अनुशासन और एकजुट कार्रवाई को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्र के लिए ताकत का वास्तविक स्रोत मानते थे

आलेख


(2 अक्टूबर जन्मदिन विशेष)

  • मुरली मनोहर श्रीवास्तव

गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आह्वान किया था, इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। उनके इस निर्णय ने उनकी मां की उम्मीदें तोड़ दीं। उनके परिवार ने उनके इस निर्णय को गलत बताते हुए उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वे इसमें असफल रहे। लाल बहादुर ने अपना मन बना लिया था। उनके सभी करीबी लोगों को यह पता था कि एक बार मन बना लेने के बाद वे अपना निर्णय कभी नहीं बदलेंगें क्योंकि बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़ हैं।
” अनुशासन और एकजुट कार्रवाई राष्ट्र के लिए ताकत का वास्तविक स्रोत है ।” “हमें शांति के लिए बहादुरी से लड़ना चाहिए जैसे हम युद्ध में लड़े थे।” “जितना मैं दिखता हूँ उतना सरल नहीं हूँ।” “हम शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं, न केवल अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए।”
शास्त्री जी की एक सबसे बड़ी विशेषता थी कि ‘वे एक सामान्य परिवार में पैदा हुए थे, सामान्य परिवार में ही उनकी परवरिश हुई और जब वे देश के प्रधानमंत्री जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर पहुंचे, तब भी वह सामान्य ही बने रहे। विनम्रता सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व में एक विचित्र प्रकार का आकर्षण पैदा करती थी।
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था, और उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 को तबीयत के बिगड़ने पर हुई थी। शास्त्री जी ने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत-पाक युद्ध का नेतृत्व किया था। लाल बहादुर शास्त्री ने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया था।
पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 09 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे. उनका कार्यकाल 11 जनवरी 1966 तक रहा.जय जवान जय किसान भारत का एक प्रसिद्ध नारा है। यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था। इसे भारत का राष्ट्रीय नारा भी कहते हैं जो जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है।
लाल बहादुर शास्त्री को 1966 में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित प्रथम साहित्यकार के रूप में जाना जाता है। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कब हुई थी? लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी 1966 को हुई थी।
लाल बहादुर वाराणसी में काशी विद्यापीठ में शामिल हो गये। विद्वतापूर्ण सफलता के प्रतीक के रूप में उन्हें विद्यापीठ में शास्त्रीजी की उपाधि मिली। लाल बहादुर शास्त्री का पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री श्रीवास्तव था इनके पिता एक शिक्षक थे लाल बहादुर शास्त्री को घर में प्यार से नन्हे बुलाया था क्योंकि वह सभी भाई बहनों में छोटे थे लाल बहादुर शास्त्री के बारे में कहा जाता कि वह अपने स्कूल में पढ़ाई करने के लिए नदी पार करके जाया करते थे | लाल बहादुर शास्त्री ने 1966 में भारत रत्न जीता था।

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