पटना: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ व्यक्तिगत समीकरणों के बारे में बात करके वर्तमान सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस को ‘भयभीत और भ्रमित’ करना चाहते हैं। सुशील ने हालांकि यह भी कहा कि अब नीतीश कुमार की पार्टी विघटन के कगार पर खड़ी है और भाजपा को उनकी कोई आवश्यकता नहीं है।
सुशील मोदी एक दशक से अधिक समय तक नीतीश कुमार सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता के साथ उत्कृष्ट तालमेल के लिए जाने जाते थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हम उन ताकतों के साथ जुड़ना चाहेंगे जो हमें फायदा पहुंचा सकती हैं और जिन्हें हमसे फायदा हो सकता है। नीतीश कुमार के पास एक तरह से कोई जनाधार नहीं बचा है, यही कारण है कि उनकी पार्टी 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 44 सीटों पर ही सिमट गई थी। उनके साथ फिर से गठबंधन करने का सवाल ही नहीं उठाता। यह हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी बार-बार दोहराया है।” वह उन अटकलों के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे कि नीतीश ने बृहस्पतिवार को एक समारोह में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री के रूप में सेवा दे चुके वरिष्ठ भाजपा नेता राधा मोहन सिंह के साथ ‘‘व्यक्तिगत दोस्ती” की बात करते हुए भाजपा को संकेत देने की कोशिश की थी।
सुशील के मुताबिक जदयू नेता कांग्रेस और राजद को ‘भयभीत’ और ‘भ्रमित’ करने की कोशिश कर रहे थे। सुशील मोदी, नीतीश कुमार को 1970 के दशक से जानते हैं, तब दोनों छात्र नेता थे और उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए बिहार आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार सोच रहे होंगे कि ऐसा करके वह यह संदेश दे पाएंगे कि उनके पास और भी विकल्प है जो उनके वर्तमान सहयोगियों को नियंत्रण में रखेगा। जो भी हो, उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया है, जब से वह हमसे अलग हुए हैं उनकी पार्टी भी कमजोर हो गई है।” उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा , आरसीपी सिंह (जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष) और जीतन राम मांझी ने जदयू का साथ छोड़ दिया। उनके दर्जन-भर नेता भाजपा में आए, लेकिन भाजपा छोड़ कर कोई नहीं गया।