सौहार्द और मिल्लत की बात करते हैं। ऊर्दू पढ़ने के अलावे जो लोग ऊर्दू नहीं जानते हैं उनमें से लोगों को ऊर्दू जानने की इच्छा होगी तो वो जानेंगे, ये होगा तो लोगों को और ज्ञान होगा। मुझको व्यक्तिगत रुप से प्रसन्नता होगी कि जितना लोग हैं उनको हिंदी, ऊर्दू और अंग्रेजी की जानकारी हो। इस पर ध्यान देने की और जरुरत है। आपको पता है पहले मदरसा की क्या स्थिति थी। बहुत सारे मदरसों को भी हमलोगों ने शामिल किया। मदरसों में केवल ऊर्दू ही नहीं बल्कि सारी चीजों की जानकारी दीजिए। मदरसों में जो पढ़ाते थे उनको बहुत कम पैसा मिलता था। अब मदरसों में भी मान्यता प्राप्त जो हैं उनके लिए शिक्षकों के बराबर पेमेंट देने लगे हैं। पहले 1128 मदरसे थे लेकिन अब 1942 मदरसा हो गया है। मदरसा में केवल टीचर ही नहीं बल्कि बिल्डिंग के विकास सहित अन्य सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है।
हमलोगों ने पता कराया तो पता चला कि सबसे अधिक अल्पसंख्यक समाज और महादलित वर्ग के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। उसके बाद महादलितों के लिए उत्थान केंद्र और अल्पसंख्यक समाज के लिए तालिमी मरकज की शुरुआत करवायी।
हमलोगों ने अल्पसंख्यक महिलाओं के उत्थान के लिए हूनर कार्यक्रम चलाया। इसमें सीखने वाली महिलाओं के लिए सरकार ने टूल खरीदने के लिए राशि उपलब्ध कराया। अब तक 1 लाख 13 हजार अल्पसंख्यक महिलाओं को इसके अंतर्गत सीखाया गया है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड के लिए हमने काम किया। पटना में जब हम पढ़ते थे तो अंजुमन इस्लामिया हॉल की तरफ घूमने जाया करते थे। सरकार में आने के बाद भी जाते रहे हैं। आज वहां कितना सुंदर अंजुमन इस्लामिया हॉल बन गया है। शिया वक्फ बोर्ड का पटना सिटी में हॉल बन रहा है, उसको भी जल्दी से बनवा दीजिए। सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड की बिहार के सभी जिलों में अल्पसंख्यकों के लिए अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय निर्माण कराया जाएगा। आपसे आग्रह करते हैं कि जल्दी से जल्दी जमीन उपलब्ध कराया जाए, ताकि निर्माण कराया जा सके।
अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना पहले से चली आ रही है। वर्ष 2018 में महादलितों के लिए 5 लाख ऋण पर देने के लिए शुरु किया गया। 2020 में पिछड़े वर्गों के लिए भी हमलोगों ने शुरु कर दिया। बाद में सभी महिलाओं के लिए हम ये सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं, जिसमें 5 लाख ऋण और 5 लाख रुपया अनुदान दिया गया। इनके अलावे सारी महिलाओं, एससी-एसटी, अति पिछड़ा वर्ग के लिए तो किया ही गया मगर अब सभी वर्गों के लिए 1 प्रतिशत ऋण पर उपलब्ध कराया गया है। इसमें धीरे-धीरे लोग बढ़ रहे हैं। सबकी आमदनी बढ़े इसके लिए काम कर रहे हैं।
हम पिछड़े राज्य हैं। हमलोगों को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता तो बिहार कितना आगे बढ़ गया होता। सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिलनी चाहिए। केवल प्रचार प्रसार हो रहा है कहीं कोई काम हो रहा है ? हम बात बोल देते हैं ताकि आप नोट कर लीजिए सभी लोग ट्वीट करते रहें। मेरे अलावे सबकी इच्छा है कि सभी ऊर्दू सीखेंगे तो सभी आगे बढ़ेंगे। हमलोगों को दोनों भाषा पर ध्यान देना है। आपसे उम्मीद है कि सबको ऊर्दू पढ़ाएंगे और ऊर्दू सीखाएंगे।